सम्पादकीय

सर जी, माइंड बट डांट माइंड

Rani Sahu
12 April 2022 7:11 PM GMT
सर जी, माइंड बट डांट माइंड
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आपने आज भी धमेंद्र के समय का सूट बचाकर रखा है

ओ सरजी! माना, आपने आज भी धमेंद्र के समय का सूट बचाकर रखा है। अभी भी आप अपने ऑफिस में ट्रेडिशनल चमचे से ही काम चला रहे हैं। माना, साहब होने के बाद अभी भी आप घर में कांसे की थाली में खाना रहे हैं। फ्रिज होने के बाद भी घड़े का पानी ही पी रहे हैं। अपनी जड़ों से जुड़े रहना अच्छी बात है सरजी! पर आपका अपने चमचों को लेकर परंपरागत ढंग से सोचना बहुत ही गलत है। बुरा मत मानिएगा! माफ कर दीजिएगा जो बुरा लगे तो, पर यह आपके पिछड़ेपन का ही प्रतीक है। सुनो सरजी! आज तो गली गली में गधे भी पहले वाले गधे नहीं रहे। अब वे भी घोड़ों की देखा देखी में स्मार्ट गधे हो गए हैं तो आप फिर भी अपने ऑफिस में ट्रेडिशनल चमचों से ही काम क्यों चला रहे हैं? सरजी! आज का दौर स्मार्टफोनों का दौर है स्मार्ट छज्जों का दौर है, स्मार्ट मौनों का दौर है। आज का दौर स्मार्ट बातों का दौर है, स्मार्ट बातों का दौर है, स्मार्ट घूंसों का दौर है, स्मार्ट लातों का दौर है। आज का दौर स्मार्ट कुर्सियों का दौर है, स्मार्ट फर्तियों का दौर है।

आज का दौर स्मार्ट बिछौनों का दौर है। भले ही उन पर कुत्ते लेटे हों। स्मार्टफोन में बात करने को बैलेंस हो या न, पर देखो तो हाथ में स्मार्ट फोन लिए बंदर भी कैसे कुलांचे मारता चला जा रहा है। भले ही आज का दौर स्मार्ट विजनों का दौर हो या न, पर आज का दौर स्मार्ट टेलिविजनों का दौर है। अब तो झुग्गी तक में पुराने टीवी नहीं बचे सरजी! पर गलती से जो कहीं बचें हो तो उन पर पुरानी फिल्मों की हीरोइनें तक आने से साफ इनकार कर देती हैं। ऐसे में साहबजी! अपने ऑफिस के बारे में तनिक सोचिए। पीट चुके ढर्रे पर ऑफिस कब तक चलाते रहेंगे? ये आपका बाबा आदम के समय का ऑफिस भला किसको पसंद आएगा? इसलिए मेरा कहा मानिए। अपने ट्रेडिशनल ऑफिस को स्मार्ट ऑफिस बनाइए। खुद भी साहब से स्मार्ट साहब बनिए और आपने जो अपने ईद गिर्द ये धूल धूसरित चमचे रखे हैं न, इनकी जगह स्मार्ट चमचे सजाइए। ये आपके आसपास निगेटिव अनर्जी प्रवाहित करते हैं। इसलिए इनको तत्काल यहां वहां से हटाइए।
क्योंकि आज परंपरागत चमचों में नहीं, स्मार्ट चमचों में स्वस्थ, स्मार्ट साहब निवास करता है। सर जी! डांट माइंड ! आज की तारीख में ऑफिस के सारे रंग ढंग बदल गए हैं सरजी! अब तो रिश्वत लेने वाले भी स्मार्ट हो गए हैं और रिश्वत देने वाले तो उनसे भी अधिक स्मार्ट हो गए हैं। अब तो रिश्वत हाथ पर नहीं सीधे विदेशी खातों में जाती है सरजी! इसलिए अब आप भी स्मार्ट हो स्मार्ट चमचे रखिए। साहब हो कोरे चमचों से अब काम नहीं होने वाला। आज का युग स्मार्टों का युग है। ठग से अधिक स्मार्ट पुलिस है तो पुलिस से अधिक स्मार्ट ठग है। देखो तो सरजी! पुराने सिटी स्मार्ट हो रहे हैं। सिटी से अधिक विलेज स्मार्ट हो रहे हैं। विलेज से अधिक विलेज वाले स्मार्ट हो रहे हैं। हर विलेज वाले के पास कहने को कुछ हो या न, पर हाथ में स्मार्टफोन जरूर है। हर विलेज वाले के पास शुद्ध दूध पीने को गाय हो या न, पर स्मार्ट कुत्ता जरूर है। इसलिए सरजी! स्मार्ट बनिए, पुराने चमचे बदलिए। सोए सोए भी याद रखिए। स्मार्ट चमचे ऑफिस के वातावरण को हेल्दी, वेल्दी और स्ट्रांग बनाए रखने में बड़े सहायक होते हैं। स्मार्ट चमचे साहब की टेंशन, प्रेशर को काफी कम कर देते हैं जिससे साहब का सरकारी, गैर सरकारी भविष्य काफी सुरक्षित हो जाता है।
अशोक गौतम


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