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- सर जी, माइंड बट डांट...

ओ सरजी! माना, आपने आज भी धमेंद्र के समय का सूट बचाकर रखा है। अभी भी आप अपने ऑफिस में ट्रेडिशनल चमचे से ही काम चला रहे हैं। माना, साहब होने के बाद अभी भी आप घर में कांसे की थाली में खाना रहे हैं। फ्रिज होने के बाद भी घड़े का पानी ही पी रहे हैं। अपनी जड़ों से जुड़े रहना अच्छी बात है सरजी! पर आपका अपने चमचों को लेकर परंपरागत ढंग से सोचना बहुत ही गलत है। बुरा मत मानिएगा! माफ कर दीजिएगा जो बुरा लगे तो, पर यह आपके पिछड़ेपन का ही प्रतीक है। सुनो सरजी! आज तो गली गली में गधे भी पहले वाले गधे नहीं रहे। अब वे भी घोड़ों की देखा देखी में स्मार्ट गधे हो गए हैं तो आप फिर भी अपने ऑफिस में ट्रेडिशनल चमचों से ही काम क्यों चला रहे हैं? सरजी! आज का दौर स्मार्टफोनों का दौर है स्मार्ट छज्जों का दौर है, स्मार्ट मौनों का दौर है। आज का दौर स्मार्ट बातों का दौर है, स्मार्ट बातों का दौर है, स्मार्ट घूंसों का दौर है, स्मार्ट लातों का दौर है। आज का दौर स्मार्ट कुर्सियों का दौर है, स्मार्ट फर्तियों का दौर है।
