सम्पादकीय

SIPRI के आंकड़े बताते हैं कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए शासन में 30 बिलियन डॉलर की रक्षा खरीद हुई

Gulabi Jagat
30 March 2022 11:54 AM GMT
SIPRI के आंकड़े बताते हैं कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए शासन में 30 बिलियन डॉलर की रक्षा खरीद हुई
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में कहा कि
आकाश गुलंकर।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में कहा कि यूपीए के नेतृत्व वाली कांग्रेस (Congress) सरकार ने 10 साल के शासन में देश की रक्षा के लिए कुछ भी नहीं खरीदा. उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि पिछली सरकार ने कोई रक्षा खरीद नहीं की थी, वर्तमान बीजेपी (BJP) सरकार को पिन से लेकर विमान तक सब कुछ खरीदना पड़ा.
हालांकि, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के हथियार व्यापार डाटा का विश्लेषण कुछ अलग ही बताता है. आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल में 30 अरब डॉलर से अधिक के हथियारों के सौदे किए. इन सौदों में मुख्य रूप से विमान, राडार, हेलिकॉप्टर, मिसाइल और कई अन्य हथियार से संबंधित मशीनरी शामिल हैं, और आंकड़े सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं.
आंकड़े क्या कहते हैं?
SIPRI के हथियार व्यापार के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने वर्ष 2004 से 2014 तक विभिन्न हथियार और उनसे संबंधित सिस्टम के कुल 142 ऑर्डर दिए. यह वो वक्त था, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली (यूपीए) सरकार ने देश पर राज किया. ये सभी हथियार कुल 17 देशों से खरीदे गए, जिनमें रूस, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और इजराइल जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं के अलावा कई छोटे एक्सपोटर्स भी शामिल हैं.
इस दौरान 499 विमानों और हेलिकॉप्टरों का ऑर्डर दिया गया. इनमें गश्ती, परिवहन विमान/हेलीकॉप्टर के साथ-साथ विभिन्न रेंज और क्षमता के लड़ाकू विमान शामिल थे. ये ऑर्डर मुख्य रूप से फ्रांस (30 हेलिकॉप्टर और 49 एफजीए विमान), रूस (148 हेलिकॉप्टर और 210 विमान) और अमेरिका (6 हेलीकॉप्टर और 20 विमान) से आए थे. इन सौदों में मशहूर चीता हेलिकॉप्टरों के साथ-साथ एमआईजी विमान भी शामिल थे.
कांग्रेस के शासनकाल के दौरान हुए सौदों में विस्फोटक हथियारों के अलावा एंटीशिप और एंटी टैंक मिसाइलों की खरीद भी शामिल है. इस दौरान 40,000 से अधिक मिसाइलों के कुल 29 ऑर्डर दिए गए. ये सौदे करीब 3 अरब डॉलर के थे. SIPRI के आंकड़ों के मुताबिक, इनमें से लगभग 90 फीसदी ऑर्डर रूस को दिए गए. वहीं, बाकी ऑर्डर इजरायल, फ्रांस, यूक्रेन और यूएसए को दिए गए थे.
इन सौदों में फ्रिगेट (छोटे युद्धपोत) और अन्य नौसैनिक हथियार भी शामिल थे. SIPRI के आंकड़ों के अनुसार, भारत ने 2004 और 2006 में क्रमशः एक बिलियन डॉलर से अधिक के सौदों दिए, जिनमें रूस से 3 युद्धपोत और एक विमानवाहक पोत खरीदा गया. अन्य सौदों में इजरायल, इटली और रूस से खरीदे गए नेवल गन्स और मिसाइल सिस्टम शामिल थे.


बाकी सौदों में राडार सिस्टम, अलग-अलग तरह मिसाइलें और मिसाइल सिस्टम्स, सोनार, बख्तरबंद वाहन, डीजल इंजन और अन्य हथियार शामिल थे. आंकड़ों के मुताबिक, ये सौदे 14 अरब डॉलर से अधिक के थे. कई सौदों की वास्तविक कीमत का खुलासा नहीं किया गया था और वे सौदे उतने बड़े भी हो सकते हैं, जितने बड़े सौदों का खुलासा किया गया. ऐसे में आयात किए गए रक्षा हथियारों का वास्तविक मूल्य SIPRI के सार्वजनिक आंकड़ों में बताई गई कीमत से भी अधिक हो सकता है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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