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Vijay Garg: आंसू प्रथम दृष्टया आंखों से बहने वाला पानी दिखता है, लेकिन हम सब समझते हैं कि यह मानव जीवन की सबसे गहरी भावनाओं के अदृश्य पुल हैं। आंसू हमारे मन की कहानी कहते हैं, कभी खुशी से तो कभी गहरे दुख से । यह एक ऐसा माध्यम है, जो शब्दों के अभाव में हमारे भावों को व्यक्त करता है। इसका महत्त्व, प्रकार और इससे जुड़ी मानवीय संवेदनाएं इतनी व्यापक हैं कि इसे केवल एक शारीरिक क्रिया मान लेना अनुचित होगा। मनुष्य के भीतर भावनाओं की व्यापकता और बहुस्तरीय उतार-चढ़ाव के लिहाज से देखें तो आंसू अपने आप में कई प्रकार के होते हैं। हर आंसू अपने बहाव में एक अलग कहानी समेटे होता है । किन्हीं स्थितियों में बहा दिया जाए या बहने दिया जाए, तब ये सिर्फ आंसू हैं, मगर इसके विभिन्न रूपों को समझने की कोशिश इसके नए आयाम खोलती है। दुख के प्रतीक और हर्ष के अतिरेक में बहने वाले आंसुओं के बरक्स सहानुभूति के लिए बहाए गए आंसू सबसे अधिक भ्रमित करने वाले होते हैं । ऐसे आंसू अक्सर भावनाओं का शोषण करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इस नाम पर बहाए गए आंसुओं में ईमानदारी की कमी होती है और ये दूसरों को अपने प्रति दयालु बनाने का प्रयास करते हैं। इन्हें वास्तविकता का रूप देने के लिए नाटकीयता का भी सहारा लिया जाता है। जैसे कसम खाना, छाती पीटना या खुद को बेबस दिखाना । ऐसे आंसू संवेदनाओं के कृत्रिम प्रदर्शन हैं, जो सच्चे आंसुओं की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं ।
इस वर्ग में दूसरे प्रकार के आंसू वे होते हैं, जो स्वार्थी होते हैं । इस तरह के आंसू सच्चे तो दिखते हैं, लेकिन इनका केंद्र केवल ‘मैं' होता है। ये तब बहते हैं, जब व्यक्ति खुद किसी दुख या पीड़ा का सामना कर रहा हो। इन आंसुओं का संसार केवल व्यक्ति की अपनी समस्याओं तक सीमित होता है। दुनिया में चाहे कितनी भी बड़ी त्रासदी हो, इन आंसुओं का बहाव केवल अपने दर्द तक ही सीमित रहता है। इस तरह के आंसुओं को आत्म- केंद्रित भावनाओं का प्रतीक कहा जा सकता है।
दूसरों के दुख देखकर बहने वाले आंसू मानवीय संवेदनाओं का सबसे सुंदर और कोमल रूप हैं। किसी की तकलीफ, हानि या किसी की परेशानी देखकर कई बार किसी व्यक्ति की आंखों से आंसू अपने आप निकल आते । यह उस हृदय की निशानी हैं, जो न केवल अपने दर्द को महसूस करता है, बल्कि दूसरों के दुख को भी समझने और साझा करने की क्षमता रखता है। ऐसे आंसू इंसान के भीतर की करुणा और प्रेम को प्रकट करते हैं।
सबसे गहरे और रहस्यमय आंसू वे होते हैं, जो आंखों के किसी कोने में छिपे रहते हैं। ऐसे आंसू बिना किसी गवाह के बहते हैं। इन्हें कभी-कभी 'एकांत के आंसू' भी कहा जाता है। ये आंसू व्यक्ति की आत्मा की सच्चाई को बयान करते हैं । इनका कोई श्रोता नहीं होता, कोई गवाह नहीं होता । ये केवल आंसू बहाने वाले व्यक्ति और उसकी भावनाओं के बीच का मौन संवाद होते हैं। इन आंसुओं का बहना एक प्रकार की आत्म - स्वीकृति और मन की शांति की खोज का संकेत है।
आंसुओं का महत्त्व केवल भावनाओं को व्यक्त करने क सीमित नहीं है। ये हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक हैं। आंसुओं का बहना तनाव को कम करता है और मन को हल्का बनाता है । यह दुख और पीड़ा को व्यक्त करने का सबसे प्राकृतिक तरीका है। आंसुओं से भावनाओं का शुद्धीकरण होता है। ये मन को शुद्ध करते हैं। जब मन दुख भर जाता है, तो आंसू उसे बाहर निकालने का माध्यम बनते हैं । ये व्यक्ति को अंदर से हल्का और शांत महसूस कराते हैं। सच यह है कि आंसू मानवीय संवेदनाओं के प्रतीक हैं। ये हमें यह समझने का मौका देते हैं कि व्यक्ति का दिल कितना कोमल और संवेदनशील है। ये उस गहरे जुड़ाव को प्रकट करते हैं, जो इंसान को इंसान से जोड़ते हैं। आंसू अक्सर सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव को मजबूत बनाते हैं। जब हम किसी को रोते हुए देखते हैं, तो हमारे भीतर उसकी मदद करने की भावना उत्पन्न होती है। ये मानवीय करुणा और दया का प्रतीक हैं।
आंसू केवल आंखों से बहने वाली बूंदें नहीं हैं। यह जीवन के हर पहलू से जुड़े हैं। खुशी में बहने वाले आंसू यह सिखाते हैं कि जीवन में छोटे-छोटे पलों का जश्न मनाना चाहिए । दुख में बहने वाले आंसू यह याद दिलाते हैं कि जीवन संघर्षों से भरा है, लेकिन इन संघर्षों में छिपा है गहराई और सीखने का अवसर । मौन आंसू यह बताते हैं कि हर भावना को शब्दों में व्यक्त करना आवश्यक नहीं। कुछ भावनाएं इतनी गहरी होती हैं कि उन्हें केवल महसूस किया जा सकता है।
आंसू मानव जीवन का एक अद्भुत और अनिवार्य हिस्सा हैं। ये हमारी भावनाओं, संघर्षों और अनुभवों का प्रतिबिंब हैं । इनकी गहराई को समझना आसान नहीं, लेकिन इनका महत्त्व अनमोल है। हर तरह के आंसू एक कहानी कहते हैं। कुछ आंसू छलावा होते हैं, तो कुछ सच्चाई के प्रतीक । कुछ आंसू स्वार्थ से भरे होते हैं, तो कुछ करुणा और दया के । और कुछ आंसू ऐसे होते हैं, जो केवल हमारे सबसे निजी क्षणों के साक्षी होते हैं। हम जब भी आंसुओं को देखें, तो उन्हें केवल पानी की कुछ बूंदें न समझें। यह उन भावनाओं और अनुभवों का प्रतिबिंब हैं, जो इंसान को इंसान बनाते हैं। आंसू हमें यह सिखाते हैं कि सच्ची संवेदनशीलता और मानवीयता आंखों के इन छोटे- छोटे मोतियों में छिपी होती है ।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल शैक्षिक स्तंभकार गली कौर चंद मलोट
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Gulabi Jagat
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