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- इस्लामी जगत की हिंसा...
हमास-इजराइल के बीच लड़ाई फिर शुरू होती दिख रही है, क्योंकि इजरायल की नई सरकार ने यह कहकर गाजा पट्टी पर बम बरसाए हैं कि हमास की ओर से उसके इलाके में आग लगाने वाले गुब्बारे छोड़े जा रहे हैं। इसी के साथ इस्लामी जगत में इजरायल के खिलाफ आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं, लेकिन यही आवाजें तब खामोश रहती हैं कि जब अफगानिस्तान में मार-काट मची होती है। इन दिनों अफगानिस्तान के हालात फिर बहुत खराब होते दिख रहे हैं। वास्तव में वहां ईद के बाद से ही हालात खराब होते जा रहे हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो, जब बड़ी संख्या में निर्दोष-निहत्थे मुसलमान न मारे जाते हों। बीते दिनों तो पांच पोलियों कार्यकर्ताओं को भी मार डाला गया। पिछले महीने काबुल में एक स्कूल पर बमों से हमला कर 90 स्कूली लड़कियों और अन्य लोगों को मार डाला गया था, किंतु आश्चर्य है कि अफगानिस्तान का संहार दुनिया के मीडिया में कोई खास समाचार नहीं बनता। इसके विपरीत गाजा में एक मृतक मुस्लिम बच्ची का फुटेज, नाम सहित दुनिया भर के मीडिया में कई दिन चलते रहे। ऐसा विचित्र भैंगापन क्यों? क्या केवल इसलिए, क्योंकि अफगानिस्तान में सैकड़ों निर्दोष मुसलमानों की हत्याएं मुसलमानों ने ही कीं? क्या कारण है कि गाजा की मौतें तो चिंता का विषय बनती हैं, लेकिन अफगानिस्तान की नहीं-भले ही वहां बच्चे और महिलाएं ही क्यों न मारे जाएं?