सम्पादकीय

उम्मीद के संकेत: पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने की पहल

Gulabi
2 Aug 2021 3:13 PM GMT
उम्मीद के संकेत: पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने की पहल
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पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी दखल से उपजे विवाद के बाद सतही तौर पर शांति जरूर नजर आती है

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी दखल से उपजे विवाद के बाद सतही तौर पर शांति जरूर नजर आती है लेकिन तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है। विगत में इस तनाव को खत्म करने की दिशा में सैन्य कमांडरों की ग्यारह दौर की वार्ता हो चुकी है। एक समय सैनिकों के बीच टकराव के बाद स्थिति काफी तनावपूर्ण हो गई थी। कूटनीतिक प्रयासों से स्थिति में सुधार अवश्य हुआ लेकिन स्थिति सामान्य नहीं हो पायी है। भारत चाहता है कि एलओसी पर अप्रैल, 2020 वाली स्थिति बहाल हो। इसी कड़ी में शनिवार को भारत व चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बारहवें दौर की बातचीत हुई, जो करीब नौ घंटे चली। बताते हैं कि इस सैन्य वार्ता में हॉट स्प्रिंग, गोगरा और पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की तत्काल वापसी की बात की गई। एलएसी पर चीन की तरफ स्थित मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई वार्ता में तनाव के बिंदुओं पर शांति बहाली व सैनिकों की वापसी प्रक्रिया पर वार्तालाप हुआ, जिसमें पहले की तरह बिना किसी बाधा के पेट्रोलिंग को बहाल करने पर चर्चा हुई। वास्तविक स्थिति दोनों देशों के सैन्य व राजनीतिक नेतृत्व के विमर्श के बाद ही सामने आने की उम्मीद है। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि चीन भारत की घेराबंदी की चौतरफा कोशिश में लगा है। चीन व पाक की जुगलबंदी भारत के लिये नित नयी चुनौतियां पेश करती रहती हैं।

हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा और उस दौरान दलाई लामा के प्रतिनिधियों से उनकी वार्ता के बाद चीन खासा तिलमिलाया है। ऐसे में साम्राज्यवादी चीन के मंसूबों को समझना कठिन नहीं है। इसके बावजूद यदि सैन्य वार्ता में प्रगति होती है तो इसे सुखद ही कहा जाना चाहिए। संकेत मिल रहे हैं कि वार्ता के बाद कुछ इलाकों से सैनिकों की पूर्व स्थिति में जाने पर सहमति बनी है। विगत में दोनों देशों द्वारा विवाद के बाद एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों व भारी–भरकम सैन्य संसाधनों की तैनाती हुई है, उससे क्षेत्रीय सुरक्षा व शांति के लिये खतरा पैदा हो गया था। ऐसे में उम्मीद जगी है कि चौदहवीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन की चीनी सैन्य कमांडर से बातचीत के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। यूं तो भारत अप्रैल, 2020 की यथास्थिति को बहाल करना चाहता है, लेकिन चीन के मंसूबों के बारे में तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी। खासकर जब तक चीनी सैनिक इन इलाकों से वापस नहीं चले जाते। कहा जा रहा है कि गोगरा व हॉट स्िप्रंग को लेकर कुछ सकारात्मक प्रगति हुई है। इसके साथ ही दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जमीनी स्तर पर स्थिरता कायम हो सके। कहा जा रहा है कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की शंघाई सहयोग संगठन के मंच पर ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में पिछले माह हुई दि्वपक्षीय बातचीत के बाद ही पूर्वी लद्दाख में शांति व स्थिरता की दिशा में सैन्य कमांडरों की बैठक संभव हो पायी है।
दैनिक ट्रिब्यून
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