सम्पादकीय

संपत्ति मौद्रीकरण योजना का महत्व: एनएमपी योजना आर्थिक-सामाजिक विकास और नए रोजगार पैदा करने वाली सिद्ध होगी

Tara Tandi
28 Aug 2021 3:46 AM GMT
संपत्ति मौद्रीकरण योजना का महत्व: एनएमपी योजना आर्थिक-सामाजिक विकास और नए रोजगार पैदा करने वाली सिद्ध होगी
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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में एक महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| भूपेंद्र सिंह| केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में एक महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया है। इसे राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) का नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत चार वर्षों के दौरान सरकारी संपत्तियों से छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी है। सरकारी संपत्तियों से धन जुटाने के लिए अब तक आई विभिन्न योजनाओं की तुलना में एनएमपी योजना कहीं व्यापक और बहुआयामी है। इसके तहत केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2024-25 तक सूचीबद्ध की गई रेल, सड़क और बिजली सेक्टर सहित 20 तरह की बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण के लिए चरणबद्ध तरीके से काम करेगी। इसमें केवल उन्हीं परिसंपत्तियों को शामिल किया जाएगा जो पहले से परिचालन के स्तर पर हैं। इस योजना के तहत निजी क्षेत्र को निर्धारित की गई सार्वजनिक अचल संपत्ति को सिर्फ संचालित करने और रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाएगी। उनका मालिकाना हक सरकार के पास बना रहेगा। एक निर्धारित समयावधि के बाद संपत्ति सरकार को वापस सौंपी जानी होगी। ऐसे में उनका पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर भी सरकार के पास आ जाएगा।

संपत्ति मौद्रीकरण राजस्व जुटाने से संबंधित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य नया बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए निजी क्षेत्र से निवेश आकर्षित करना और सरकारी बुनियादी ढांचे का प्रभावी प्रबंधन भी है। वस्तुत: एनएमपी के तहत संपत्तियां बेची नहीं जा रही हैं, बल्कि उन्हें पट्टे पर दिया जा रहा है। इससे प्राप्त होने वाले धन को सरकारी क्षेत्र द्वारा अन्य पूंजी निर्माण में इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके जरिये सरकार जो धन जुटाएगी, उसका उपयोग बुनियादी ढांचा निर्माण एवं विकास कार्यों पर किया जाएगा। यदि हम सूचीबद्ध की गई आधारभूत संपत्तियों को देखें तो पाते हैं कि सरकार केवल उन्हीं संपत्तियों को निजी क्षेत्र को निवेश के लिए सौंपेगी, जिनका अभी सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसा किए जाने से सड़क परियोजनाओं, बिजली आपूर्ति लाइनों, प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों, रेलवे स्टेशनों, यात्री रेलगाड़ियों, माल गोदामों, दूरसंचार टावरों, विमानन, जहाजरानी, कोयला खनन क्षेत्र, दो राष्ट्रीय खेल स्टेडियमों आदि संपत्तियों के मौद्रीकरण से बड़े पैमाने पर निजी निवेश मिल सकेगा। जिन संपत्तियों के मौद्रीकरण से छह लाख करोड़ रुपये अनुमानित किए गए हैं, वह राशि सांकेतिक है। वास्तविक मूल्य प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया से मालूम हो पाएगा।

यहां यह उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना और विनिवेश कार्यक्रम में बड़ा अंतर है। सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाती है। विनिवेश की इस प्रक्रिया के जरिये सरकार अपने शेयर बेचकर संबंधित कंपनी में अपना मालिकाना हक घटा देती है। इससे सरकार को दूसरी योजनाओं पर खर्च करने के लिए धन मिलता है। वहीं राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन योजना में सार्वजनिक क्षेत्र की बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों को कुछ समय के लिए निजी क्षेत्र को संचालित करने तथा रखरखाव के लिए दिया जाता है और सरकार का संपत्ति पर मालिकाना हक बना रहता है। ऐसे में परिसंपत्ति मौद्रीकरण से बिना बजट पर दबाव डाले सार्वजनिक निवेश के लिए संसाधन जुटाए जा सकते हैं। इसमें दो मत नहीं है कि सरकारी परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण अर्थव्यवस्था के लिए उपयोगी होगा। इसमें विकास को गति देने वाले पूंजीगत व्यय में वृद्धि होगी। वैसे इस समय देश की अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हो रहा है। देश में विदेशी निवेश बढ़ता जा रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है। शेयर बाजार छलांग लगाकर आगे बढ़ रहा है। वहीं निजी क्षेत्र का सार्वजनिक क्षेत्र की आधारभूत परिसंपत्तियों में निवेश का रुझान बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा हैं। ज्ञात हो कि पावर ग्रिड कारपोरेशन से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को अच्छी सफलता मिली है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण भी शीघ्र ही निवेश पाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट शुरू करने वाला है।

हालांकि एनएमपी योजना की सफलता के लिए कई बातों पर ध्यान भी देना होगा। सरकार पिछले कई वर्षों से बजट में घोषित विनिवेश लक्ष्य पाने में पिछड़ती रही है। चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पाने के मामले में सरकार बहुत पीछे है। ऐसे में विनिवेश की तुलना में सरकारी परिसंपत्ति का मौद्रीकरण और अधिक चुनौतीपूर्ण एवं जटिल होगा। विगत दशकों में सरकारी संपत्तियों से धन जुटाने के कुछ प्रयास उपयुक्त तैयारियों और क्रियान्वयन संबंधी कमियों के कारण वांछित सफलता से दूर रहे हैं। कई प्रशासनिक चुनौतियां भी हैं। ऐसे में एनएमपी को सफलतापूर्वक लागू किया जाना प्रभावी प्रशासनिक ढांचे के साथ प्रगति की समयानुसार निगरानी पर निर्भर होगा। इस मामले में कुछ जोखिमों पर भी विचार करना होगा। इनमें कर्ज संबंधी, पर्यावरण संरक्षण कानून, कर कानून जैसे अनुपालन जोखिम शामिल हैं। इसके अलावा मौद्रीकरण वाली संपत्ति के जीवन काल और क्षमता को लेकर भी विभिन्न जोखिमों पर ध्यान देना होगा। सरकार को सावधान रहना होगा कि संपत्ति मौद्रीकरण के लाभ का इस्तेमाल विकास के लिए हो। इस धन का उपयोग राजकोषीय घाटे और अन्य सरकारी व्यय की भरपाई में नहीं हो।


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