सम्पादकीय

भले ही शर्मीले लोग जॉइनिंग के पहले ही दिन कुछ ना करें लेकिन आपका पीआरओ बनने के लिए वे सबसे बेहतर है

Rani Sahu
18 April 2022 9:05 AM GMT
भले ही शर्मीले लोग जॉइनिंग के पहले ही दिन कुछ ना करें लेकिन आपका पीआरओ बनने के लिए वे सबसे बेहतर है
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वह लड़की जुड़वा बच्चों में से एक है

एन. रघुरामन

वह लड़की जुड़वा बच्चों में से एक है। इसका मतलब है कि उसके साथ हमेशा कोई ऐसा था, जिसके पीछे वह खड़ी हो सकती थी। उसे कभी नहीं लगा कि वह एक्सपोज हो रही है, क्योंकि उसे लगता था कि एक से ताकतवर दो होते हैं। इसलिए वह शांत लेकिन आत्मविश्वास से भरी थी। जब वह 14 की थी, तब एक फ्रेंच क्लास में उसे एक असाइनमेंट मिला, जिसमें उसे अपनी बात रिकॉर्ड करके सुननी थी।
उस रिकॉर्डिंग में उसे केवल एक छोटी बच्ची की बातें सुनाई दीं। उसकी पहली प्रतिक्रिया आई कि वह गलत टेप सुन रही है और जब उसे समझ आया कि यह उसी की आवाज है तो जैसे उसके दिमाग में धमाका हुआ! उसे पता लगा कि उसमें कुछ अजीब था और उसके बाद वह छुपने लगी। वह नहीं चाहती थी कि कोई भी उसे देखे। वह संकोची हो गई।
वह कमरे में कंधे झुकाकर चलती, मानो छोटे से छोटा होने की कोशिश कर रही हो। उसे हमेशा लगता था कि वह योग्य नहीं है। चूंकि उन दिनों मेंटल हेल्थ पर ज्यादा चर्चा नहीं होती थी, इसलिए किसी ने भी उससे इस बारे में बात नहीं की। वह जूझती रही। उसके बड़े होने तक यही क्रम जारी रहा।
शर्मीले लोगों को लगता है कि कोई अदृश्य ताकत उन्हें पीछे खींच रही है। काम के शुरुआती दिनों में जब दूसरे नाच रहे होते हैं तो वे केवल तालियां बजाते हैं। वे मीटिंग में बातचीत की शुरुआत नहीं करते हैं। उसे भी महसूस हुआ कि कॉलेज में उसके दोस्त हमेशा जोर से बोलने वालों को सुनते हैं, शर्मीले लोगों को नहीं।
धीरे-धीरे शर्मीलापन जीवन के तमाम आयाम प्रभावित करने लगता है, फिर चाहे आपने नादिया फाइनर की तरह मार्केटिंग में एक बेहतरीन जॉब क्यों न पा ली हो। नादिया अच्छी तरह से मैसेज भेज देती थीं, लेकिन फोन पर बात करने से शरमाती थीं। प्रमोशंस में उनकी अनदेखी होती, क्योंकि उन्होंने कभी खुद को लाउड होकर पेश नहीं किया।
अमूमन वे सोचतीं कि लोग उन पर हंसेंगे। लेकिन आज चीजें 360 डिग्री बदल चुकी हैं। जब आंत्रप्रेन्योर्स को पता लगता है कि उन्होंने कोई नया अच्छा प्रोडक्ट बनाया है तो वे उनके पास आते हैं, लेकिन बाजार में इस पर बात नहीं करते। यह बदलाव कैसे आया?
6 साल पहले उन्होंने बॉक्सिंग शुरू की और जीवन बदल गया। क्योंकि फिजिकल चीज से आप मजबूत बनते हैं। बॉक्सिंग ने प्रेशर हैंडल करने में उनकी मदद की। बाद में उन्होंने मार्केटिंग नौकरी छोड़ी और एक किताब लिखी- 'मोर टु लाइफ दैन शूज'। इस किताब ने महिलाओं को कुछ करने व अपने सपने पूरा करने का आत्मविश्वास, प्रेरणा दी। 3 साल पहले उनका पॉडकास्ट 'शाय एंड माइटी' अस्तित्व में आया।
उन पॉडकास्ट्स में वे कहने लगीं कि शर्मीले लोग प्रतिभाशाली, उदार, विचारपूर्ण, रोचक व बुद्धिमान होते हैं। वे निष्ठावान-गहराई से सोचने वाले होते हैं। वे अच्छे श्रोता भी होते हैं। इसलिए शर्मीलापन एक ताकत है और कभी-कभी तो सुपरपॉवर भी है।
एक इंटरव्यू में वे आत्मविश्वास से कहती हैं कि हो सकता है हम नाचने गाने या पहल करने को लेकर सहज न हों, हो सकता है हमें पसीने छूटने लगें, लड़खड़ा जाएं या भोजन बिखरा दें, लेकिन एक गहरी सांस लेने के बाद हम आमने-सामने की बातचीत में बेहतरीन साबित होते हैं। और धीरे-धीरे जब हम 'लोग क्या कहेंगे' के डर के बिना बोलने लगते हैं तो दूसरे लोग भी शामिल होने लगते हैं और कहते हैं- 'हां, मेरा भी यही सोचना है।' वास्तव में शर्मीले लोग दूसरों को बात करने के लिए सहज बनाते हैं।
फंडा यह है कि भले ही शर्मीले लोग जॉइनिंग के पहले ही दिन कुछ ना करें, उन्हें खुलने में थोड़ा समय लगे, लेकिन आपका पीआरओ बनने के लिए वे सबसे बेहतर हैं, क्योंकि लोगों से जुड़ना, उनकी बातें अच्छे से सुनना उनकी ताकत है और यही आगे जाकर सुपरपॉवर बन जाती है।
Rani Sahu

Rani Sahu

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