सम्पादकीय

शुभ दीपोत्सव: एक दीपक शांति का, प्रार्थना का और एक सांत्वना का सदा जलता रहे..!

Shiddhant Shriwas
4 Nov 2021 9:17 AM GMT
शुभ दीपोत्सव: एक दीपक शांति का, प्रार्थना का और एक सांत्वना का सदा जलता रहे..!
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इस दीप पर्व पर उन मृत आत्माओं को शांति और श्रद्धांजलि जो इस महामारी का शिकार हुए और कई अव्यवस्था के चलते अकारण अपनी जान से हाथ धो बैठे।

इस दिवाली सभी आत्मीय, प्रियजन, दोस्तों, रिश्तेदारों और साथियों के जीवन में आनंद, उत्साह और शांति हो और सबसे बड़ी कामना, सभी के जीवन में आरोग्य की उजास फैले। इस साल जिस अंधेरे से निकलकर हम जीवन की मद्धम, स्वच्छ और स्वस्थ रौशनी में प्रवेश कर रहे हैं, यह यात्रा निश्चिंत गति से सतत् प्रवाहमान रहे।

आज दीपोत्सव की रौनक हर द्वार चौखट पर है। बंदनवार मुस्कुरा रहे हैं, फूल आम के पत्तों की डोर से बंधे सुवासित हैं, शाम होते-होते ओटलों, चौबारों और अनगिनत फ्लैट्स के असंख्य कोनों में रंगोलियां सज-धज कर रंगमय और दीपमय होंगी। ऐसे में इस त्योहार की यह जगमग मुस्कुराहट सदा खिली रहे। वैसे भी दीपावली की रौनक सालभर के पर्व और उत्सवों की खुशियों की सबसे चमकती उजास है। ऐसी प्रकाशमय छाया, जिसके तले सभी त्योहार मद्धम और मंथर चाल से, उत्सव में रमते मनों को उल्लास, उत्साह और आनंद से भर देती है।

रौशनी के इस पर्व पर प्रार्थना है कि हम सब एक सुखद, स्वस्थ और निश्चिंत सामान्य जीवन की ओर लौटें। एक दूसरे को थामें, सहारा दें और मन के भीतर अपनत्व, प्रेम और भाईचारे के दीपक जलाएं। हारी, बीमारी, महामारी के अंधेरे से मिलकर लड़ें और जीवन की सतत् चलने वाली लय की रौशनी में प्रवेश करें। सारे मन सहज प्रेम के उजियारे में रम जाएं और उतने ही सजग, सतर्क रहकर सेहत का भी ध्यान रखें क्योंकि यही दीपावली की सबसे कीमती रौशनी है।

यह वर्ष 2021 कड़वी और दुखों से भरी स्मृतियों का ऐसा हिस्सा है जो आजीवन हमें सालता रहेगा। हम नहीं भूल पाएंगे कि महामारी के अचानक और प्राणघातक आघात ने हजारों लोगों को असमय कालकलवित कर लिया। सांस-सांस की जंग और मृत्यु का शर्मनाक तांडव आज भी दहशत से भर देता है, वह एक शोक लहर थी जिसमें अकाल और अपघाती मृत्यु का सिलसिला थमता नजर ना आता था। सूने और उदासी में डूबे घरों में बदहवास, शोकाकुल परिजन के टूटे मन थे और बिलखते चेहरे नजर आ रहे थे।

आज जबकि हम डरे, भयग्रस्त और एक दूसरे का हाथ-थामते और अपने टूटे, थके और उदासी में डूबे मनों को ढांढस बंधाकर एक छोटी सी रौशनी के कतरे में दो कदम आगे बढ़ें हैं-

ऐसे में, दीपों के इस पर्व पर-

एक दीप शांति का जलाएं-

एक प्रार्थना का प्रज्वलित करें-

और एक सांत्वना का प्रकाशित करें ताकि टूटे, उदास और मायूस मन संबल हासिल करें, उन परिजनों के भीतर का अंधेरा कम हो जिन्होंने असमय अपने किसी प्रिय को खोया, उन वृद्ध, अनाथ और अकेले रह गए लोगों को हिम्मत मिले जो इस दुष्चक्र का शिकार हुए, उनके जीवन में प्रकाश हो..!

इस दीप पर्व पर उन मृत आत्माओं को शांति और श्रद्धांजलि जो इस महामारी का शिकार हुए और कई अव्यवस्था के चलते अकारण अपनी जान से हाथ धो बैठे। यह समय अब भी कठिन है। हम अब भी कोरोना से लड़ रहे हैं, डेंगू से जूझ रहे हैं, जीका वायरस की काली छाया दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और कानपुर से लेकर कई जगह पैर फैला रही है, रही-सही कसर राजधानी में स्वाइन फ्लू और प्रदूषण ने पूरी की है।

यकीनन, चुनौतियां ज्यादा हैं और दूर तक फैली दिखाई देती हैं। टेस्टिंग कम है, लिहाजा इसलिए चीजें वैसी दिख नहीं रहीं, लेकिन एक समानांतर अंधेरा लुक-छिपकर साथ चल रहा है, उस पर नजरें और सतर्कता बनाएं रखें क्योंकि सतर्कता और सजगता की रौशनी ही उसे मिटाएगी।

पर्व और उत्सव जीवन में रौशनी ही बढ़ाते हैं और त्योहारों की सामूहिक खुशियां मिल-जुलकर बाधाओं से पार जाकर कठिन से कठिन समय का सामना करने की ताकत देते हैं.

उम्मीद है यह प्रकाशपर्व हमारे भीतर उजास फैलाएगा और हम परिस्थितियों को ज्यादा पारदर्शी तरीके से देख पाएंगे। दीपावली का यह प्रकाश हमें हर तरह के अंधेरे से पार करने में सक्षम बनाए ऐसी ईश्वर से कामना है।

इधर, दीपावली की रौशनी सूर्य उपासना के महापर्व छठपूजा के तप और निष्ठा की ऊर्जा में समाहित होकर दोगुनी होकर चमकने लगी है। दो महापर्वों की युति हमें ऊर्जा और साहस दे, संबल दे और रोगों से लड़ने की शक्ति प्रदान करे. अपने स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखें। रोगों का यही तमस है जिसे सजगता, सतर्कता और जागरूकता के साथ हमें मिलकर हराना है..!

आप सभी को दीपावली की मंगलमय शुभकामनाएं..

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): यह लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए अमर उजाला उत्तरदायी नहीं है। अपने विचार हमें [email protected] पर भेज सकते हैं। लेख के साथ संक्षिप्त परिचय और फोटो भी संलग्न करें।

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