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रवीश कुमार 28 सेकेंड का यह वीडियो है. एक सेकेंड के वीडियो में 24 से 30 फ्रेम होते हैं. 840 फ्रेम. 28 सेकेंड के इस वीडियो के एक एक फ्रेम में क्रूरता और मंत्री के झूठ की ऐसी गवाहियां हैं कि इस 28 सेकेंड का पूरा ब्यौरा बताने के लिए 28 घंटे भी कम पड़ जाएं. सोमवार रात दुनिया भर में व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक के बाद भी अकेले ट्विटर से यह वीडियो इतना वायरल हो गया कि लखीमपुर खीरी के किसानों की हत्या को लेकर फैलाया गया झूठ का शामियाना उजड़ गया. वह वीडियो उस जीप की कहानी का सच लेकर आ गया है जिसने शांति से लौट रहे किसानों को पीछे से कुचल दिया. लेकिन यह वीडियो केवल यह बताने नहीं आया कि किसानों को जीप ने कैसे कुचला, बल्कि यह बताने आया है कि थार जीप और गोदी मीडिया में कोई अंतर नहीं है. जिस तरह से जीप ने किसानों को कुचल दिया उसी तरह गोदी मीडिया हर दिन लोगों को कुचल रहा है. गोदी मीडिया के एंकरों और चैनलों ने आपको नज़रबंद कर लिया है. यह वीडियो नहीं आता तो आपके मन में एक संदेह सच का रूप ले चुका होता कि किसान ही उपद्रवी हैं. और इस तरह से किसानों की हत्या करने वाले आपकी निगाहों में संत हो जाते.