सम्पादकीय

शोभना जैन का ब्लॉग: इमरान लाएंगे पाकिस्तान में राजनीतिक तूफान?

Rani Sahu
27 Aug 2022 1:19 PM GMT
शोभना जैन का ब्लॉग: इमरान लाएंगे पाकिस्तान में राजनीतिक तूफान?
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इमरान लाएंगे पाकिस्तान में राजनीतिक तूफान?
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों से चल रही भारी राजनीतिक उथल-पुथल और अनिश्चितता के माहौल में आखिर पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की आतंकवाद रोधी अधिनियम मामले में गिरफ्तारी पर आगामी एक सितंबर तक रोक लगा दी गई। ऐसे में सेना की वहां वह ताकतवर भूमिका नजर नहीं आ रही है जिसके जरिये वह हमेशा सिविल/ निर्वाचित सरकार पर अपना दबदबा बना कर रखती थी, और मौजूदा घटनाक्रम सिविल सरकार तथा सैन्य तंत्र के बीच बढ़ रहे तनाव को और गहरा करेगा।
पाकिस्तान का कोई भी प्रधानमंत्री अलग-अलग वजहों से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया, किसी की हत्या हुई, किसी को जेल काटनी पड़ी तो किसी को निर्वासन भोगना पड़ा। सवाल है कि इस घटनाक्रम के बाद देश की राजनीति में सेना की क्या भूमिका होगी, इमरान खान के साथ उनके रिश्ते क्या होंगे।
इन हालात में आर्थिक बदहाली और राजनीतिक अस्थिरता झेल रहे देश में क्या स्थितियां बनेंगी खास तौर पर अगले साल होने वाले आम चुनावों से पहले के राजनीतिक समीकरण, सेना की भूमिका और चुनाव के बाद सेना और निर्वाचित सरकार के समीकरण, इन तमाम सवालों के जवाब का इंतजार है।
गौरतलब है कि इमरान खान के खिलाफ आतंकवाद रोधी अधिनियम के तहत दर्ज मुकदमे में उन्हें एक लाख के मुचलके पर एक सितंबर तक अग्रिम जमानत मिल गई है। इससे पूर्व उनके समर्थकों के आक्रामक रुख के मद्देनजर ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही थी कि इस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिलने की स्थिति में देश में उनके समर्थकों द्वारा कानून और व्यवस्था की स्थिति को चुनौती दी जाएगी। इमरान खान पर आरोप है कि गत 20 अगस्त को उन्होंने एक रैली में महिला जज और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को धमकी दी थी।
इससे पूर्व भी अदालत ने 25 अगस्त तक इमरान खान की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की व्यवस्था दी थी। वह अवधि खत्म होने पर अदालत ने एक बार फिर एक सितंबर तक गिरफ्तारी पर रोक लगाने के आदेश दिए। वैसे कानूनी जानकारों के अनुसार इमरान पर अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें लंबे समय के लिए जेल जाना पड़ सकता है। पुलिस ने एक सार्वजनिक रैली में भाषण के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
इस मामले से जुड़ी अहम बात यह है कि शाहबाज शरीफ सरकार ने इमरान के खिलाफ कोई सामान्य मुकदमा दर्ज नहीं किया, बल्कि आतंकवाद रोधी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। सुनवाई के दौरान मजिस्ट्रेट ने कहा था कि इमरान के भाषण से पुलिस, न्यायाधीशों तथा देश में भय और अनिश्चितता का माहौल बन गया है। उन्होंने कहा आतंक पूरे देश में फैल गया है जिससे देश की शांति को खतरा उठ खड़ा हुआ है। पाकिस्तान के कई कानून विशेषज्ञों का कहना है कि इमरान खान के खिलाफ हुई एफआईआर रद्द हो सकती है क्योंकि इसका आधार मजबूत नहीं है।
दरअसल कहा जा रहा है कि अनियमितताओं से घिरे चुनाव के बाद ही इमरान पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आईएसआई की जोड़तोड़ के बाद प्रधानमंत्री बन पाए थे लेकिन पाकिस्तान के पिछले इतिहास की तरह यह जुगलबंदी ज्यादा नहीं चल पाई और जल्द ही इमरान की पार्टी व सेना आमने सामने आ गए। वैसे इस मामले को लेकर एक व्याख्या यह भी बताई जा रही है कि शाहबाज शरीफ सरकार जल्द चुनाव कराने से बचना चाह रही है, इसलिए वह अपने प्रमुख राजनीतिक विरोधियों को जेल में डालने की कोशिश कर रही है तथा शरीफ सरकार की इन कार्रवाइयों को सेना का समर्थन हासिल है।
वैसे पाकिस्तान की राजनीति पर नजर रखने वाले एक जानकार के इस मत से सहमति व्यक्त की जा सकती है कि अदालत अगर इमरान के खिलाफ कोई कार्रवाई करने की व्यवस्था देती है तो इस कदम से इमरान खान को मजबूती ही मिलेगी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटारेस के प्रवक्ता स्टीफेन दुजारिक ने एक बयान में पाकिस्तान सरकार से 'निष्पक्ष वैधानिक प्रक्रिया' का पालन करने का अनुरोध किया और कहा- 'संयुक्त राष्ट्र महासचिव की अपील है कि देश में तनाव घटाया जाए और कानून के शासन, मानव अधिकारों व बुनियादी स्वतंत्रताओं का सम्मान किया जाए।'
ऐसे में जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट है, जनता में असंतोष है और सरकार निरंतर जनता के सवालों से घिरती नजर आ रही है, अहम सवाल यह भी है कि पाकिस्तान की राजनीति की अहम धुरी या यूं कहें सिविल सरकार पर हावी रहने वाली सेना इस राजनीतिक उथल-पुथल में जिस तरह से कमजोर नजर आ रही है, इसका देश पर और राजनीति पर क्या असर पड़ेगा?
इमरान खान के साथ-साथ पाकिस्तान पर इस उथल-पुथल के क्या परिणाम होंगे, सेना की भूमिका क्या रहेगी, दबदबा क्या बना रहेगा? इनके जवाब तो फिलहाल भविष्य के गर्भ में ही हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए क्षेत्र के सभी देशों की स्थिरता और शांति भी जरूरी है।
Rani Sahu

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