सम्पादकीय

शोभना जैन का ब्लॉग: मालदीव में अब 'इंडिया फर्स्ट' की नीति

Rani Sahu
13 Aug 2022 3:19 PM GMT
शोभना जैन का ब्लॉग: मालदीव में अब इंडिया फर्स्ट की नीति
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मालदीव में चार वर्ष पूर्व चीन की नजदीकियों वाली पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार की 'इंडिया आउट' की नीति के बाद मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद 'इबू' सोलिह के 'इंडिया फर्स्ट' के अभियान को उनकी हाल की भारत यात्रा से मजबूती मिली है
By लोकमत समाचार सम्पादकीय
मालदीव में चार वर्ष पूर्व चीन की नजदीकियों वाली पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार की 'इंडिया आउट' की नीति के बाद मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद 'इबू' सोलिह के 'इंडिया फर्स्ट' के अभियान को उनकी हाल की भारत यात्रा से मजबूती मिली है. लेकिन यह भी सच है कि यह एक बड़ी चुनौती है, जिसे न केवल भारत बल्कि सोलिह अपनी आर्थिक और सुरक्षा संबंधी मौजूदा परिस्थिति में पूरा करने के लिए कटिबद्ध हैं. साथ ही इस नीति को लेकर घरेलू राजनीति के दबाव और उथल-पुथल से निबटना भी एक बड़ी चुनौती है.
स्थिति इसलिए भी पेचीदा है कि वहां पूरी तरह से बंटी घरेलू राजनीति में विपक्षी गठबंधन ने अगले साल के चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नामित किया है. हालांकि अभी इस बारे में औपचारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह सोलिह के लिए सिरदर्दी बढ़ाने वाला ही माना जाएगा. सोलिह के कार्यकाल में भारत के प्रति उनकी सरकार के रुख से जाहिर है कि उन्होंने अपने देश और क्षेत्र की पूरी स्थिति के मद्देनजर सोच-समझ कर भारत के साथ नजदीकियां बढ़ाई हैं.
यहां यह बात गौर करने लायक है कि इसी क्रम में सोलिह ने देश में लगभग सालभर से चल रहे 'इंडिया आउट' अभियान को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर प्रतिबंधित कर दिया. इससे उनकी सरकार विपक्षी दलों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. दरअसल, मालदीव की विपक्षी पार्टी प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के प्रमुख और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन बीते लगभग एक साल से 'इंडिया आउट' अभियान की अगुवाई कर रहे हैं.
इस अभियान के तहत उनके दल की तरफ से यह आरोप लगाए जा रहे हैं कि हिंद महासागर में स्थित मालदीव में भारतीय सैन्य अधिकारियों की कथित तैनाती की गई है जो कि देश की संप्रभुता का उल्लंघन है जबकि मालदीव के विदेश और रक्षा मंत्रालय बार-बार इन दावों को खारिज करते रहे हैं. प्रतिबंधित करने संबंधी अधिसूचना में कहा गया कि भारत के खिलाफ अभियान एक संगठित अभियान है, जिसका मकसद मालदीव और भारत के बीच लंबे समय से चले आ रहे द्विपक्षीय संबंधों को बाधित करना है.
इसके साथ ही मालदीव की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालकर इस क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्वपूर्ण प्रयासों को बाधित करना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा, 'हिंद महासागर में अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा गंभीर है. इसलिए रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और मालदीव के बीच घनिष्ठ संपर्क और समन्वय पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए अहम है.'
वर्ष 2018 में राष्ट्रपति बनने के बाद नई दिल्ली की अपनी हाल की तीसरी यात्रा के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद 'इबू' सोलिह का यह बयान द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम माना जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा कि भारत उनके देश और सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है. खासतौर पर ऐसे में जबकि चार वर्ष पूर्व मालदीव 'इंडिया आउट' के दुःस्वप्न से गुजर चुका है, जिसमें भारत विरोधी अभियान जोर-शोर से चलाया गया.
इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की सुरक्षा चिंताओं के प्रति सचेत रहने और अपने-अपने इलाकों का इस्तेमाल किसी अन्य के लिए प्रतिकूल गतिविधि के लिए नहीं होने देने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की. एक पूर्व राजनयिक के अनुसार ये आपसी संबंधों में परिपक्वता और सकारात्मक सोच की प्रतिबद्धता दर्शाती है.
अगर भारत के मालदीव के साथ सुरक्षा और आर्थिक सहयोग की बात करें तो सामरिक दृष्टि से अहम इस क्षेत्र के विकास और सुरक्षा के लिए भारत सहायता और ऋण देता रहा है. दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ा है, साथ ही कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के तहत क्षेत्र के हिंद महासागर और दक्षिण एशियाई देशों को भी जोड़ने का प्रयास है. सोलिह के सत्ता में आने के बाद पिछले चार वर्षों में भारत मालदीव को अनेक बड़ी परियोजनाओं के लिए आर्थिक सहायता और कर्ज देता रहा है.
सोलिह की हाल की भारत यात्रा के दौरान भी उसके यहां आधारभूत सेवाओं का विस्तार करने और संपर्क मार्गों का विस्तार करने के कार्यक्रम के तहत ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना के लिए 50 करोड़ डॉलर की सहायता दिए जाने की घोषणा भारत ने की है जो अब तक की सबसे बड़ी सहायता है. इसी तरह क्षेत्र के विकास और सुरक्षा के लिए सागर परियोजना को भी सहायता दी गई है.
हिंद महासागर के तटीय द्वीप मालदीव के साथ भारत के लिए प्रगाढ़ संबंध अगर वहां की सामरिक स्थति के मद्देनजर अहम हैं तो मालदीव के लिए भी भारत के साथ संबंध उसके सुरक्षा सरोकार, आर्थिक विकास और आधारभूत क्षेत्र के विकास के लिए बहुत ही अहम हैं. खासतौर पर जिस तरह से पड़ोसी देश श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के चौपट होने की एक बड़ी वजह चीन के आर्थिक ऋण जाल के दुष्चक्र में फंसना रहा, ऐसे में मालदीव का वर्तमान नेतृत्व भारत के साथ परस्पर हित के संबंधों को बढ़ावा दे रहा है.
भारत को भी सतर्कता के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना होगा, साथ ही इस मुद्दे के प्रति निरंतर सतर्क रहना होगा कि भारत की घरेलू राजनीति से जुड़े संवेदनशील मुद्दों को वे तत्व तूल न दे सकें जो भारत के पक्ष को गलत ढंग से रखने के मौके की तलाश में हों.
Rani Sahu

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