सम्पादकीय

शशिधर खान का ब्लॉग: उल्फा शांति समझौते के बन रहे हैं आसार!

Rani Sahu
11 Aug 2022 5:20 PM GMT
शशिधर खान का ब्लॉग: उल्फा शांति समझौते के बन रहे हैं आसार!
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उल्फा शांति समझौते के बन रहे हैं आसार!

By लोकमत समाचार सम्पादकीय

'स्वाधीन संप्रभु असोम' के लिए हिंसक आंदोलन छेड़ने वाले यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) चेयरमैन अरविंद राजखोवा ने 15 अगस्त को या उससे पहले केंद्र सरकार से अंतिम समझौते की उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा है कि उल्फा और केंद्र के बीच शांति वार्ता अंतिम चरण में पहुंच चुकी है इसलिए अब समझौता हो जाने की उम्मीद है।
असम के सबसे मजबूत उग्रवादी गुट उल्फा के चेयरमैन अरविंद राजखोवा शांति वार्ता के जरिये इस पेचीदा संकट का समाधान निकालने के समर्थक हैं। उल्फा हिंसा पर काबू पाना असम सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही के लिए कई दशकों से सिरदर्द बना हुआ है। सिर्फ हिंसा के जरिये 'स्वाधीन संप्रभु असोम' की मांग पर अड़े उल्फा के विद्रोही गुट उल्फा (आई-इंडिपेंडेंट-स्वतंत्र) का भूमिगत चीफ कमांडर परेश बरुआ शांति वार्ता के खिलाफ है। असम पुलिस और केंद्रीय बलों के लिए इसे नियंत्रण में लेना चुनौती है।
खुफिया एजेंसियां भी उल्फा (आई) के हमलों के बाद भूमिगत परेश बरुआ के कभी चीन, कभी म्यांमार तो कभी बांग्लादेश में होने की अटकलबाजी लगाती हैं। अरविंद राजखोवा का ऐसे समय में अनुकूल आसार वाला यह बयान स्वागत योग्य है, जब पूरा देश भारतीय आजादी का 75वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। बयानबाजी और प्रचार-प्रसार से दूर रहने वाले उल्फा प्रमुख राजखोवा ने एक अखबार से बातचीत में इस बीच कहा कि वर्षों तक चली शांति वार्ता पूरी हो गई है।
यह पूछे जाने पर कि क्या आपको सरकार के इरादे पर अभी भी संदेह है, उल्फा चेयरमैन ने कहा-'हम इसलिए आशावान हैं क्योंकि कई वर्षों से चल रही वार्ताओं के बाद दोनों पक्षों की समान स्थिति है। हालिया वार्ता से हमें यह संकेत मिला है कि केंद्र सरकार अंतिम समझौते के प्रति गंभीर है। जहां तक हमारे पक्ष की बात है, हम 15 अगस्त को या उससे पहले समझौते की उम्मीद कर रहे हैं।' अरविंद राजखोवा ने कहा कि 'गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में है। अभी भी कुछ समय बचा है और हमें भरोसा है कि सरकार जल्द ही बुलाएगी।'
इसमें गौर करने लायक बात ये है कि भारत के खिलाफ खुला विद्रोह करके 'स्वाधीन संप्रभु असोम' की मांग के लिए हिंसक आंदोलन की नींव रखने वाले उल्फा चेयरमैन अरविंद राजखोवा ने अंतिम समझौते की तारीख 15 अगस्त रखी। उल्फा आंदोलन में 15 अगस्त को 'काला दिवस' के रूप में मनाने, भारतीय संविधान की प्रतियां जलाने और स्वतंत्रता दिवस समारोह के समय हमले की वारदातों का इतिहास दर्ज है।
उल्फा प्रमुख राजखोवा ने संभावित समझौते के विषय में विस्तृत जानकारी देने से इंकार कर दिया और यह भी स्पष्ट बताने से मुकर गए कि किन-किन बिंदुओं पर सहमति हुई है। 'स्वाधीन संप्रभु असोम' वाले अव्यावहारिक पहलू पर कोई चर्चा केंद्र के वार्ताकार से होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि ऐसा प्रावधान भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में नहीं है।
'स्वतंत्र संप्रभु नगालिम' के एक देश की तरह 'अलग झंडा अलग संविधान' के अड़ियल रवैये के कारण नगा शांति समझौता किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा है। केंद्र की ओर से नियुक्त वार्ताकार पूर्व खुफिया अधिकारी अक्षय कुमार मिश्र ने विगत दिनों काफी समय तक नगालैंड में सभी नगा गुटों से उनके बीच रहकर बातचीत की है अगर अंतिम समझौते पर सहमति बनी होती तो यह बात छिपी नहीं रहती।
केंद्र सरकार ने उल्फा नेताओं से वार्ता चलाने का जिम्मा भी अक्षय मिश्र को ही सौंपा हुआ है। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर अक्षय मिश्र के नगा नेताओं से मिलने-जुलने की सूचना तो कहीं-न-कहीं से बाहर आ जाती है। लेकिन उल्फा नेताओं से अक्षय मिश्र कब-कब मिले, क्या बातचीत हुई, यह बात अभी तक गुवाहाटी से बाहर नहीं निकली थी।
उल्फा चेयरमैन अरविंद राजखोवा ने ही यह खुलासा किया कि अक्षय मिश्र से उन्होंने मामले का जल्द समाधान निकालने का आग्रह किया है। वैसे अभी तक केंद्र या असम सरकार के किसी प्रतिनिधि ने वार्ता के अंतिम चरण में पहुंचने या 15 अगस्त तक समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना व्यक्त नहीं की है।
Rani Sahu

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