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- शशि थरूर का...
'पेगासस प्रोजेक्ट' की खबर पर मेरी एक मित्र ने लिखा, 'मैं हैरान हूं कि लोग हैरान हैं।' दरअसल कई भारतीय इसके अभ्यस्त हो गए हैं कि उनकी बातें सुनी जा रही हैं और हर सरकारी एजेंसी उनकी बातों, लेन-देन, संबंधों की निगरानी कर रही है। फिर भी पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, राजेताओं के फोन हैक करने में इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल चिंताजनक है, भले इसपर हैरानी हो या नहीं। यह अनुमान बेहद गंभीर है कि सरकार नागरिकों की जासूसी कर रही है। आतंकवादियों को ट्रैक करने या अपराध रोकने के लिए सरकार द्वारा कम्युनिकेशन इंटरसेप्ट करने पर किसी को आपत्ति नहीं है, लेकिन आम नागरिकों, साथ ही राजनेताओं की निजता के अधिकार का हनन गलत है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने पुट्टास्वामी फैसले में कहा भी था। अगर सत्ताधारी पार्टी ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी, जैसे राहुल गांधी या प्रशांत किशोर को पेगासस से निशाना बनाया है, तो यह न सिर्फ अनैतिक होगा, बल्कि करदाता के पैसों का दुरुपयोग भी माना जाएगा। साथ ही यह गैरकानूनी भी होगा।