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- शर्मनाक सोच:...
अफगानिस्तान में उथल-पुथल भरे हालात के बीच भारत में कुछ लोग जिस तरह तालिबान की तरफदारी कर रहे हैं वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक है, बल्कि चिंताजनक भी है। एक ऐसे समय जब सारी दुनिया तालिबान की आतंकी प्रवृत्तियों से आशंकित है तब यह समझना कठिन है कि भारत में कुछ लोग उसमें अच्छाई कैसे देख पा रहे हैं? आखिर सातवीं सदी के बर्बर तौर-तरीकों को अमल में लाने के इरादे जाहिर कर रहे तालिबान की कोई तरफदारी कैसे कर सकता है? ऐसा काम तो वही कर सकता है जो अतिवाद और सभ्य समाज के लिए खतरा बनी मानसिकता से ग्रस्त हो। समस्या केवल यह नहीं है कि भारत में कुछ लोग तालिबान में कुछ अच्छा देख रहे हैं, बल्कि यह भी है कि कुछ लोगों की ओर से उसे बधाई भी दी जा रही है। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती तो चार कदम आगे बढ़ गईं। उन्होंने जिस तरह कश्मीर के हालात की तुलना अफगानिस्तान से की वह उनकी विकृत मानसिकता के साथ-साथ भारत विरोधी रवैये का भी परिचायक है। ऐसा लगता है कि वह भारत विरोध की अपनी मानसिकता का परित्याग नहीं कर पा रही हैं। यह वही महबूबा मुफ्ती हैं जिन्होंने अनुच्छेद-370 को खत्म किए जाने के बाद कहा था कि घाटी में कोई भारत का झंडा उठाने वाला नहीं रहेगा।