सम्पादकीय

शैक्षिक उत्थान: कोरोना काल के संकटों का सामना करते हुए शिक्षा व्यवस्था की गुणात्मकता को बेहतर बनाना है

Gulabi
4 Nov 2020 4:15 AM GMT
शैक्षिक उत्थान: कोरोना काल के संकटों का सामना करते हुए शिक्षा व्यवस्था की गुणात्मकता को बेहतर बनाना है
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केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर काम शुरू कर दिया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन पर काम शुरू कर दिया है। कई राज्य सरकारों एवं उच्च शिक्षा के संस्थानों ने इसके लिए समितियां भी बना दी हैं। कोरोना काल की चुनौतियों का सामना करते हुए शिक्षा मंत्रालय ने नीट एवं जेईई जैसी प्रमुख परीक्षाओं का संचालन किया एवं उसके परिणाम भी घोषित हो चुके हैं। परीक्षाओं को लेकर लोगों के मन में जो शंकाएं थीं, उनका समाधान हो चुका है। इन शंकाओं से उभरे राजनीतिक विरोध को भी शिक्षा मंत्रालय ने बखूबी संभाला, लेकिन इस बीच एक प्रश्न यह उठ रहा है कि इस नई शिक्षा नीति में दलितों, पिछड़ों, जनजातीय समूहों एवं अल्पसंख्यकों के लिए क्या है? अगर नई शिक्षा नीति का आधार पत्र पढ़ें तो उसमें इन समस्त समूहों को सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित समूह (एसईडीजी) में रखा गया है। इस श्रेणी में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़े, महिलाओं, ट्रांसजेंडर जैसे उन अनेक सामाजिक समूहों को रखा गया है, जो अभी भी वंचित बने हुए हैं। शिक्षा नीति के इस अवधारणा पत्र में इन सामाजिक समूहों के लिए पहले से चली आ रही सफल योजनाओं को जारी रखने की बात कही गई है। वे योजनाएं चाहें संप्रग की सरकार के समय में बनी हों या नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में लाई गई हों, उन्हें निरस्त नहीं किया गया है।


नई शिक्षा नीति में वंचित समूहों के लिए स्पेशल एजुकेशनल जोन का प्रावधान

नई शिक्षा नीति में वंचित समूहों के शैक्षिक-समाहन के लिए स्पेशल एजुकेशनल जोन (एसईजेड) का प्रावधान किया गया है। इसके तहत ऐसे क्षेत्र जहां इन वंचित समूहों की संख्या ज्यादा है, उनका चयन किया जाएगा। इन विशिष्ट शैक्षिक जोन में अनेक नई और सहयोगी योजनाएं चलाकर ऐसे सामाजिक-आर्थिक और अन्य तरह के वंचितों के शैक्षिक समाहन का कार्य संपादित करने की रणनीति अपनाई गई है। इसके साथ ही प्रत्येक शिक्षा कैंपस में ऐसे समूहों के लिए सहज स्वीकार का वातावरण बनाने की प्रतिबद्धता दर्शाई गई है। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय को देश के सभी शिक्षा संस्थानों के कैंपस में 'समावेशन मॉनिटरिंग' एवं चेतना जागरण के अभियान चलाने होंगे।

वंचितों के लिए समावेशी माहौल बनाने के लिए छात्रों एवं शिक्षकों को संवेदनशील बनाना जरूरी

समावेशन मॉनिटरिंग के तहत शिक्षा संस्थानों में समावेशन के लिए पहले से चले आ रहे ढांचे को दुरुस्त करना होगा तथा नवोन्मेषी प्रावधान भी करने ही होंगे। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि वंचितों के लिए समावेशी माहौल बनाने के लिए हमें छात्रों एवं शिक्षकों को इन मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने का काम पूरा करना होगा।

नई शिक्षा नीति में अल्पसंख्यक धार्मिक स्कूलों को विशेष सहयोग देने का प्रावधान है

नई शिक्षा नीति में अनेक लघु, सामाजिक एवं अल्पसंख्यक धार्मिक समूहों के वैकल्पिक स्कूलों को भी विशेष सहयोग देने का प्रावधान है। भारत में दूरस्थ क्षेत्रों में अनेक वैकल्पिक स्कूल चलते हैं। सरकार ने ऐसे वैकल्पिक स्कूलों को विशेष अनुदान देने का प्रावधान किया है। इसके साथ ही यह व्यवस्था भी की है कि शिक्षा क्षेत्र में वंचित समूहों के समावेशन के लिए उन्हीं समुदायों से शैक्षिक नेतृत्व एवं शिक्षकों का चयन कर उन्हें ऐसे समूहों में शिक्षा प्रसार के अभियान से जोड़ा जाए। इससे दो फायदे होंगे-एक तो इन समूहों के लिए कुछ नौकरियां सृजित होंगी, दूसरे ऐसे शिक्षक अधिक संवेदनात्मक एवं भावनात्मक जुड़ाव के साथ अपने-अपने समूहों में शिक्षा प्रसार के लिए एक एजेंसी के रूप में उभरेंगे।

नई शिक्षा नीति में मदरसा शिक्षा को सहयोग देने के प्रावधान किए गए

जनतंत्र की अपनी जरूरतें होती हैं और अपने दबाव भी। यह उल्लेखनीय है कि कुछ अल्पसंख्यक समूहों के एक तबके की राजग सरकार से जो शिकायतें रही हैं, उन्हें दूर करने के अनेक प्रयास नई शिक्षा नीति में दिखाई पड़ते हैं। अल्पसंख्यक समूहों के स्कूलों के स्टेटस से छेड़छाड़ न करते हुए मदरसा शिक्षा को सहयोग देने के प्रावधान किए गए हैं। अल्पसंख्यक समूहों को स्कूल के साथ-साथ कॉलेज एवं विश्वविद्यालय तक खोलने के लिए प्रोत्साहित करने की बात की गई है। शिक्षा संस्थानों में इनके प्रवेश को सहज बनाने के लिए विशेष छात्रवृत्ति का प्रावधान करने की व्याख्या की गई है।

नई शिक्षा नीति के जेंडर फेस को भी काफी प्रभावी बनाया गया

नई शिक्षा नीति के जेंडर फेस को भी काफी प्रभावी बनाया गया है। अर्थात इसमें छात्राओं एवं महिलाओं के समावेशन पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है। दलितों एवं पिछड़ों के शिक्षा में समाहन की बात करते हुए भी इन सामाजिक समूहों की छात्राओं एवं महिलाओं को शिक्षा से जोड़ने के लिए विशेष योजनाएं एवं अभियान चलाने की बात कही गई है। इस शिक्षा नीति में लैंगिक समावेशन कोष बनाने की प्रतिबद्धता दर्शाई गई है। ये कोष राज्य सरकारों के पास संचित होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार की नई योजनाओं के कार्यान्वयन में खर्च किया जाएगा।

शिक्षा में लैंगिक समानता विकसित होगी

इस फंड से शिक्षा में लैंगिक समानता विकसित होगी। वंचित समूहों के शिक्षा में समाहन के लिए ओपेन एवं डिस्टेंस लर्निंग की व्यवस्था को मिशन मोड में इस्तेमाल करने की बात की गई है। इसके तहत ओपेन स्कूल के माध्यम से अति वंचित एवं दूरस्थ क्षेत्रों में भी शिक्षा पहुंचाने का प्रावधान किया गया है। अनेक सेवाभावी संस्थानों द्वारा सामाजिक-आर्थिक समूहों में नई शिक्षा नीति के प्रावधानों को पहुंचाने के लिए पुस्तिकाएं प्रकाशित की जा रही हैं, ताकि ये समूह जान सकें कि इस शिक्षा नीति में उनके लिए क्या है?

कोरोना काल के संकटों का सामना करते हुए शिक्षा व्यवस्था की गुणात्मकता को बेहतर बनाना है

कोरोना ने हम सब एवं हमारे शिक्षा जगत के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी की हैं। इसने हमारे विकास के लिए भी कठिन स्थितियां उत्पन्न की है। इन्हीं कठिन स्थितियों में नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन भी होना है। अब देखने वाली बात है कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा नई शिक्षा नीति लागू करने के लिए की जा रही तैयारियां कब तक गुणात्मक परिणाम में बदल पाती हैं और इस कोरोना काल के संकटों का सामना करते हुए हम अपनी शिक्षा व्यवस्था की गुणात्मकता को कैसे बेहतर कर पाते हैं?

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