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- मरियल घोड़े पर सवार...
आदित्य चोपड़ा| बात मुगल काल की है। एक बार जंगल की लकड़ी काट कर वापिस आते एक लकड़हारे ने देखा कि चार जवान लम्बे-चौड़े और मूंछें 11 बजकर पांच मिनट स्टाइल से उठी हुईं, अरबी घोड़ों पर सवार होकर जा रहे थे। लकड़हारे ने झुक कर सलाम किया, वहां उनसे कुछ पूछना चाहता था कि इस रास्ते से होकर कहां जा रहे हो, परन्तु डर कर कुछ पूछ न सका। हिम्मत न पड़ी। अचानक उसने देखा कि एक मरियल से गधे पर सवार होकर उसी स्टाइल में मूंछें रखे एक अधमरा सा दिखाई देने वाला भी उसी रास्ते से आ रहा है। हिम्मत जुटा कर लकड़हारे ने पूछा-हुजूर आप जंगल के रास्ते से किधर तशरीफ लेकर जा रहे हैं। उस व्यक्ति ने कहा हम पांचों शाही सवार शहंशाह के निमंत्रण पर दिल्ली जा रहे हैं। वह पांचवां भी स्वयं को शाही सवार बता रहा था। यह सुनकर लकड़हारा जोर से हंसा और इससे पहले कि वह शाही सवार उससे कुछ कहता लकड़हारा वहां से खिसक गया।