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स्टार चुप रहा और पिता सक्रिय
2 अक्टूबर 2021 को मुंबई में क्रूज़ पर ड्रग्स पार्टी पर एनसीबी की छापेमारी के बाद नेशनल मीडिया की हेडलाइन से यह खबर आउट नहीं हुई, तो इसकी सबसे बड़ी वजह आर्यन खान की गिरफ्तारी रही. आर्यन फिल्म स्टार शाहरुख के साहबज़ादे हैं, तो ज़ाहिर है हंगामा तो खड़ा होना ही था, बाद में इस केस से और भी विवाद जुड़ते रहे, लेकिन आर्यन खान की जेल यात्रा सुर्खियों में बनी रही. हाईकोर्ट से जमानत मिलने तक के सफर में एक सबसे महत्वपूर्ण बात रही औऱ वो थी शाहरुख की चुप्पी. शाहरुख आर्यन को लेकर सक्रिय भी रहे औऱ फिक्रमंद भी, लेकिन उनके मुंह से गिरफ्तारी से लेकर जमानत मिलने तक के 27 दिनों में एक शब्द नहीं निकला.
इस पूरे घटनाक्रम दौरान शाहरुख के बेटे की गिरफ्तारी के आधार, उसके पास से ड्रग्स की बरामदगी, ड्रग्स की मात्रा औऱ ड्रग माफियाओं से आर्यन के संबंध की तमाम खबरें एनसीबी के सूत्रों के हवाले से आयीं औऱ हर बार एक नया विवाद जोड़ती गईं, वो इसलिए क्योंकि एनसीबी ने आर्यन के खिलाफ जो केस दर्ज किया, जो सबूत औऱ दलीलें अदालत के सामने पेश कीं, उसके आधार पर निचली अदालत में आर्यन की ज़मानत की उम्मीदें धुंधलाते हुए धीरे धीर खत्म हो गईँ. वक्त बीतता गया औऱ एनसीबी के दांवपेंच ने आर्यन की जेल यात्रा को लंबा कर दिया, इसीके बाद एक नई बहस शुरु हो गई कि क्या स्टार पुत्र होने की वजह से आर्यन की मुश्किलें बढ़ गईं हैं या फिर आर्यन की कानूनी मुश्किलें बढाने के लिए जांच एजेंसी जानबूझकर अड़ंगे डाल रही है. इस विवाद को हवा क्रूज़ केस में गवाह बनाए गए किरण गोसावी के विवादित बैकग्राउंड से मिली औऱ फिर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक के एनसीबी के झोनल डायरेक्टर समीर वानखेडे को लेकर किए के गए एक के बाद एक खुलासों ने एनसीबी को ही कटघरे में खड़ा कर दिया.
इतनी पृष्ठभूमि इसलिए क्योंकि इस पूरे केस को हाईप्रोफाइल बनाने वाले शख्स की भूमिका को समझना होगा. मीडिया ने ज़मानत नहीं मिलने के आधारों पर सवाल उठाया, कानून के जानकारों ने ज़मानत के अधिकार पर बहस की, एनसीबी और उसके झोनल डायरेक्टर को कटघरे खड़ा किया गया, लेकिन शाहरुख चुप रहे, जबकि उनका एक बयान केस को लेकर और भी खलबली पैदा कर सकता था. शाहरुख ने न अपने बेटे के निर्दौष होने की दुहाई दी, न उसे फंसाने का आरोप लगाया और न ही सिस्टम पर सवाल उठाए, न ही आर्यन को गिरफ्तार करने वाले अधिकारी पर लगे आऱोपो पर अपनी प्रतिक्रिया ही दी, जबकि देश में जबरदस्त फैन फॉलोइंग होने के बूते वो मीडिया के माहौल को अपनी तरफ करने की कोशिश कर सकते थे. आरोपों की बहती गंगा में हाथ धोकर अपने विरोधियों या आलोचकों से स्कोर सैटल कर सकते थे, जांच, क्रूज़ रेड औऱ एनसीबी के केस के लूपहोल्स पर बवाल खड़ा कर सकते थे, लेकिन गौर से देखें तो शाहरुख ने इस दौरान एक पिता के रूप में बेटे के लिए फिक्र दिखाई, जेल में चुपचाप मिलने पहुंचे, वकीलों की फौज जुटाई औऱ पूरा फोकस आर्यन की ज़मानत कराने पर लगाया. ऐसा नहीं है कि ज़मानत मिलते ही आर्यन एनसीबी के दर्ज किए केस में निर्दोष सिध्द गया है या फिर ड्रग्स लेन या खरीद फरोख्त के आरोप गलत साबित हो गए हैं, लेकिन एक पिता के तौर पर इस केस में शाहरुख की संजीदगी वाकई काबिल ए गौर है. वैसे यहां एक बात और ध्यान देने वाली है कि शाहरुख अपनी पैरेंटिंग को लेकर काफी मुखर रहे हैं औऱ यहां उन्होंने एक पिता और एक स्टार दोनों भूमिकाओं को अलग रखने की कोशिश की है.
न्यूजनेशन
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