- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- गंभीर सवाल, अगंभीर...
ट्विटर के खिलाफ अपनी मुहिम में भारत सरकार लगातार आगे बढ़ रही है। उसने पिछले हफ्ते भारत के सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत ट्विटर को सोशल मीडिया मध्यस्थ के तौर पर मिला संरक्षण रद्द कर दिया। यानी अब ट्विटर पर पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्री के लिए यूजर के साथ ट्विटर पर भी आरोप दर्ज किए जा सकते हैं। सरकार ने 50 लाख से अधिक यूजरबेस वाली वेबसाइट्स के लिए तीन महीने के अंदर शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति का नियम बनाया है। ट्विटर ने ये नियुक्तियां नहीं की। तो सरकार ने कदम उठाने का एलान किया। अगर आदर्श स्थिति की कल्पना कर देखें, तो कोई सरकार ने सोशल मीडिया के नियमन की इच्छाशक्ति दिखाए, उसका स्वागत किया जाएगा। आखिर सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही भी तय होनी ही चाहिए। लेकिन मसला यह है कि ये नियम लागू करने के पीछे सरकार की जो मंशा है, वह संदिग्ध है। विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया है कि ये नियम अभी तक अस्पष्ट और अपारदर्शी हैं। कुछ विशेषज्ञों का दावा है कि ये असंवैधानिक भी हैं।