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- अलगाववाद और केजरीवाल
भारतीय राजनीति में अलगाववाद से जुड़े लोगों को कुछ राजनीतिज्ञ भी शह देते रहते हैं या फिर अपने राजनीतिक हितों के लिए उनकी सहायता लेते हैं। ऐसे आरोप लगते रहते हैं। जब राजनीतिज्ञ अलगाववादियों से सहायता लेते हैं तो ज़ाहिर है वे प्रत्यक्ष या परोक्ष आतंक के क्षेत्र में की गई उनकी वारदातों को नजरअंदाज भी करते हैं। जम्मू-कश्मीर में इस प्रकार की घटनाएं ज्यादा होती हैं और इसे वहां का सामान्य जन जानता भी है। लेकिन ऐसे राजनीतिज्ञों को प्रशासन पकड़ता नहीं था क्योंकि राजनीतिक प्रशासन यही राजनीतिज्ञ चलाते हैं। पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादी-राजनीतिज्ञ गठजोड़ के अनेक उदाहरण हैं। महाराष्ट्र में दाऊद इब्राहिम के लोगों के अनेक राजनीतिज्ञों से संबंध थे। दोनों पक्ष अपने-अपने तरीके से एक-दूसरे की सहायता करते थे या करते हैं। लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर अलगाववादियों से केवल संबंध होने के ही नहीं, बल्कि स्वतंत्र पंजाब के प्रधानमंत्री बनने का सपना पालने वाले जो आरोप लगे हैं, उसने सभी को चौंका दिया है। यह आरोप किसी विरोधी राजनीतिक दल ने नहीं लगाए।