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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मुंबई पर आतंकी हमले के बारह साल बाद भी असल गुनहगारों के खिलाफ पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं कर खुद ही इस बात का प्रमाण दे दिया है कि वह हमले के आरोपियों को बचा रहा है। जाहिर है, यह हमला उसी ने करवाया था, इसलिए गुनहगारों को बचाना उसकी मजबूरी भी है। वरना क्या कारण है कि मुंबई हमले को अंजाम देने वाले सलाखों के पीछे नहीं हैं! शुरू में तो पाकिस्तान इस हमले में अपना या अपने किसी नागरिक का या अपनी जमीन पर मौजूद किसी भी आतंकी संगठन का हाथ होने से साफ इंकार करता रहा था। लेकिन जैसे-जैसे जांच तेज हुई और भारत ने पाकिस्तान को पुख्ता सबूत सौंपे और उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनना शुरू हुआ, तब कहीं जाकर वह हरकत में आया। लेकिन आज स्थिति यह है कि किसी भी आतंकी के खिलाफ कोई ऐसी कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे यह संदेश जाए कि पाकिस्तान मुंबई हमले के गुनहगारों पर कड़ा शिकंजा कस रहा है।
छब्बीस नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से नौकाओं में सवार हो कर आए लश्करे-तैयबा के दस आतंकियों ने जिस बड़े पैमाने पर मुंबई में हमले किए थे, उससे दुनिया दहल गई थी। इस हमले में अमेरिका और इजराइल के नागरिकों सहित एक सौ छियासठ लोग मारे गए थे और तीन सौ से ज्यादा जख्मी हो गए थे। तीन दिन तक आतंकियों से लोहा लेने के बाद सुरक्षा बलों ने नौ आतंकियों को मार गिराया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था, जिसे साल 2012 में भारत में कानूनी प्रक्रिया के तहत फांसी की सजा दी गई थी।
यह कोई छिपी बात नहीं है कि भारत में अब तक जितने आतंकी हमले हुए हैं, वे लगभग सभी पाकिस्तान सरकार के इशारे पर ही हुए हैं। इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि मुंबई हमले के आतंकी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से लगातार संपर्क में थे। हमले की गहन जांच के बाद भारत ने साल 2009 में पाकिस्तान को अकाट्य सबूतों और सभी आतंकियों के डीएनए के साथ जो दस्तावेज सौंपे थे, उनको आधार मान कर यदि पाकिस्तान सरकार ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ हमले के आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती तो सारे गुनहगार आज सलाखों के पीछे होते। लेकिन सच्चाई यह है कि आतंकी संगठनों के सरगना पाकिस्तान सेना और आइएसआइ के संरक्षण में हैं।
पाकिस्तानी अदालतों ने भारत के सबूतों को आधा-अधूरा बता कर खारिज कर दिया। दिखावे के लिए पाकिस्तान सरकार ने एक जांच आयोग बनाया भी था, लेकिन इस आयोग ने क्या किया, कोई नहीं जानता। हालांकि पाकिस्तान की जांच एजेंसियों ने मुंबई हमले की साजिश में लश्कर के आतंकी जकीउर रहमान लखवी सहित बारह आतंकियों को गिरफ्तार किया था, जिसमें लखवी को बाद में जमानत मिल गई।
मुंबई हमले का असली साजिशकर्ता तो अमेरिकी मूल का पाकिस्तानी नागरिक आतंकी डेविड हेडली है जो अभी अमेरिका के कब्जे में है। अमेरिका ने भारत को भरोसा दिलाया है कि वह मुंबई हमले के सभी आरोपियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए कोशिश करेगा और हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों की सूचना देने वालों को पचास लाख डॉलर का ईनाम देगा। लेकिन अमेरिका का ऐसा वादा किसी बेमानी कवायद से कम नहीं है। अगर अमेरिका की नीयत वाकई साफ है तो पहले वह हेडली को भारत के हवाले करे और फिर जैश और लश्कर के आतंकी सरगनाओं को भारत को सौंपने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए। पर सवाल है, क्या अमेरिका ये सब करेगा? अगर आज अमेरिका दोहरे मानदंड नहीं अपनाता तो पाकिस्तान के हौसले इस कदर नहीं बढ़ते। मुंबई हमले के गुनहगारों को असली सजा तो तभी मिलेगी, जब उनके खिलाफ मुकदमे भारत में चलेंगे।