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- प्रतिपक्ष की सेल्फी :...
अभी कुछ ही वक्त पहले की बात है। एक उम्मीदवार मंच से खड़े-खड़े ऐलान कर रहे थे- 'मैंने नेताजी से बात कर ली है। दस तारीख आने दीजिए। यहां जो लोग हैं उनका एक महीने तक कोई ट्रांसफर नहीं होगा। पहले उनसे अब तक का सारा हिसाब लिया जाएगा, फिर कहीं भेजा जाएगा।' यह एक बयान नहीं, उस अहंकार की आहट थी, जिससे जनतंत्र के बहाने हिसाब चुकाने की बू आती थी। जैसा कि एक वरिष्ठ नेता ने मुझे बेहद ईमानदारी से कहा, 'हमें दूसरों की कमजोरियां चुनने का शौक है। अपनी खासियत पैदा करने का वक्त ही नहीं मिलता। इसलिए हमें दोष मत दीजिए। आखिर जीत-हार तो समीकरण से ही होती है। क्यों बाकी बातों में वक्त खर्च किया जाए।' उन्होंने ही दूसरी ईमानदारी पेश करते हुए कहा, आज की नैतिकता यह है कि दूसरों की अनैतिकता को कितना बड़ा पेश किया जाए। झूठ-सच तो हवा से ब नता है। हम हवा बनाने में लगे हैं। आप तर्क और सिद्धांत गढ़ते रहिए।'
सोर्स: अमर उजाला