सम्पादकीय

आत्मनिर्भर सेना

Rani Sahu
31 Dec 2021 7:11 PM GMT
आत्मनिर्भर सेना
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नववर्ष की सबको बधाई। इसके आगमन पर हर कोई खुशियां मना रहा है और कामना है

नववर्ष की सबको बधाई। इसके आगमन पर हर कोई खुशियां मना रहा है और कामना है कि यह वर्ष बीते दो बरसों की तरह न हो जिसमें कोरोना ने दुखद अनुभव लिए, पर इस बार भी ओमिक्रॉन की दस्तक से पूरा विश्व एक बार फिर सकते में है। सोशल मीडिया और स्वास्थ्य संस्थाओं ने इस महामारी के कहर से होने वाली तबाही के बारे में चेतावनी देना शुरू कर दी हैं। यह भी मानना है कि यह वायरस कोरोना से भी खतरनाक है और इसका बचाव भी अभी तक वही माना जा रहा है जो कोरोना का था। तो मास्क पहनना और 2 गज दूरी रखना ऐसे प्रतीत होता है कि यह हमारे जीवन का अभी एक हिस्सा बनता जा रहा है। चेतावनी के अनुसार बचाव रखना तो ठीक है, पर राजनीतिक पार्टियां इससे ज्यादा सजग नहीं दिख रहीं। मात्र एक चेतावनी के रूप में पोस्टर में लिख दिया जाता है कि 'फलां राजनीतिक पार्टी की होने वाली रैली में कोरोना वायरस नियमों का पालन करें', और इसके बाद शायद राजनीतिक पार्टियों की जिम्मेदारी खत्म। लाखों की भीड़ जिस तरह से रैलियों में दिखाई दे रही है और चुनाव टालने की बात को खारिज किया जा रहा है, इससे जाहिर है कि आने वाले दो-तीन महीनों में जैसे ही चुनाव खत्म होगा, इस वायरस के भयावह परिणाम आम जनता को देखने को मिलेंगे और एक बार फिर जो पिछले 2 साल से आम जनता जिस पीड़ा, शोषण और अमानवता से गुजरी है, उस सबसे दोबारा पाला पड़ने वाला है।

देश में जिस तरह से चुनावी माहौल बनाया जा रहा है और हर जगह पार्टियां अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए भीड़ इकट्ठी कर रही हैं, इससे ऐसा नहीं लगता कि किसी भी दल को इस बीमारी के फैलने से होने वाले नुकसान का कोई डर है। दो साल पहले नमस्ते ट्रंप तथा मध्य प्रदेश में सरकार बदलने से शुरू हुई कोरोना महामारी पर तालाबंदी तथा अन्य प्रयासों के बाद जो थोड़ा अंकुश लगा उसको दोबारा बिहार, बंगाल के चुनावों के दौरान पूरी हवा मिल गई और उसकी दूसरी लहर ने हमें इतना बेबस कर दिया कि अस्पतालों में बिस्तर और ऑक्सीजन की कमी दिखी तो श्मशान में जगह न मिलने पर लाशें गंगा में तैरती दिखीं। टीकाकरण पूरा होने के बाद धीरे-धीरे जिंदगी ढर्रे पर लौटने लगी थी, जब बाजारों में चहल-पहल, त्योहारों में खुशियां, तो स्कूलों में बच्चों ने जाना शुरू कर दिया था, पर ओमिक्रॉन की दस्तक और राजनीतिक पार्टियों के चुनावी बुखार को देख, मुझे डर है कि यह सब कहीं दोबारा से हमें तालाबंदी की तरफ न ले जाए। इसके अलावा मेक इन इंडिया अभियान के अंतर्गत सेना को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन के तहत पिछले दिनों रक्षा मंत्रालय ने कुल 351 डिफेंस उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। इसमें मिसाइल अप्रोच वार्निंग सेंसर, शेल, प्रोप्लैंट, इलेक्ट्रिकल पार्ट्स, मिसाइल कंटेनर, टारपीडो टयूब लॉन्चर, गन फायर कंट्रोल सिस्टम जैसे हथियार और उससे जुड़े सामान शामिल हैं। यह पूरी प्रक्रिया तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से लागू की जाएगी। इसके अलावा भारत की तैयारी दिसंबर 2024 तक 101 हथियारों और सैन्य प्लेटफार्म के आयात को भी पूरी तरह बंद करने की है, जिसके तहत कार्गो विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पारंपरिक पनडुब्बी, क्रूज मिसाइल और सोनार सिस्टम का आयात भी बंद करने का लक्ष्य रखा गया है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक


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