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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए आत्मनिर्भरता ही सबसे उपयुक्त रणनीति है। कुछ लोगों का मानना है कि यदि यह युद्ध इसी प्रकार से चला और यूक्रेन के मित्र देश जैसे अमरीका और यूरोपीय देश इस युद्ध में कूदे तो यह युद्ध तीसरे विश्व युद्ध की ओर जा सकता है। लेकिन इस चिंता के अलावा भारत और शेष दुनिया में कुछ अन्य प्रकार की चिंताएं व्याप्त हैं। इन्हीं चिंताओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भरता की रणनीति का आह्वान किया है। महंगाई : गौरतलब है कि रूस दुनिया के कच्चे तेल उत्पादकों में तीसरे स्थान पर है। अमरीका और उसके अन्य मित्र देशों द्वारा रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के चलते कच्चे पेट्रोलियम तेल की आपूर्ति अवरुद्ध हो रही है। इस कारण दुनिया में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। अभी तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव चल रहा है, लेकिन इस बीच रूस ने भारत को बाजार से 25 प्रतिशत कम कीमत पर तेल की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है। भारत ने भी इस प्रस्ताव को स्वीकार किया है और कुछ मात्रा में रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल आयात होने भी लगा है। लेकिन रूस से तेल आयात करने की राह आसान नहीं है। हालांकि अमरीका ने रूस पर प्रतिबंध लगाने के संबंध में सख्त रूप अपनाया हुआ है, लेकिन उसने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने से उसके प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं होगा। इसके बावजूद हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत द्वारा सस्ते कच्चे तेल के आयात में कोई बाधा न आए, ताकि देश को महंगाई से बचाया जा सके। अवरुद्ध भुगतान : दुनिया के लेनदेन में इस्तेमाल होने वाली 'स्विफ़्ट' व्यवस्था से अमरीका और यूरोपीय देशों ने रूस के बैंकों को ब्लॉक कर दिया है। इस समस्या का समाधान खोजते हुए भारत और रूस ने यह फैसला किया है कि रूस के साथ अब व्यापार रुपए और रूबल में होगा, यानी भारत न केवल 25 प्रतिशत सस्ता तेल खरीदेगा, बल्कि उस तेल का भुगतान भी रुपयों में किया जाएगा। सवाल यह है किस्विफ्ट को ब्लॉक करने का भारत और दुनिया पर क्या असर पड़ेगा?स्विफ्ट के ब्लॉक होने से भारत और दुनिया को भुगतान की वैकल्पिक व्यवस्थाएं निर्माण करनी होंगी। चीन की भुगतान प्रणाली जिसे क्रास बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (सीआईपीएस) कहते हैं, उसके माध्यम से भी भुगतान संभव है, तो भी भारत और रूस ने रुपए-रूबल में भुगतान करने का निर्णय किया है। उधर भारत के बैंक हालांकि चीन की भुगतान प्रणाली सीआईपीएस में पंजीकरण करके रूस के साथ व्यापार कर सकते हैं, लेकिन चूंकि सीआईपीएस युआन यानी आरएमबी को कैरेंसी के नाते उपयोग करता है, भारत के लिए अच्छा यह होगा कि वो एक वैकल्पिक भुगतान प्रणाली तैयार करे जो भारतीय रुपए पर आधारित हो।
