सम्पादकीय

आत्मनिर्भर सेना-2

Rani Sahu
7 Jan 2022 6:57 PM GMT
आत्मनिर्भर सेना-2
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ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने सेना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के आयात को बंद करने का निर्णय पहली बार लिया है

ऐसा नहीं है कि भारत सरकार ने सेना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों के आयात को बंद करने का निर्णय पहली बार लिया है। इससे पहले इसी वर्ष की शुरुआत में रक्षा मंत्रालय ने 108 हथियारों और उससे जुड़े सिस्टम जैसे एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, टैंक इंजन, रडार आदि के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले करीब दो वर्षों में रक्षा मंत्रालय ने तीसरी बार सैन्य हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाया है। इस तरह दूसरे देशों में बनाए गए हथियारों को न खरीद कर तथा इनके आयात पर प्रतिबंध लगा कर सरकार चाहती है कि इन सब शस्त्रों का विकास और निर्माण भारत में ही किया जाए। रक्षा मंत्रालय के इस कदम से सरकार को करोड़ों रुपयों का फायदा तो होगा ही, पर उसके साथ-साथ इस फैसले से घरेलू डिफेंस इंडस्ट्री को भी बढ़ावा मिलेगा।

अगर हम किसी भी विकासशील देश की बात करें तो समय के साथ हर देश की सरकार को यह निर्णय लेने पड़ते हैं, जब वह अपनी नीतियों को आयात से निर्यात में एक क्रमबद्ध तरीके से लागू करते हैं। भारत ने भी आजादी के बाद नेहरू जी की दूरदर्शिता अनुसार पंचवर्षीय योजनाओं द्वारा देश की तरक्की का ताना-बाना बुना। एक समय था जब हमारा देश जरूरत की ज्यादातर चीजों को आयात करता था और उनके लिए दूसरे देशों पर निर्भर करता था, पर समय के साथ हर सरकार ने अपनी नीतियों, दूरदर्शी सोच एवं योजनाओं से तथा हर देशवासी ने अपने परिश्रम, लग्न और इंटैलीजैंसी से काफी क्षेत्रों में भारत को न केवल आत्म निर्भर बनाया, बल्कि एक बड़ा निर्यातक देश भी स्थापित किया है। वर्तमान सरकार जब सत्ता में आई थी, उस वक्त यानी 2014 में रक्षा उत्पादों के निर्यात से करीब 1940 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी तथा उस समय अगले पांच वर्षों का टारगेट इसको चार गुना करना था।
इस लक्ष्य पर लगभग सही उतरते हुए, एक रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में भारत सरकार का रक्षा उत्पादनों पर निर्यात बढ़कर 8434 करोड़ हो गया है जो एक प्रशंसनीय तथा गौरवान्वित करने वाली बात है। सरकार का रक्षा उपकरणों के निर्यात का अगला लक्ष्य 2025 तक 5 अरब डॉलर का है। इस सफलता के पीछे हमारी सरकारों की रक्षा सौदों पर तय की गई वह नीति है जिसके तहत रक्षा उपकरण के आयात के समय उस हथियार की ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी भी सौदे में शामिल की जाती थी। इससे एक प्रोसेस के तहत भारत लगभग हर आयातित हथियार और उसके साथ आने वाले हर उपकरण को अपने देश में तैयार करने में सफल हुआ। आज उसी दूरदर्शिता का नतीजा है कि भारत अपने देश में दुनियां की बेहतरीन तोप, टैंक तथा लड़ाकू जहाज़ आदि तैयार करने में सक्षम है। इस बात को हर कोई मानता है कि एक सशक्त नींव पर ही एक सुदृढ़ इमारत तैयार होती है और इसका उदाहरण पूरे विश्व के सामने हमारा देश भारत है, जो मात्र 70 वर्ष की आजादी में ही दुनिया की एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है और लगभग हर क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि दूसरे देशों के लिए एक बहुत बड़ा निर्यातक भी बना है। यह सिर्फ और सिर्फ देश के एक सशक्त संविधान, दूरदर्शी नीतियों और योजनाओं का ही परिणाम है और हमें इस सब पर गर्व है।
कर्नल (रि.) मनीष धीमान
स्वतंत्र लेखक
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