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भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के साथ-साथ रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता आवश्यक है. इस दिशा में पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रगति हुई है और रक्षा उत्पादन में बड़ी वृद्धि हुई है. साथ ही, हमारा रक्षा निर्यात भी बढ़कर 16 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. सात-आठ वर्ष पहले तक इस क्षेत्र में भारत का निर्यात एक हजार करोड़ रुपये तक भी नहीं था. रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भारत शीर्ष के 25 देशों में अपनी जगह बना चुका है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की है कि 2028-29 तक देश का वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये होने की आशा है. अभी यह उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है. तब तक रक्षा निर्यात के भी 50 हजार करोड़ रुपये तक हो जाने का अनुमान है.
रक्षा उत्पादन में बड़ी बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने अपनी रक्षा आवश्यकताओं का अधिकांश हिस्सा देश में हो रहे उत्पादन से पूरा करने का नीतिगत निर्णय लिया है. वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए 6.2 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. सरकार ने सैन्य क्षमता बढ़ाने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सुदृढ़ करने के लिए 4.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक की खरीद को मंजूरी दी है. रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ी सूची बनायी है, जिसमें उन वस्तुओं का उल्लेख है, जिन्हें अनिवार्य रूप से देश में निर्माण कार्य में लगी कंपनियों से खरीदा जाता है. यह सूची क्रमशः लंबी होती जा रही है. भारत में रक्षा उत्पादन को गति देने तथा अपनी रक्षा आवश्यकताओं के लिए आत्मनिर्भर होने के उद्देश्य से सरकार का यह भी निर्णय है कि खरीद बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा देश में खरीद पर खर्च किया जायेगा.
इससे न केवल हमारा आयात कम हो रहा है और निर्यात बढ़ रहा है, बल्कि साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं तथा कंपनियां गुणवत्ता बढ़ाने एवं अनुसंधान पर अधिक ध्यान दे रही हैं. सरकार बड़ी कंपनियों के साथ युवाओं को स्टार्टअप लगाने को भी प्रोत्साहित कर रही है ताकि रक्षा क्षेत्र को दीर्घकालिक आधार मिल सके. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उचित ही रेखांकित किया है कि आगामी 20-25 वर्षों में अपने अन्वेषण के साथ ये कंपनियां वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत पहचान में नया आयाम जोड़ेंगी. वर्तमान समय में भू-राजनीतिक तनावों और जटिलताओं को देखते हुए भी आत्मनिर्भरता बहुत आवश्यक है. हम निश्चिंत होकर हर स्थिति में बड़े हथियार निर्माता देशों पर साजो-सामान के लिए निर्भर नहीं रह सकते हैं. साथ ही, रक्षा निर्यात में वृद्धि कर अपनी अर्थव्यवस्था को अधिक गति भी दे सकते हैं.
प्रभात खबर के सौजन्य से सम्पादकीय
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Gulabi Jagat
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