सम्पादकीय

सुरक्षा और चुनौतियां

Subhi
30 April 2022 3:56 AM GMT
सुरक्षा और चुनौतियां
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हाल के वर्षों में बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच देश की सुरक्षा का मुद्दा एक महत्त्वपूर्ण और गंभीर चिंता के रूप में उभरा है। भारत के लिए यह ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है कि दशकों से दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।

Written by जनसत्ता: हाल के वर्षों में बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बीच देश की सुरक्षा का मुद्दा एक महत्त्वपूर्ण और गंभीर चिंता के रूप में उभरा है। भारत के लिए यह ज्यादा चिंताजनक इसलिए भी है कि दशकों से दोनों पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। दोनों ही देशों के साथ भारत को युद्ध का सामना भी करना पड़ा है। यह भी कि पिछले तीन-चार दशकों से पाकिस्तान भारत के खिलाफ सीमापार से आतंकी गतिविधियां चला रहा है।

दूसरी तरफ सीमा विवादों को लेकर चीन ने भारत के खिलाफ जिस तरह का आक्रामक रुख अपनाया हुआ है, उसे देखते हुए दोनों देशों के बीच रिश्ते सामान्य हो पाना आसान नहीं है। गौरतलब है कि दो साल पहले गलवान घाटी में चीन ने भारतीय जवानों पर हमला कर दिया था, जिसमें चौबीस भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद चीन ने वहां घुसपैठ कर ली और नया विवाद खड़ा कर दिया। देखा जाए तो इस तरह के विवाद अक्सर ऐसी नौबत पैदा करते रहे हैं जब युद्ध जैसे तनावपूर्ण हालात बन जाते हैं। ऐसे में कई बार दुश्मन को सबक सिखाने के लिए सैन्य कार्रवाई भी अपरिहार्य हो जाती है। जाहिर है, इस तरह की सुरक्षा के लिए देश के पास चाक-चौबंद सैन्य तंत्र से लेकर अत्याधुनिक हथियार और कुशल रणनीति का होना भी जरूरी है।

हाल में भारत के वायु सेना प्रमुख वीआर चौधरी ने दिल्ली में एक सम्मेलन में त्वरित युद्धों के लिए तैयार रहने की जो जरूरत बताई है, वह देश की सुरक्षा चिंताओं को रेखांकित करती है। दरअसल भारत की भौगोलिक स्थिति भी कुछ ऐसी है कि बिना लंबे-चौड़े और अत्याधुनिक सैन्य तंत्र के देश की रक्षा कर पाना आसान नहीं है। भारत तीन तरफ समुद्रों से घिरा है और छह हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी तटीय सीमा है। इसके अलावा हिमालयी क्षेत्र में चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा चीन के साथ है।

चीन लद्दाख से लेकर पूर्वोत्तर राज्यों खासतौर से अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। पूर्वोत्तर का संकट इसलिए भी ज्यादा बड़ा है कि यहां के राज्यों की सीमाएं म्यांमा से मिलती है। यह इलाका नशीले पदार्थों से लेकर हथियारों तक की तस्करी के रूप में जाना जाता है। पूर्वोत्तर में उग्रवाद भी देश के लिए कम बड़ा संकट नहीं रहा है।

पिछले कुछ सालों में एक खतरा यह भी बढ़ा है कि पाकिस्तान नेपाल और म्यांमा के रास्ते भी आतंकियों को भारत में घुसाता रहा है। भारत के खिलाफ चीन और पाकिस्तान की ऐसी हरकतें युद्ध के खतरों को बढ़ाने वाली ही प्रतीत होती हैं। इसलिए आपात हालात में युद्ध जैसी तैयारियां वक्त की जरूरत बन कर सामने आ सकती हैं।

हालांकि पूर्वी लद्दाख में और पाकिस्तान सीमा पर मिलने वाली चुनौतियों से भारत ने कई सबक लिए हैं। दोनों देशों से खतरे को देखते हुए भारत भी अपनी सुरक्षा मजबूत करने अब पीछे नहीं है। जहां तक बात है सेना को अत्याधुनिक हथियार और साजो-सामान मुहैया करवाने की, तो देश में ही हथियारों के निर्माण पर जोर दिया जा रहा है।

हालांकि कई उन्नत हथियारों, रक्षा प्रणालियों और उपकरणों के मामलों में अभी भी हम रूस और अमेरिका जैसे देशों पर निर्भर हैं। लेकिन अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी कदम बढ़ रहे हैं। पनडुब्बी और पोत अब भारत में ही बन रहे हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो गया, तो देश की सैन्य ताकत में भी इजाफा होगा और पड़ोसी राष्ट्र भी आसानी से आंख नहीं उठा पाएंगे।


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