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- दूसरे दौर में टीकाकरण:...
बुजुर्गों और 45 साल से अधिक आयु के बीमार लोगों के टीकाकरण का अभियान शुरू होने के दो दिन के अंदर जिस तरह करीब 50 लाख लोगों ने टीका लगवाने के लिए पंजीकरण कराया, वह उत्साहजनक है। यह सकारात्मक प्रतिक्रिया यही बताती है कि टीके को लेकर जो हिचक थी, वह टूट रही है। नि:संदेह इसका एक बड़ा कारण प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों समेत अन्य प्रमुख लोगों की ओर से टीका लगवाना हो सकता है। नेताओं और अन्य हस्तियों की ओर से आगे आकर टीका लगवाने का यह सिलसिला कायम रहना चाहिए। इससे ही उस दुष्प्रचार का दमन भी होगा, जो संकीर्ण राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है। कम से कम सेहत के मामले में तो राजनीतिक क्षुद्रता का परिचय देने से बचा ही जाना चाहिए। इस क्षुद्रता के बीच इस पर गौर किया जाना चाहिए कि दूसरे चरण का टीकाकरण अभियान आगे बढ़ाकर भारत ने खुद की क्षमता को नए सिरे से स्थापित करने का काम किया है। उल्लेखनीय केवल यह नहीं कि भारत अपने बलबूते महामारी से निपटने में सक्षम साबित हो रहा है, बल्कि यह भी है कि वह दूसरे तमाम देशों के टीकाकरण में मददगार साबित हो रहा है। बात चाहे टीके को तैयार करने की हो या फिर उन्हें लगाने की, निजी क्षेत्र के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती।