सम्पादकीय

दूसरी पारी आधा सफर

Rani Sahu
30 Nov 2021 5:37 PM GMT
दूसरी पारी आधा सफर
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने जब अपनी दूसरी पारी का आधा सफर पूरा कर लिया है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने जब अपनी दूसरी पारी का आधा सफर पूरा कर लिया है, तब इस पड़ताल का यह बिल्कुल मुफीद वक्त है कि देश की उम्मीदों पर यह सरकार कितनी खरी उतरी और शेष बचे समय में इससे क्या अपेक्षाएं रहेंगी! इसमें कोई दोराय नहीं कि प्रचंड बहुमत के साथ मई 2019 में सत्ता में वापसी करने वाली मोदी सरकार का आत्मविश्वास शुरुआती महीनों में चरम पर था और उसने कई ऐसे काम किए, जो इतिहास में दर्ज किए जाएंगे। खासकर, जम्मू-कश्मीर के सांविधानिक दर्जे में तब्दीली और अनुच्छेद-370 की समाप्ति का साहसिक फैसला! इसी तरह, दशकों से लटके राम जन्मभूमि विवाद में भी नई सरकार ने अतिरिक्त सक्रियता दिखाई और अंतत: इसका न्यायिक निपटारा संभव हुआ। सांप्रदायिक सौहार्द के माहौल में भव्य राममंदिर का शिलान्यास भी इस सरकार की उपलब्धियों में दर्ज हुआ।

जिस गति से सरकार कदम उठाए जा रही थी, ऐसा लगने लगा था कि दूसरी पारी के आधे वक्त में ही वह अपने घोषणापत्र के शायद सारे वादे पूरे कर देगी, हालांकि दिल्ली दंगे व सीएए के खिलाफ शाहीन बाग प्रदर्शन जैसी कुछ चुनौतियां भी उसके सामने आईं, लेकिन उसकी रफ्तार में सबसे बड़ी बाधा के रूप में मार्च 2020 में कोरोना महामारी आई। हालांकि, यह एक वैश्विक समस्या थी औरपूरी दुनिया में विकास का पहिया थम-सा गया था, लेकिन एक विशाल आबादी वाले देश के नाते अन्य देशों के मुकाबले भारत के लिए यह कहीं बड़ी चुनौती बनकर आई। आजाद भारत की किसी सरकार का साबका ऐसी चुनौती से नहीं पड़ा था। जाहिर है, ऐसे ही मौकों पर देश के राजनीतिक नेतृत्व की परीक्षा भी होती है। प्रधानमंत्री मोदी इस विषम समय में एक तरफ देशवासियों को धैर्य की डोर थामे रहने के लिए प्रेरित करते रहे, तो दूसरी ओर सरकार ने लगभग 80 करोड़ भारतीयों को मुफ्त राशन मुहैया कराने का फैसला किया। महामारी काल में जिस तरह से गरीबों की संख्या बढ़ी, इस एक फैसले से देश के हाशिये के लोगों को खास तौर पर बड़ी राहत मिली है। बडे़ पैमाने पर टीकाकरण ने भी लोगों के भरोसे को मजबूत किया।
इस आधे सफर के जिस एक प्रकरण को यह सरकार कभी याद नहीं करना चाहेगी, वह निस्संदेह तीन कृषि कानूनों और किसान आंदोलन से जुड़ा है। अब जब ये कानून निरस्त हो चुके हैं, तब किसानों से अन्य मसलों पर भी उसे बात करनी चाहिए। यही लोकतंत्र का तकाजा भी है। बहरहाल, अब जो शेष आधा कार्यकाल बचा है, उसमें एनडीए सरकार के आगे सबसे बड़ी चुनौती रोजगार पैदा करने की होगी। चंद रोज पहले ही प्रकाशित एक सर्वे 'व्हाट वरीज द वर्ल्ड' ने इस वक्त देश की सबसे बड़ी चिंता बेरोजगारी बताई है। लगभग 44 प्रतिशत भारतीयों ने इसे सबसे बड़ी समस्या के रूप में दर्ज किया है। इसलिए सरकार को इस मोर्चे पर गंभीर प्रयास करने पड़ेंगे, क्योंकि उसके पास अब कम वक्त है। उसके हक में अच्छी बात यह है कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। मार्च 2021 में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी 'मूडीज' ने भारत की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक श्रेणी में रखा था, उसने अब अपनी रैंकिंग में सुधार करते हुए इसे उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन करने वाली इकोनॉमी कहा है। सरकार को इस उम्मीद को थामे अब आगे बढ़ना है।

हिंदुस्तान

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