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- सू की पर शिकंजा:...
ऐसे वक्त में जब म्यांमार के नवंबर में हुए चुनाव में भारी मतों से जीती आंग सान सू की, की पार्टी सत्ता संभालने जा रही थी, सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली। साथ ही देश में एक साल के लिये आपातकाल की घोषणा कर दी है। सेना ने सू की समेत कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में लेकर मुख्य स्थानों पर सेना की तैनाती कर दी है। टीवी-रेडियो के प्रसारण बंद करके इंटरनेट पर रोक लगायी गई है। जिस संविधान के तहत दस साल पहले सत्ता का हस्तांतरण जनता की चुनी सरकार को किया गया था, उसी संविधान का सेना ने उल्लंघन किया है।
म्यांमार के लोग पांच दशक के सैन्य शासन के दौरान जिस दमनकारी भय से मुक्त हुए थे, वह और गहरा हो गया है। दरअसल, सू की के नेतृत्व में नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी यानी एनएलडी को बीते सोमवार दूसरा कार्यकाल आरंभ करना था लेकिन इससे पहले कि संसद का पहला सत्र शुरू होता, उससे कुछ घंटे पहले ही सू की समेत पार्टी के कई शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
पर्दे के पीछे सेना का खेल जारी था। उसी ने यह संविधान बनाया और 25 फीसदी सीटें सेना के लोगों के लिये आरक्षित भी कर दी थी। इतना ही नहीं, म्यांमार के तमाम महत्वपूर्ण मंत्रालयों मसलन गृह, रक्षा व सीमाओं से जुड़े मंत्रालयों पर भी सेना का ही नियंत्रण रहता है। दरअसल, नवंबर में हुए चुनाव के बाद एनएलडी के अस्सी फीसदी से अधिक मत हासिल करने और सेना समर्थित राजनीतिक दल की पराजय के बाद सेना को भय था कि कहीं सू की संविधान में संशोधन करके और ताकतवर न हो जाये। इसके साथ ही सू की सरकार में म्यांमार की अर्थव्यवस्था के दरवाजे दुनिया के लिये खोलने के फैसले से भी सैन्य तानाशाह नाराज चल रहे थे, जो कि बंद अर्थव्यवस्था के पक्षधर रहे हैं। वे खुले कारोबार को देश के लिये खतरे के रूप में देखते हैं।