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- मौत का पैमाना
जहरीली शराब पीने से बड़े पैमाने पर लोगों के मारे जाने की घटनाएं देश के विभिन्न हिस्सों में होती रहती हैं, पर हर बार कुछ जांचों, कुछ लोगों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाइयों आदि की औपचारिकता के बाद मामले को रफा-दफा मान लिया जाता है। अवैध शराब बनाने और उसके कारोबार पर नकेल कसने की जो पहल होनी चाहिए, वह कहीं होती नहीं दिखती। इसी का नतीजा है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जहरीली शराब पीने से करीब दो दर्जन लोगों की मौत हो गई।इस मामले में प्रशासन ने कुछ आबकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को निलंबित कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। विचित्र है कि ताजा घटना में जहरीली शराब लोगों ने एक अधिकृत दुकान यानी ठेके से खरीदी थी। बहुत साल पहले देसी शराब की बिक्री के लिए भी ठेके दिए जाने लगे थे। तब माना गया था कि इससे देसी शराब की गुणवत्ता, उसमें जहरीले तत्त्वों आदि की जांच में मदद मिलेगी और लोगों के चोरी-छिपे जहां-तहां गांव-गिरांव में बनने वाली शराब पीकर मौत के आगोश में समा जाने की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा। मगर ऐसा होता नजर नहीं आता