सम्पादकीय

सभ्यता के पैमाने

Subhi
7 Sep 2022 5:36 AM GMT
सभ्यता के पैमाने
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हमारे देश में नागरिकों की पहचान उनकी जाति, धर्म, संप्रदाय जैसी संकीर्ण बातों के आधार पर की जाती है। इस संबंध में मेरे विचार ये हैं कि यह समस्या काफी बड़ी है क्योंकि इससे न केवल लोग भेदभाव करने की मानसिकता में और मजबूत बन रहे हैं, बल्कि साथ ही साथ स्वार्थी और मतलबी भी बनते जा रहे हैं।

Written by जनसत्ता: हमारे देश में नागरिकों की पहचान उनकी जाति, धर्म, संप्रदाय जैसी संकीर्ण बातों के आधार पर की जाती है। इस संबंध में मेरे विचार ये हैं कि यह समस्या काफी बड़ी है क्योंकि इससे न केवल लोग भेदभाव करने की मानसिकता में और मजबूत बन रहे हैं, बल्कि साथ ही साथ स्वार्थी और मतलबी भी बनते जा रहे हैं। आजकल लोग दोस्ती उनके व्यक्तित्व को देख कर नहीं बल्कि उनकी जाति, धर्म, संप्रदाय आदि देखकर करने लगे हैं।

इसी कारण से निम्न कही जाने वाली जाति के लोग या अल्पसंख्यक धर्म से जुड़े लोग या पूर्वोत्तर में रहने वाले लोग, यहां तक कि गांवों से आने वाले लोग भी इस तरह के भेदभाव के कारण बहुत सी कठिनाइयों का सामना करते हैं। आसपास के लोग न केवल उन्हें अपेक्षित जगह नहीं देते, बल्कि ज्यादा लोग उनसे बातचीत करने में रुचि ही नहीं लेते।

एक तरह से उन्हें अलग-थलग करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। ऐसी बहुत सी खबरें अक्सर हमारे सामने आती रहती हैं जिसमें ऐसे लोग भेदभाव का शिकार होते हैं। अगर हमारे भीतर या समाज के भीतर इस तरह का बर्ताव कायम है तो हम किस आधार पर एक सभ्य समाज होने का दावा कर सकते हैं।

अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज तालिबान ने लड़कियों और महिलाओं पर घर से बाहर काम पर प्रतिबंध, कक्षा छह से ऊपर की शिक्षा पर प्रतिबंध, सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के लिए बुर्का अनिवार्य, घर से अकेले बाहर निकलने पर रोक, मनोरंजन के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर पाबंदी स्मार्ट फोन के उपयोग पर भी लगाया प्रतिबंध। पिछले वर्ष भी इस तरह के प्रतिबंध लगाने की खबरें प्रकाश में आई थी।

अफगानिस्तान के तालिबान राज में महिलाओं को डर है कि तालिबान कभी उन्हें विश्वविद्यालय जाने नहीं देगा। महिलाओं पर तालिबान रोक का शिकंजा कसता जा रहा है। महिला अधिकार के कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगान महिलाओं के पूर्ण समर्थन में उतरने का आग्रह किया। शिक्षा से विकास के द्धार खुलते हैं। तालिबान का मकसद आतंकवाद को बढ़ावा देना रहा है। वह चाहता है कि लड़कियां और महिलाएं शिक्षित न हों। प्रतिबंध का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर की बैठकों में उठा कर तालिबान की सबक सिखाना चाहिए।


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