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- पर्यटन को 'तौबा' से...

वर्षांत पर्यटन के मूड में हिमाचल खुद की आजमाइश देख सकता है। फिर भीड़ के आगोश में पर्यटक स्थल और जश्न की बारात में झूमते खरे खोटे अनुभव। सबसे बड़ा उदाहरण अब अटल टनल सुरंग के आसपास हिमाचल की तस्वीर में पर्यटन का मक्का खोजता है, तो भीड़ की तमाम पेरशानियांे से जूझने की नौबत का आलिंगन करता पूरा परिदृश्य बेजार है। गाडि़यों के समुद्र का पर्वत की ऊंचाई से अनूठा मुकाबला और यहां पर्यटन के नाम पर जोश की दीवानगी यह कि हर दिन झूमते हुए छह हजार वाहन सीधी सुरंग को भी टेढ़ा कर देते हैं और दूरियों को मिटाने के संकल्प में लाहुल-स्पीति का जन जीवन यहां आकर भी अस्त-व्यस्त हो जाता है। सुरंग ने पर्यटक खींचे, लेकिन भीड़ ने पर्यटन के ही कान खींच लिए। मनाली से अटल टनल तक पर्यटन का चर्मोत्कर्ष अगर ऐसा हो सकता है, तो पूरे प्रदेश की तस्वीर में अफरातफरी का आलम क्रिसमस से नववर्ष के आगमन तक देखा जा सकता है। हर पर्यटक स्थल पर ट्रैफिक जाम में रेंगते वाहन समूचे उद्योग को शर्मिंदा करते हैं। अगर पर्यटकों से उनके अनुभव का पूछा जाए, तो हिमाचल से तौबा करने वालों का दर्द पढ़ा जा सकता है वरना इसी आलम पर हम खुश होते केवल सैलानियों की शुमारी का लेखा-जोखा कर सकते हैं। अगर हर दिन तकरीबन छह हजार गाडि़यां अटल टनल पहुंच रही हैं, तो क्या वहां के बंदोबस्त हिमाचल के समूचे पर्यटन को चार चांद लगाते हैं या पर्यटन की कटुता में विषाद पैदा होता है। क्या वहां पर्यटन अपना शिष्टाचार पैदा कर पाया है। आखिर हम पर्यटक को दिखा क्या रहे हैं।
divyahimachal
