सम्पादकीय

व्यंग्य : Cyclone Tauktae और Corona सिस्टम को सब दोष गोसाईं!

Gulabi
20 May 2021 10:16 AM GMT
व्यंग्य : Cyclone Tauktae और Corona सिस्टम को सब दोष गोसाईं!
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Cyclone Tauktae और Corona

मनोज सिंह। अरब सागर के बॉम्बे हाई (Bombay High) में ताउते तूफ़ान में फंसकर अब तक 37 लोगों की मौत हो चुकी है और 38 लोग अब भी लापता हैं. दो दिन से लगातार चल रहे राहत और बचाव कार्य में अब तक करीब 300 लोगों की जान बचाई गई है. इस दौरान ओ.एन.जी.सी (ONGC) के आलाअधिकारी मीडिया की नज़रों से ग़ायब रहे. मगर अब 'सिस्टम' सामने आ गया है. तेल और गैस मंत्रालय ने, 'सिस्टम' में ख़ामियों और कमियों की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी है. अब 'सिस्टम' की खैर नहीं. हत्यारा जल्द ही पकड़ा जाएगा.


बचपन से कहावत सुनता आ रहा था, 'ग़रीब की जोरू गांव भर की भौजाई' मतलब जो लाचार है ज़िम्मेदारी उसी की है. यही 'सिस्टम' है. यानि ये जो 'सिस्टम' है यही ग़रीब की जोरू है! यही वो भौजाई है जिसे सारा गांव छेड़ता है! ये 'जोरू' ये 'भौजाई' ही सारे मामले की ज़िम्मेदार है. यह लाचार भी है और लचर भी है. मुझे तो लगता है यह 'चरित्रहीन' भी है. यह जानबूझकर भौजाई बनी हुई है. इसे लाचार और लचर होने में बड़ा मज़ा आता है.

सिस्टम ग़रीब है
'सिस्टम' की मौज तो इसी बात में है कि वह ग़रीब है. जो चाहे उसपर दोषारोपण कर दे. समाज को उस पर दया भी आती है. सिस्टम को किसी से मुंह छिपाने की भी ज़रूरत नहीं क्योंकि उसका कोई चेहरा भी नहीं है. वो तो पल्लू के पीछे अपना चेहरा छिपा कर अपनी लाचारगी के मज़े ले रही है. इस कुलीन समाज में वह चेहरा विहीन, चरित्र विहीन और निर्गुण है. अरे वाह! सिस्टम में एक ग़ज़ब का सात्विक, संत टाइप और फ़कीरी वाला निर्गुण भाव निकलता दिख रहा है. पता नहीं कब ये झोला पटककर चल दे. ऐसे में कोई क्या ही इसका बिगाड़ लेगा.

रामराज्य में भी 'सिस्टम' ही दोषी था!
'सिस्टम' का इतिहास रामायण और महाभारत काल से ही ख़राब रहा है. कुलीनों की भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो गया. पांडव ने ख़ामख़ा सौ कौरवों का वध कर दिया. उन्होंने इसे पर्सनल ले लिया. अरे भाई कोई जांच कमेटी बिठाते तो पता चलता कि ये तो सिस्टम की कमी थी जो द्रौपदी का चीरहरण करना पड़ा. जुए के सिस्टम और उससे भी पहले सिंहासन ट्रांसफर करने के 'सिस्टम' में भारी गड़बड़ी थी. जुआ खेल रहे पांडवों और कौरवों का क्या दोष था. अरे बाबू 'सिस्टम' तो रामराज्य में भी ठीक नहीं रह पाया था. कपड़े धोने वाले एक शख्स के ताना मारने पर रामजी ने माता सीता का त्याग कर दिया. उन्हें वनवास में भेज दिया. कोई जांच कमेटी क्यों नहीं बिठाई. सही ग़लत का फ़ैसला करने का कोई ठीक सिस्टम ही नहीं था. अपनी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि बचाने के लिए तो प्रभु राम ने भी 'सिस्टम' का सहारा लिया, कहा राजधर्म का 'सिस्टम' यही कहता है. सीता को वनवास जाना होगा. मेरी इमेज ख़राब नहीं होनी चाहिए.

कोविड काल: 'सिस्टम' को सब दोष गोसाईं
अब कोरोना की ही बात कर लो भाई. 'सिस्टम' चरमरा गया है. इसमें सरकार या 'सिस्टम' बनाने वालों का दोष नहीं. किसी भी प्राकृतिक आपदा को ईश्वरीय कहा जाता है यही तो 'सिस्टम' है ना! ईश्वर निर्गुण निर्भाव और भी निर्दोष है. सिस्टम भी निर्गुण निर्भाव है मगर 'निर्दोष' नहीं हो सकता. क्योंकि उसकी उत्पत्ति ही दोष को ग्रहण करने के लिए की गई है. वह नीलकंठ है. 'सिस्टम' समाज और सरकार के सभी गुण-दोष ओढ़कर ख़ुद निर्गुण-निर्भाव बना रहता है. उसके कंठ में सारा विष होता है. मगर कभी किसी को उलाहना नहीं देता. 'सिस्टम' हमारे समाज का सेवियर (रक्षक) है, 'सिस्टम' हमारा कस्टम (परम्परा) है


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