सम्पादकीय

सारंग थत्ते का ब्लॉग: नए सीडीएस के सामने पुरानी चुनौतियों का खड़ा है पहाड़

Rani Sahu
1 Oct 2022 5:55 PM GMT
सारंग थत्ते का ब्लॉग: नए सीडीएस के सामने पुरानी चुनौतियों का खड़ा है पहाड़
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By लोकमत समाचार सम्पादकीय
देश की सरकार ने आखिर अपना निर्णय लिया और देश की सेनाओं में समन्वय और एकजुटता के रोपे हुए पौधे को संभालने का दायित्व पूर्वी सेना के अवकाश प्राप्त सेनानायक लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के कंधों पर सौंपा है। नए सीडीएस बने जनरल चौहान ने सेना में 40 वर्षों के कार्यकाल के उपरांत 31 मई 2021 को रिटायर होकर सैन्य मामलों में अपने विचार साझा किए थे।
वे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के ढांचे से परामर्शदाता के रूप में सेना से बंधे हुए थे। थिएटर कमांड का नया अध्याय दिवंगत जनरल बिपिन रावत के कार्यकाल में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सेना के सामने पेश किया था और अब जरूरत है इसे आगे ले जाने और कार्यक्षमता को बढ़ाने की। कागजों पर नजर आने वाला यह सेना का नया स्वरूप जमीन पर अवतरित करना उतना आसान नहीं है।
एक भौगोलिक इलाके में मौजूद थिएटर कमान को सभी जरूरी सैन्य साजोसामान दिलाना एक आसान काम नहीं है। पिछले एक वर्ष में इस पर कुछ शुरुआती कदम लिए गए हैं। लेकिन सफलतापूर्वक थिएटर कमान में सेना के सभी अंगों को एक माला में पिरोना अभी कुछ दूर है। भारत सरकार ने 2019 में सैन्य मामलों का विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ मिलिटरी अफेयर्स) बनाए जाने को स्वीकृति दी थी और जनरल बिपिन रावत, सीडीएस को इसकी जिम्मेवारी सौंपी थी। लेकिन 8 दिसंबर 2021 को हेलिकॉप्टर हादसे में हुई असामयिक मृत्यु के चलते हमने उत्तरांचल के एक वीर सेनानी को खो दिया था।
जनरल बिपिन रावत ने देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनते ही कहा था कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड्स बनाए जाएंगे, ताकि युद्ध के दौरान दुश्मन की हालत खस्ता करने के लिए रणनीति आसानी से बन सके। थिएटर कमांड्स का सबसे सही उपयोग युद्ध के दौरान तब होता है जब बात तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की होती है। युद्ध में तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए ये कमांड बेहद उपयोगी होता है।
यहां से बनी रणनीतियों के अनुसार दुश्मन पर अचूक वार करना आसान हो जाता है। यही कारण है कि सेना, वायुसेना और नौसेना को एक साथ लाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की बात को दिशा मिली है। अभी देश में सिर्फ एक थिएटर कमांड है। इसकी स्थापना वर्ष 2001 में अंडमान निकोबार में की गई थी। वैसे देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं।
अभी देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल हैं। इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड की जरूरत है। रक्षा सूत्रों की मानें तो इन 17 सिंगल कमांड्स को मिलाकर कम से कम चार या छह थिएटर कमांड्स बनाए जा सकते हैं।
Rani Sahu

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