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सम्पादकीय
संजय उवाच: चैंपियंस की इतनी बुरी गत के बारे में तो शायद सपने में भी नहीं सोचा
Gulabi Jagat
24 April 2022 1:48 PM GMT
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इस बार का आईपीएल अपने दामन में न जाने कितनी अनिश्चितता समेटे हुए है
इस बार का आईपीएल अपने दामन में न जाने कितनी अनिश्चितता समेटे हुए है. अब तक जो कुछ सामने आया है, सच कहा जाए तो किसी ने सपने में भी शायद इसकी कल्पना नहीं की थी. चैंपियंस की 15वें सीजन में जो गत बनी है, शायद इससे पहले कभी नहीं बनी. विराट कोहली की टीम क्या सिर्फ 8 ओवर खेलकर 68 के स्कोर पर सिमट सकती है? कोहली का बल्ला क्या इस कदर खामोश हो सकता है? शायद हमने सोचा भी नहीं था. हालाकि 2017 आईपीएल में आरसीबी केकेआर के खिलाफ महज 10वें ओवर मे सिर्फ 49 के स्कोर पर सिमट चुकी है, लेकिन कल तो गजब ही हो गया. मैक्सवेल और प्रभु देसाई के अलावा कोई भी दहाई के आंकड़े को छू न सका. विडंबना देखिए 2017 में भी कोहली का खाता नहीं खुला और कल भी वो कोई रन न बना सके. हैरत इस बात की भी ज्यादा है कि इस बार आरसीबी का प्रदर्शन बुरा नहीं रहा और कल की शिकस्त के बावजूद वो पहले 4 में काबिज है.
तो क्या क्रिकेट में वह भी सबसे छोटे फॉर्मेट में, इस कदर अनिश्चितता होती है? बिल्कुल अगर न होती तो 5 बार खिताब जीत चुकी मुंबई इंडियंस पर इस सीजन प्लेऑफ की दौड़ से बाहर होने वाली पहली टीम बनने का दबाव भी न होता. वैसे मुंबई की अब व्यावहारिक तौर पर अगले दौर में जाने की कोई संभावना नहीं है और आज अगर हारे, तो मैथमेटिकल कैलकुलेशन में भी कहानी खत्म.
चमत्कार ही मुंबई को पहुंचा सकता है प्लेऑफ में
मुंबई को अब कोई चमत्कार ही प्लेऑफ में पहुंचा सकता है और चमत्कार बार बार होते नहीं है. उसे बाकी के सभी मैच जीतने होंगे और साथ ही दूसरी टीमों के साथ अगर-मगर का खेल भी करना होगा. रविवार को आईपीएल में एक ही मैच होगा, जिसमें मुंबई इंडियंस की टीम अपने लिए हार का सिलसिला तोड़ने की उम्मीद लेकर उतरेगी. मुंबई इंडियंस के साथ आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. रणनीति में कोई खामी है या कप्तानी में या फिर टीम में जरूरत के हिसाब से खिलाड़ियों की कमी है. किसी एक कारण पर पहुंचना मुश्किल है. लाग लपेट के बिना सीधे तौर कहना होगा कि मुंबई इंडियंस न सिर्फ खराब खेल रही है, बल्कि उसका संतुलन भी कमजोर है और इसी कारण उसे लगातार 7 हार का सामना करना पड़ा है. कप्तान रोहित शर्मा के लिए यह परेशान करने वाली बात है कि जिस टीम को अब तक वह शीर्ष पर लेकर चल रहे थे वह नये सीजन में क्यों फिसड्डी हो चली है.
मुंबई की सबसे बड़ी जरूरत है रोहित शर्मा
वैसे इस बात में दम है कि टीम की सबसे बड़ी जरूरत खुद कप्तान रोहित शर्मा हैं और उनके बल्ले का चलना जरूरी है. विराट कोहली से भारतीय टीम की बागडोर लेने के बाद पहली बार मुंबई को लीड करते हुए रोहित का बल्ला किस तरह खामोश है. यह इससे समझा जा सकता है कि 7 पारियों में एक बार भी अर्धशतक नहीं लगा और सर्वोच्च स्कोर भी 41 रन है. पिछले मैच के शून्य को जोड़ लें तो 3 बार उनका स्कोर दोहरे अंक तक भी नहीं पहुंचा है. जाहिर है जब कप्तान का बल्ला नहीं चलेगा तो बाकी खिलाड़ियों को कैसे दोष दे सकते हैं. साथ ही सबसे महंगे खिलाड़ियों में से एक ईशान किशन के साथ उनकी पारी की शुरुआत कतई सम्मानजनक नहीं है. यानि मुंबई की लगातार हार की एक बड़ी वजह ओपनिंग जोड़ी का नहीं चलना भी है. वैसे ईशान किशन भी नहीं चल रहे हैं. पहले दो मैचों में लगातार अर्धशतक जमाने के बाद ईशान के बल्ले से पिछली 5 पारियों में कुल मिलाकर 56 रन ही बने हैं. पूर्व चैंपियन टीम को इन्हीं दोनों बल्लेबाजों पर सबसे ज्यादा भरोसा था, पर दोनों के फ्लॉप चलने से नजारा ही बदल गया.
ऑक्शन में क्या रणनीति गलत थी
इस बार दो नई टीमें आईपीएल में शामिल हुई हैं और इस कारण इसकी संख्या 10 तक पहुंच गयी. ऐसे में टीमों के लिए खिलाड़ियों का संतुलन बनाने में मुंबई सबसे पिछड़ा हुआ माना जा रहा है. बल्लेबाजों की सूची में रोहित के अलावा कायरन पोलार्ड और सूर्यकुमार यादव ही बड़ा नाम हैं. यह अलग बात है कि नई प्रतिभाओं में तिलक वर्मा उभरकर सामने आए हैं, पर उनको शुरुआत में टॉप आर्डर में गिना ही नहीं जा रहा था. सूर्यकुमार यादव चोट के कारण पहले दो मैचों में नहीं खेले थे और इस कारण शुरू में ही टीम का मोमेंटम गड़बड़ा गया था. जब तक सूर्यकुमार मैच खेलने उतरते, मुंबई दो हार झेल चुका था और फिर यह सिलसिला चल पड़ा. टीम की गेंदबाजी लाइनअप भी कागज पर और मैदान पर भी मजबूत नहीं दिखी. बड़े नामों में सिर्फ जसप्रीत बुमराह और जयदेव उनादकट थे. जयदेव चौथे मैच से खेले और जब खेले तो उनकी पिटाई भी खूब हुई. जबकि बुमराह बिलकुल भी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं. 7 में से पांच बार उनको विकेट भी नहीं मिला. कुल मिलाकर यह माना जा सकता है कि मुंबई इंडियंस ने इस बार टीम संयोजन पर ठीक से ध्यान नहीं दिया.
लखनऊ सुपरजायंट्स को हराना मुश्किल
मुंबई इंडियंस के लिए आज के मैच में चमत्कार की उम्मीद है, पर क्या पांचवें स्थान पर चल रही इस टीम से पार पाना आसान होगा. लखनऊ अपना पिछला मैच हार चुका है, लेकिन उसे मुंबई आसान चारा जैसा दिख रहा है. विपक्षी टीम पर वार करना उसके लिए मुश्किल नहीं है. आवेश खान, जेसन होल्डर, रवि बिश्नोई, दुष्मंता चमीरा के रहते मुंबई के बल्लेबाजों के लिए कुछ भी आसान नहीं होगा. दोनों ही टीमों के बीच हार-जीत का अतंर है, लेकिन बेहतर शुरुआत के मामले में दोनों ही टीमें लगभग एक ही नाव पर सवार है. अब तक लखनऊ की पारी की शुरुआत भी बेहतर नहीं रही है. अगर कहें तो जो इस मामले में बाजी मारेगा, शायद मैच भी उसी के पाले में आएगा.
चेन्नई अब 'सुपर' नहीं
दूसरी ओर गत विजेता चेन्नई सुपर किंग्स की हालत भी इस बार खराब है. सात में से पांच मैचों में हार, उसके लिए आगे का रास्ता मुश्किल बनाती जा रही है. चेन्नई वैसे उम्रदराज खिलाड़ियों के साथ हमेशा खेलता रहा है और जीतता भी रहा है, लेकिन महेन्द्र सिंह धोनी के अब कप्तान नहीं रह पाने से टीम की लय टूटी है. सवाल तो यह भी उठने लगा है, कि लीग शुरू होने से सिर्फ दो दिन पहले कप्तानी छोड़ने की वजह कहीं, टीम के इस हश्र का पूर्वानुमान तो नहीं था? नये कप्तान रवींद्र जडेजा के लिए कप्तानी मुश्किल हो रही और खुद का प्रदर्शन भी गिरा -सो अलग. चेन्नई के साथ सिर्फ कप्तान का मसला नहीं है. अगर मैच के समय मैदान पर गौर करें तो पाएंगे कि एक नहीं, मैदान पर दो-दो कप्तान हैं. जडेजा के साथ धोनी भी कई बार इस काम में लग जाते हैं. भविष्य को देखते हुए जरूर धोनी ने जडेजा पर कप्तानी का भार सौंपा है, पर लगता है जडेजा पर पहला सीजन भारी पड़ रहा है. मुंबई के मुकाबले चेन्नई का हाल जुदा है. यहां से अब चाहे तो तीन बार की चैंपियन टीम अपना सफर सुहाना बना सकती है, लेकिन उसे मैच जीतने के लिए ऋतुराज गायकवाड़ जैसे बल्लेबाजों को फॉर्म में आना होगा, अन्यथा हश्र तो सबको पता है.
कप्तानों का बदला नजरिया
इस बार सभी टीमों के कप्तान का रोल बदला हुआ जैसा लग रहा है. खासकर गुजरात टाइटंस के हार्दिक पांड्या का. वह गेंदबाज से ज्यादा बल्लेबाज लग रहे हैं. अद्भुत रूप से वह अपनी टीम को जीत दिला रहे हैं. उनका बल्ला जिस अंदाज से रन उगल रहा है वह किसी भी टीम के भरोसे के लिए काफी है. शनिवार को भी हार्दिक ने कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ केवल 49 गेंदों पर 67 रन बनाये थे. अंत में जब टीम केवल आठ रन से जीती तो उनके रन का महत्व समझ में आ गया. यहां तक कि जब एक मैच में राशिद खान ने भी काम चलाऊ कप्तानी की तो उन्होंने भी बेहतर स्ट्राइक रेट के साथ 40 रन बना डाले थे. मुबंई और चेन्नई को छोड़ दें तो लखनऊ के नये कप्तान केएल राहुल टीम को जिताने में जिस रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं वह भी सराहनीय है. पंजाब किंग्स के लिए पिछली बार जिस तरह से वह कप्तानी पारी खेल रहे थे, इस बार भी वह लखनऊ के लिए खेल रहे हैं. बस पंजाब हार रही थी और लखनऊ जीत रहा है. यह बड़ा अंतर माना जा सकता है.
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राजस्थान रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन बाकी कप्तानों के मुकाबले थोड़े भाग्यशाली हैं, क्योंकि टीम की पांच जीत में उनके बल्ले का योगदान सिर्फ दो बार रहा है. दिल्ली कैपिटल्स के ऋषभ पंत, सनराइजर्स हैदराबाद के केन विलियमसन और रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के कप्तान फाफ डु प्लेसी को बल्ले से अपना जोड़ दिखाना होगा, लेकिन कल रात के मुकाबले को अलग कर दें तो डु प्लेसी और विलियमसन की टीम जरूर पंत के मुकाबले बेहतर साबित हो रही है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
संजय बैनर्जी ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर
ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट व कॉमेंटेटर. 40 साल से इंटरनेशनल मैचों की कॉमेंट्री कर रहे हैं.
Gulabi Jagat
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