सम्पादकीय

रूस पर प्रतिबंध

Rani Sahu
9 March 2022 6:04 PM GMT
रूस पर प्रतिबंध
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रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते युद्ध की विश्व पर पड़ती-बढ़ती आंच से बहुत कुछ तपने लगा है

रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते युद्ध की विश्व पर पड़ती-बढ़ती आंच से बहुत कुछ तपने लगा है। युद्ध का निरंतर खतरनाक होते जाना न केवल दुखद, बल्कि मानवता के लिए शर्मनाक भी है। बड़ी शक्तियों के बीच प्रत्यक्ष-परोक्ष संघर्ष का जो सिलसिला चल निकला है, पूरी दुनिया को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। रूस के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से बच रहा नया अमेरिका प्रतिबंधों से नकेल कसता चला जा रहा है। अब रूस को गहराई से नुकसान पहुंचाने के लिए अमेरिका ने वहां से तेल-गैस आयात को रोक दिया है। अगर अमेरिका तेल-गैस को रूस की अर्थव्यवस्था की मुख्य धमनी मानता है, तो फिर क्या वह यह कदम पहले नहीं उठा सकता था? ऐसे जरूरी प्रतिबंध के लिए अमेरिका को भला 12 दिन क्यों इंतजार करना पड़ा? क्या अमेरिका रूसी तेल-गैस पर निर्भर हो गया था या युद्ध रोकने से ज्यादा उसे तेल-गैस की चाहत थी? खैर, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने साफ कह दिया है कि वह रूसी तेल, गैस और ऊर्जा के सभी आयातों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, तो यकीन मानिए, रूस इस युद्ध को और तीखा कर देगा, ताकि जल्दी से जल्दी अपने मकसद तक पहुंच सके। अमेरिकी कदम दूरगामी रूप से रूस को जरूर नुकसान पहुंचाएगा, लेकिन तात्कालिक रूप से प्रतिउत्पादक भी साबित हो सकता है।

बहरहाल, अमेरिकी घोषणा के बाद वैश्विक तेल की कीमतों ने उछाल का रुख कायम रखा है। तेल कहीं 131.2 डॉलर प्रति बैरल है, तो कहीं 126.3 डॉलर प्रति बैरल चल रहा है। भारत को भी प्रति बैरल 126 डॉलर तेल खरीदना पड़ रहा है। रूस ने पहले ही चेतावनी दे रखी है कि तेल के कीमत 300 डॉलर के पार जाएगी। रूस की धमकी के बाद ही अमेरिका ने कदम उठाकर दिखाया है, ताकि रूस के हाथों में तेल की कीमतों की कमान न रहे। अमेरिका की अब कोशिश होगी कि रूस से दुनिया का कोई भी देश तेल, गैस नहीं खरीदे। ब्रिटेन सरकार ने भी रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिए हैं, जबकि यूरोपीय संघ ने एक वर्ष के भीतर रूसी गैस के आयात को दो-तिहाई कम करने के कार्यक्रम का खुलासा किया है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऊर्जा के लिए यूरोपीय देश रूस पर कितने निर्भर हैं। रूस पर इन देशों की ज्यादा निर्भरता से भी रूस की महत्वाकांक्षा को बल मिला होगा। यह सावधान होने का समय है, दूसरे देशों पर निर्भरता बहुत महंगी पड़ने वाली है और यह पाबंदी रूस को भी महंगी पड़ेगी।
अब सवाल यह है कि भारत जैसे देशों का क्या होगा, जो रूस पर अनेक मामलों में निर्भर हैं। लगे हाथ हमें, चीन पर भी अपनी निर्भरता के बारे में सोच लेना चाहिए। अभी भारत को रूसी ऊर्जा की आपूर्ति कम है, लेकिन भारत और रूस के बीच बहुआयामी ऊर्जा जुड़ाव से चिंता बढ़ने लगी है। ध्यान रहे, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है। आंच बेशक भारत तक पहुंच रही है। अमेरिका भी धीरे-धीरे भारत पर शिकंजा कसेगा, ताकि भारत किसी भी सूरत में रूस को प्रत्यक्ष या परोक्ष लाभ न पहुंचा पाए। अत: भारत को आगे बढ़कर समान सोच वाले देशों के साथ मिलकर युद्ध विराम के लिए प्रयास तेज करने चाहिए। यूक्रेन के लोगों के पक्ष में बड़े और ईमानदार प्रयासों की जरूरत है। अभी यूक्रेन में इंसानियत हार रही है। लोग मर रहे हैं, शहर तबाह हो रहे हैं। ऐसे में, जरूरी है कि रूस पर लग रहे प्रतिबंध सकारात्मक रूप से दुनिया को इंसानियत की ओर ले जाएं।

क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान

Rani Sahu

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