- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- मिथिला होली परिक्रमा...
अमिय भूषण।
फाग की धूम सर्वत्र छाई है। हर किसी को रंगों के उत्सव होली की प्रतीक्षा है। समय के साथ सनातन धर्म का यह पर्व अब वैश्विक हो चला है। इसके पीछे कुछ हद तक प्रवासी भारतीय और आध्यात्मिक सनातन संस्थाओं का भी योगदान है। बात होली के अतीत की करें तो अन्य सनातन त्योहार की तरह यह भी सत्य, न्याय और भक्ति के विजय का पर्व है। बात इसके रंग की करें तो यह बेहद गहरा है। इसलिए यह जितना रंगीन है, उतना ही प्राचीन है। तभी तो भगवान विश्वनाथ काशी में और रघुनाथ अयोध्या में होली खेलते हंै। किंतु ब्रज और मिथिला की होली को विशिष्ट माना गया है। यहां पुरातन समय से ही कृष्ण और राधा, राम और सीता को लेकर होली उत्सव की परंपरा को गढ़ा गया है। समय के साथ ब्रज की होली काफी चर्चित हो गई है। होली में यहां का रुख दुनिया भर के लोग कर रहे हंै। इन दिनों नंदगांव, बरसाने, वृंदावन और मथुरा का दृश्य देखने योग्य होता है।