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- निजी अस्पतालों का यही...
प्राइवेट अस्पताल चाहे भारत में हों या अमेरिका में उनका चरित्र एक जैसा ही है। वे कहने को भले चैरिटी के लिए बनते हों और इस नाम पर सरकारों से सुविधाएं ले लेते हों, लेकिन असल में उनकी नजर में मुनाफे से बड़ा कुछ और नहीं होता। इसी बात की पुष्टि हाल में अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी (जेएचयू) के इस अध्ययन से हुई। इसके मुताबिक कुछ सबसे ज्यादा कमाई वाले अस्पतालो ने अपने यहां इलाज कराने की फीस इलाज पर असल में आने वाली लागत से दस गुना तक तय कर रखी है। गौरतलब है कि अमेरिका में अस्पतालों को अपनी फीस और चिकित्सा संबंधी तमाम शुल्क खुद तय करने का अधिकार है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों ने मेडिकल बीमा करा रखा है, उनकी तरफ से बीमा कंपनी अस्पतालों से सौदेबाजी कर लेती है। इस कारण उन्हें व्यवहार में बिल अपेक्षाकृत कम चुकाना पड़ता है। लेकिन जिनके पास बीमा पॉलिसी नहीं है, उन पर ऐसी फीस दर का बहुत बुरा असर होता है। यही वजह है कि अमेरिका में हेल्थ केयर फॉर ऑल (सबके लिए मुफ्त इलाज) की मांग जोर पकड़ रही है।