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- अंगदानियों को शत-शत...

यद्यपि मनुष्य का जीना-मरना अटल सत्य है, तथापि हम मरना नहीं चाहते। आत्मा अमर है, अनश्वर है और शरीर नश्वर है। मतलब मरने के बाद शरीर अनुपयोगी हो जाता है। मरने के बाद यदि हम अंगदान करें तो एक तरह से औरों के शरीर में जीवित रह सकते हैं। यदि कोई मरने के बाद किसी दूसरे आदमी के जीवन में उजाला भर दे तो इससे बड़ा पुण्य क्या हो सकता है। इनसानियत की इससे बड़ी कोई मिसाल नहीं हो सकती। यही मिसाल पेश की नगरोटा बगवां उपमंडल के तहत आने वाले हटवास के 18 वर्षीय विशाल व उसके परिवार वालों ने। विशाल गत 10 मार्च को सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया था। मेडिकल कॉलेज टांडा में जब उसके बचने की उम्मीद न रही, तो डॉक्टरों ने परिवार वालों को अंगदान के बारे में बताया। परिवार वालों ने उसके अंगों को दान करने की मंज़ूरी दे दी। इस तरह 12 मार्च का दिन हिमाचल प्रदेश के लिए ऐतिहासिक बन गया जब टांडा मेडिकल कॉलेज व पीजीआई के डॉक्टरों के संयुक्त दल ने हिमाचल प्रदेश में पहला कैडेवरिक ऑर्गन रिट्रिवल ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न किया। इस ऐतिहासिक दिन के साथ विशाल का नाम हमेशा-हमेशा के लिए जुड़ गया। विशाल की किडनियां व कॉर्निया चार लोगों को नई जि़ंदगी देंगे। यही मिसाल पेश की मंडी के धर्मपुर उपमंडल की ग्राम पंचायत लौंगनी के स्याठी गांव की 11 वर्षीय नयना व उसके परिवार ने। गत 3 मार्च को एक बस दुर्घटना में नयना के सिर पर गहरी चोट लगी थी। पीजीआई के डाक्टरों ने जब उसके परिवार वालों को यह बताया कि नयना को बचा पाना संभव नहीं, तो परिवार वालों ने उसके अंग दान करने की मंज़ूरी दे दी।
