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- सुरक्षा की न्यूजिया...
अरली इन द मॉर्निंग अपने परम मित्र का फोन आया तो मैं चाय के साथ उसे भी कंसीव करने लगा । मत पूछो, उस वक्त उनकी आवाज में कितने गजब का दम और दंभ था। मेरे चाय के गिलास के साथ साथ फोन उठाते ही मुझ पर पिल्लते बोले, 'हाय बंधु! क्या कर रहे हो?' 'चाय पीते हुए भी मच्छरों से बचने की कोशिश कर रहा हूं। हट परे।' एक मच्छर को अपने दिमाग पर से हटातेस अहिंसा परमो धर्मावलंबी होने के चलते होते मैंने नंगी बाजू पर बैठे मच्छर को प्यार से बेकार की डराने धमकाने की कोशिश करते कहा तो वे बोले, 'अब डरो मत! उड़ा लिए जितने मच्छर अपनी नंगी टांग बाजुओं, दिमाग पर से उड़ाने थे। मेरा मतलब, अब मच्छरों से डरने मरने के दिन समझो गधे की पीठ पर लदे।' 'तो क्या मच्छरों और सरकार के बीच जनता को न काटने का कोई गुपचुप समझौता हो गया?' 'नहीं यार! सबको काटने वाले मच्छरों को काटने वाली वैक्सीन मिल गई।' 'कहां?' 'फिलहाल तो न्यूज में। टीवी पर खबरें भी देख लिया करो यार कभी कभी।' वे गुस्साते मुझे नसीहत देते बोले तो मैंने पगला पूछा, 'किसने बनाई? अपने यहां के किसी बाबा ने?' 'छोड़ो यार! किसने बनाई, इससे क्या लेना! जिसने भी बनाई, भगवान उसका भला करे। बची जिंदगी में अब कम से कम मच्छरों की ओर से बेफिक्र हो जाओ। सोच लो, अच्छे दिन आएं या नए, पर अब बिन मच्छरदानी के लंबी तान कर सोने के दिन आ गए।' 'तो अब?' 'तो अब क्या! जितना मच्छरों की किस्मत में तुम्हें काटना लिखा था, उतना उन्होंने तुम्हें को काट लिया।