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- बच्चों के लिए बने...
आदित्य चोपड़ा: भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी है। इस बार कोविड-19 की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं। वहीं तीसरी लहर के खतरे ने लोगों को और भी डरा दिया है। यद्यपि यह तय नहीं है कि तीसरी लहर कब आएगी और यह भी नहीं पता कि यह कितनी खतरनाक होगी। अलग-अलग अनुमान सामने आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि बच्चों के लिए कोरोना की कोई वैक्सीन भारत में नहीं बनी और इसके अलावा कई ऐसी दवाएं हैं जो बच्चों को नहीं दी जा सकतीं। इस स्थिति में बच्चों को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है। अंधकार में कुछ किरणें भी दिखाई दे रही हैं। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने फाइजर बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन को 12 वर्ष या उससे ऊपर के बच्चों को भी लगाने की इजाजत दे दी है। अभिभावकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि यह वैक्सीन बच्चों पर कितनी कारगर है और यह बड़ों से कितनी अलग है। भारत के लिए यह चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि यहां 12 साल से कम उम्र के बच्चों की बड़ी आबादी है। देश में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या कम से कम 16.5 कराेड़ है। अगर तीसरी लहर में उनमें से केवल 20 फीसद के संक्रमित होने और संक्रमितों में से केवल 5 फीसदी को क्रिटिकल केयर की जरूरत पड़ेगी, ऐसा मानें तो हमें 1.65 लाख पीडियाट्रिक आईसीयू बेड्स की जरूरत पड़ेगी। आज की स्थिति यह है कि अस्पताल मरीजों से भरे पड़े हैं, लोगों को बेड नहीं मिल रहे। बच्चे ही किसी भी देश का भविष्य होते हैं और उन्हें बचाने के लिए हमें बच्चों के पेरेंट्स को जल्द से जल्द दोनों डोज के साथ वैक्सीनेट करना होगा। हमें अगले कुछ महीनों में कम से कम 30 करोड़ युवा पेरेंट्स को वैक्सीन लगानी होगी।