- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- संसद में दुखद
मानसून सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में जो हुआ, उसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकेगा। सत्ता पक्ष और विपक्ष, दोनों एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराने में जुट गए हैं, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उच्च सदन की गरिमा को नुकसान पहुंचा है। विपक्ष ने जहां यह आरोप लगाया है कि मार्शलों ने सांसदों से गलत व्यवहार किया, तो वहीं सरकार की ओर से कई मंत्रियों ने सामने आकर कहा कि विपक्ष ने असंसदीय व्यवहार किया और सेक्रेटरी जनरल व स्टाफ के साथ धक्का-मुक्की की गई। और तो और, राज्यसभा के हंगामे के कुछ वीडियो भी सामने आए हैं और वायरल हो रहे हैं, जिनमें भारतीय संसद में मचे हंगामे को दुनिया देख रही है। ये दृश्य ऐसे दाग की तरह हैं, जिन्हें सियासत या किसी सफाई से धोया नहीं जा सकता। सवाल हमेशा के लिए पैदा हो चुका है कि क्या हमारी संसद में महिला मार्शल अब सुरक्षित नहीं हैं? क्या विपक्षी सांसदों पर नियंत्रण के लिए बाहर से चालीस-पचास मार्शल बुलाए गए थे? क्या इस पूरे प्रकरण की जांच होगी? क्या देश इस हंगामे का पूरा सच जान पाएगा? सरकार कह तो रही है कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी, लेकिन क्या जांच सियासत से प्रभावित नहीं होगी? आम तौर पर हमने अनेक सांसदों को सदन में हंगामा करते देखा है और हम इन नियोजित हंगामों को सहजता से स्वीकार करते आए हैं, तो नतीजा सामने है।