- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- रूस-यूक्रेन युद्ध:...
पिछले करीब ढाई साल से देश और दुनिया के लोग कोविड महामारी से जूझ रहे हैं। स्वास्थ्य और रोजी-रोटी से त्रस्त लोगों को राहत देने के बजाय सत्ताएं यूक्रेन पर रूसी हमले से जूझ रही हैं। कई देश अपनी रोटी भी सेंकने में लगे हैं। देश के लोगों की रोजमर्रा की आर्थिक समस्याएं देखने के बजाय युद्ध के बम-हथियार और गोला-बारूद खरीदने-बेचने में लगे हैं। सत्ता का क्या यही उद्देश्य होता है? क्या सत्ताधीशों का अहंकार समाज की समस्याओं से ज्यादा बड़ा और जरूरी हो जाता है? क्यों महामारी के ढाई साल के बाद दुनिया को विश्वयुद्ध के कगार पर खड़ा कर दिया गया है? दो भाइयों जैसे राष्ट्रों के बीच चल रहे सीमा विस्तार युद्ध ने विश्वयुद्ध का माहौल क्यों बना दिया है? क्या युद्धों में आम लोगों की जान गंवाने के अलावा किसी को जीत मिली है? या इसको केवल लोकशाही और तानाशाही का अंतर्द्वंद्व भर माना जाए?
सोर्स: अमर उजाला