सम्पादकीय

रूस-युक्रेन युद्ध : नो-फ्लाई जोन घोषणा का अर्थ है विनाशकारी परमाणु युद्ध

Gulabi Jagat
27 March 2022 11:16 AM GMT
रूस-युक्रेन युद्ध : नो-फ्लाई जोन घोषणा का अर्थ है विनाशकारी परमाणु युद्ध
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यूक्रेनी शहरों पर रूसी बमवर्षक आग बरसा रहे हैं. रूस हर नए दिन के साथ आक्रामक होता जा रहा है
ज्योतिर्मय रॉय.
यूक्रेनी (Ukraine) शहरों पर रूसी (Russia) बमवर्षक आग बरसा रहे हैं. रूस हर नए दिन के साथ आक्रामक होता जा रहा है. यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की बार-बार अमेरिका और यूरोपीय देशों से यूक्रेन को "नो-फ्लाई जोन" (No Fly Zone) घोषित करने का आग्रह कर रहे हैं. जितनी बार राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की पश्चिमी राजनेताओं से नो-फ्लाई ज़ोन घोषित करने की अपील करते हैं, उतनी ही बार पत्रकार व्हाइट हाउस को घेरते हुए प्रश्न पूछते हैं कि यूक्रेन के आसमान को नो-फ्लाई ज़ोन क्यों नहीं घोषित किया जा रहा है. ज़ेलेंस्की समाचार मीडिया के माध्यम से व्हाइट हाउस पर राजनीतिक दबाव बनाना चाहते हैं.क्या कारण है कि अमेरिका और पश्चिमी देश ज़ेलेंस्की के इस अनुरोध पर मौन हैं और इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहे हैं? इसे लागू न करने की पश्चिमी देशों की क्या मजबूरी है? यदि नो-फ्लाई ज़ोन घोषित कर क्या पुतिन की वायु सेना को यूक्रेन के आसमान से दूर रखा जा सकता है? आखिर नो-फ्लाई ज़ोन है क्या?
नो-फ्लाई ज़ोन का मतलब क्या है
बहुत से विदेश नीति टिप्पणीकार और यूक्रेनी सरकार के प्रवक्ता नो-फ्लाई ज़ोन लागू करने के बारे में बात कर रहे हैं, जैसे कि यह पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा तय किया जाने वाला एक प्रशासनिक मामला मात्र है, जिसे कहीं भी कभी भी घोषित किया जा सकता है. वे इसके दूरगामी परिणामों की अनदेखी कर रहे हैं. वास्तविकता यह है कि नो-फ्लाई ज़ोन लागू करने का शाब्दिक अर्थ होगा कि अमेरिका और नाटो की युद्धक विमान और मिसाइल रूसी विमान और मिसाइल को यूक्रेन की आकाश में प्रवेश करने से रोके.
वास्तविकता यह है कि नो-फ्लाई ज़ोन लागू करने का शाब्दिक अर्थ यूक्रेन को रूसी विमानों और मिसाइलों के हमले से बचाने के लिए रूस के खिलाफ अत्याधुनिक अमेरिका और नाटो युद्धक विमानों और मिसाइलों का उपयोग करना होगा. इसका मतलब होगा रूस और अमेरिका के प्रभुत्व वाले नाटो गठबंधन के 30 देशों के बीच तत्काल युद्ध जो तीसरे विश्व युद्ध की ओर ले जाएगा.
नो-फ्लाई जोन घोषणा का अर्थ है एक भयंकर विनाशकारी परमाणु युद्ध
एक जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि 72% अमेरिकी नागरिक रूसी विमान को जमीन पर उतारने के पक्ष में हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि खेरसॉन और मारियुपोल जैसे स्थानों में नागरिक हताहतों की संख्या को नित्य अपने टेलीविजन पर देखने वाले अमेरिकी नागरिकों की यह एक स्वाभाविक और मानवीय प्रतिक्रिया मात्र है. जबकि वास्तविकता यह है कि नो-फ्लाई जोन घोषणा का अर्थ है एक भयंकर तृतीय विश्व युद्ध, जो द्वितीय विश्व युद्ध जैसे परमाणु हथियारों के उपयोग के साथ ही समाप्त होगा, जो विश्व मानवता के लिए विनाशकारी साबित होगा. क्योंकि, वर्तमान में उन्नत तकनीक के कारण द्वितीय विश्व युद्ध में प्रयुक्त परमाणु बमों की तुलना में कई गुना अधिक शक्तिशाली परमाणु बम अब परमाणु सम्पन्न देशों के पास मौजूद है, जिनकी विनाश शक्ति प्रलयकारी है। महाशक्ति रूस और अमेरिका के पास ऐसे हजारों परमाणु बम हैं, जिसके प्रयोग से पृथ्वी का नाश हो सकता है। परमाणु हथियारों से सम्पन्न रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका का यह टकराव बहुत आसानी से एक पूर्ण परमाणु टकराव के रूप ले सकता है.
रूस की राष्ट्रपति पुतिन ने 28 फरवरी को घोषणा की कि उन्होंने देश के सामरिक परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखा है. मॉस्को ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो सहयोगियों ने यूक्रेन को लड़ाकू जेट विमानों की आपूर्ति की, तो यह युद्ध और बढ़ सकता है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने चेतावनी देते हुए कहा कि रूस यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ में परमाणु हथियारों का उपयोग तभी करेगा जब उसके ऊपर "अस्तित्व का खतरा" मंडरा रहा होगा. दूसरी ओर, अमेरिकी मिसाइलें एक पल की सूचना पर लॉन्च करने के लिए हमेशा तैयार रहती हैं.
यह परमाण युद्ध संभवतः वाशिंगटन, न्यूयॉर्क, लॉस एंजिल्स, शिकागो, मॉस्को, सेंट पीटर्सबर्ग, कीव, लंदन, पेरिस, बर्लिन और कई अन्य शहरों को मानचित्र से मिटा भी सकता है. यदि युद्ध फैल गया, तो अन्य परमाणु शक्तियों को न चाहते हुए भी इस युद्ध में शामिल होना पड़ेगा. युद्ध क्षेत्र से दूर बीजिंग, शंघाई, ताइपे और विभिन्न महानगरों के वाष्पीकरण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक परमाणु युद्ध का मतलब होगा कि मिनटों में करोड़ों लोगों की मौत. सौभाग्य से, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, नाटो के अन्य नेता, और अमेरिकी कांग्रेस के अधिकांश लोग इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि यदि अगर परमाणु युद्ध होता है, तो रूस, अमेरिका, नाटो देशों सहित चीन का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। यही कारण है कि अब तक नो फ्लाई जोन की मांग को महत्व नहीं दिया गया है।
परमाणु युद्ध का अर्थ है आपसी निश्चित विनाश
शीत युद्ध के दौरान, सोवियत संघ (USSR) और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने स्वीकार किया कि यदि दोनों देशों में से कोई एक ने भी परमाणु युद्ध शुरू करता है तो दोनों देश नष्ट हो जाएंगे. इस विचार को 'म्युचुअल एश्योर्ड डिस्ट्रक्शन' (M.A.D.) कहा जाता था और जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है. इस विचार ने अब तक दुनिया को सुरक्षित रखा है.
जब अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन और सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने 1985 में मुलाकात की, तब उन्होंने विश्व के लिए घोषणा किया कि, "एक परमाणु युद्ध नहीं जीता जा सकता है और इसे कभी नहीं लड़ा जाना चाहिए." यह सिद्धांत नो-फ्लाई ज़ोन की सभी चर्चाओं के केंद्र में होना चाहिए, और परमाणु युद्ध की कोई भी धारणा को पूर्ण विराम देना चाहिए, और M.A.D. को क्रियान्वित किया जाना चाहिए.
यूक्रेन की राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की अक्षम और अदूरदर्शी नेतृत्व ने यूक्रेन पर रूस की 'विशेष सैन्य अभियान' को पूर्ण युद्ध में बदलने में मदद की. युद्ध की शुरुआत में, उनके भड़काऊ बयानों ने रूस को उकसाया. अपने देश के परमाणु बलों को हाई अलर्ट पर रखने के पुतिन के आदेश ने युद्ध को खतरनाक स्थिति में डाल दिया. संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी कई उत्तेजक कदम उठाए हैं जिन्होंने दुनिया को इस संकट में डाल दिया है.
अमेरिका हमेशा दोहरे चरित्र का रहा है
परमाणु हथियारों के मामले में अमेरिका हमेशा से दोहरे चरित्र का रहा है। दशकों से परमाणु हथियारों के नियंत्रण की प्रगति को उलटते हुए, 2002 में, राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश ने अमेरिका को 1972 की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि से बाहर खींच लिया। उनके उत्तराधिकारी, बराक ओबामा, एक तरफ रूस के साथ एक नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (New START) पर बातचीत करते रहे, और दूसरी तरफ जबकि अमेरिका परमाणु शस्त्रागार की क्षमताओं को उन्नत करने के लिए अरबों खर्च करते रहे. फिर, डोनाल्ड ट्रम्प के दौरान अमेरिका ने 1987 इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज (INF) संधि छोड़ दी. वास्तविक स्थिति यह है की आज अमेरिकी मिसाइलें पोलैंड और चेक गणराज्य में तैनात हैं, जो रूसी सीमा से दूर नहीं हैं.
परमाणु युद्ध के खतरे को कम करने की दिशा में पहले जो प्रगति हुई थी, वह क्षीण हो गई है. यह उस संदर्भ का एक प्रमुख हिस्सा है जिसके माध्यम से यूक्रेन में नो-फ्लाई ज़ोन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए. वैश्विक परमाणु विनाश को रोकने के लिए कई बैकस्टॉप पहले ही हटा दिए गए हैं, इसलिए कोई भी जोखिम हम नहीं उठा सकते.
विश्व युद्ध से बचाने के लिए बातचीत ही एकमात्र यथार्थवादी रास्ता है
यूक्रेन के लोग अब महाशक्तियों के संघर्ष के बीच फंस गए हैं। वे इस लड़ाई के लिए सबसे अधिक कीमत चुका रहे हैं, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई है और शेष विश्व पर अब एक नए विश्व युद्ध का खतरा मंडरा रहा है.
रूस को घेरने और यूरोप में अपने प्रभुत्व को मजबूत करने के लिए दृढ़ संकल्पित अमेरिकी साम्राज्यवाद ने 2014 में एक तख्तापलट में यूक्रेन की सरकार को उखाड़ फेंकने में मदद की और रूस विरोधी नाटो सैन्य गठबंधन में यूक्रेन को शामिल करने की साजिश शुरू की. तख्तापलट ने यूक्रेन में चरम दक्षिणपंथी को सशक्त बनाया और पूर्व में एक गृह युद्ध शुरू करने में मदद की जो आठ वर्षों से अधिक समय तक चला.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की की 'नो-फ्लाई ज़ोन' इस युद्ध का समाधान नहीं है. वास्तव में, नो-फ्लाई ज़ोन यूक्रेन के विलुप्त होने का सबसे तेज़ और सुनिश्चित तरीका है. यूक्रेन के लोगों को बचाने और दुनिया को विश्व युद्ध से बचाने के लिए, बातचीत ही एकमात्र यथार्थवादी रास्ता है. यह बातचीत संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में पुतिन और बाइडेन के बीच होनी चाहिए.
यूक्रेन को 'युद्ध मुक्त जीरो ज़ोन' घोषित करना चाहिए
अमेरिका के दोहरे चरित्र के कारण दुनिया के अलग-अलग देशों में अमेरिका की विश्वसनीयता को लेकर संशय बना हुआ है. यूक्रेन की भौगोलिक उपस्थिति, जो अमेरिका के करीब है, रूस के लिए हमेशा चिंता का विषय बनी रहेगी. यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस की टकराव कभी भी हो सकता है. इस स्थिति में संयुक्त राष्ट्र द्वारा यूक्रेन को 'युद्ध मुक्त जीरो ज़ोन' घोषित कर, यूक्रेन की सुरक्षा और सैन्य नियंत्रण संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में होना चाहिए.
रूस-अमेरिका बातचीत में निम्नलिखित तथ्यों को शामिल किया जाना चाहिए। 1. बातचीत से पहले रूस और यूक्रेन को एक दूसरे पर आक्रमण रोकना चाहिए. 2. यूक्रेन के अस्तित्व और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए. 3. नाटो को यूक्रेन में विस्तार की मांग नहीं करने का संकल्प लेना चाहिए. 4. यूक्रेन को भी नाटो में शामिल न होने की शपथ लेनी चाहिए. 5. अमेरिका और नाटो देशों को यूक्रेन को हथियार और सैन्य सहायता बंद कर देनी चाहिए. 6. यूक्रेन और रूस को डोनेट्स्क और लुगांस्क के डोनबास क्षेत्रों में गृहयुद्ध को हल करने के लिए और अधिक गंभीर बातचीत करनी चाहिए, जिसमें सशस्त्र बलों में फासीवादी और नव-नाजी तत्वों को नियंत्रण में लाना शामिल है. 7. यूक्रेन को 'युद्ध मुक्त जीरो ज़ोन' घोषित कर, यूक्रेन की सुरक्षा और सैन्य नियंत्रण संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में होना चाहिए.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखिका के निजी हैं.)
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