सम्पादकीय

रूस के जवाबी कदम

Gulabi
11 March 2022 6:26 AM GMT
रूस के जवाबी कदम
x
दुनिया में इन बातों की खूब चर्चा है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर क्या प्रतिबंध लगाए हैँ
By NI Editorial
अब तक रूस पर इतने प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं कि अब किसी अन्य प्रतिबंध से उस पर और क्या फर्क पड़ेगा? चरम उपाय संबंधित देश के खिलाफ सैनिक कार्रवाई होती है। लेकिन अमेरिका या उसके साथी देश इस उपाय को अपनाने में सक्षम होते, तो पहले ही वैसा कर चुके होते।
दुनिया में इन बातों की खूब चर्चा है कि पश्चिमी देशों ने यूक्रेन पर हमले के बाद रूस पर क्या प्रतिबंध लगाए हैँ। लेकिन रूस ने उन कार्रवाइयों के जवाब में जो कदम उठाए हैं, उन पर और उनके अर्थ पर ज्यादा बात नहीं हुई है। जबकि रूस के कदमों का दूरगामी परिणाम होगा। मसलन, रूस ने एक कदम यह उठाया है कि उसने उन देशों को अ-मित्र घोषित कर दिया है, जिन्होंने उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैँ। साथ ही ये एलान किया है कि इन देशों से या उनके संस्थानों से रूस की सरकार या कंपनियों ने जो कर्ज लिए हैं, उन्हें अब रुबल में चुकाया जाएगा। अब मुद्दा यह है कि रुबल का मूल्य कौन तय करेगा? जाहिर है, कोई सरकार अपनी सॉवरेन मुद्रा का भाव खुद तय करने में सक्षम होती है। लेकिन रूस सरकार जो भाव तय करेगी, उसका विदेश में क्या मूल्य होगा? यानी अपनी तरफ से रूस रुबल में कर्ज को संबंधित संस्थान को भेज देगा, लेकिन उस संस्थान के लिए मुमकिन है कि वे रुबल कागज के टुकड़े से ज्यादा कीमती ना हों। इसके साथ ही रूस ने कहा है कि वह अपने यहां पश्चिमी पेटेंट का सम्मान नहीं करेगा। यानी रूसी कंपनियां पेंटेट कराई जा चुकी वस्तुओं को पेंटेट फीस बिना चुकाए धड़ल्ले से बना सकेंगी।
अभी ये एलान नहीं हुआ है, लेकिन चर्चा है कि रूस अपने यहां पारइटेड सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल को अपराध की श्रेणी से हटाने जा रहा है। उसके बाद तमाम पश्चिमी कंपनियों के सॉफ्टेवयर की पाइरेसी करके रूस में उनका खुलेआम उपयोग हो सकेगा। आम तौर पर जब कोई देश ऐसे कदम उठाता है, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय उस पर प्रतिबंध लगा कर उसे दंडित करता है। लेकिन रूस पर इतने प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं कि अब किसी अन्य प्रतिबंध से उस पर क्या फर्क पड़ेगा? चरम उपाय संबंधित देश के खिलाफ सैनिक कार्रवाई होती है। लेकिन अमेरिका या उसके साथी देश इस उपाय को अपनाने में सक्षम होते, तो पहले ही वैसा कर चुके होते। इस उपाय को तो दुनिया के महाविनाश का जोखिम उठाते हुए ही सोचा जा सकता है। तो कुल मिलाकार रूसी कदमों का निहितार्थ यह है कि जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अब तक थी, वह भंग हो गई है। इसके बाद अब एक नई किस्म की अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता का अंदाजा साफ लगाया जा सकता है।
Next Story