- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- प्रतिबंधों की मार झेल...
सम्पादकीय
प्रतिबंधों की मार झेल रहा रूस अपनी इकोनॉमी और आर्मी को बचाए रखने की तरक़ीब ढूंढने में सफल हो सकता है
Gulabi Jagat
23 April 2022 8:26 AM GMT
x
ईरान ने ब्लैक मार्केटिंग को क्यों नज़रअंदाज़ किया?
के वी रमेश |
गुरुवार, 21 अक्टूबर को अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के पहले दौर के दो महीने पूरे होने के तुरंत बाद रूस ने यूक्रेन (Russia Ukraine War) से अलग हुए डोनेत्स्क और लुहांस्क (Donetsk and Lugansk) प्रांतों को मान्यता दी और इसके तीन दिन पहले उसने यूक्रेन पर चौतरफ़ा हमले शुरू कर दिए. 2014 के बाद से चौथे दौर के भारी प्रतिबंधों के बावजूद, यदि आप उस वर्ष क्राइमिया पर रूस के कब्जे के तुरंत बाद लगाए गए प्रतिबंधों पर विचार करते हैं, तो स्लाविक जायंट (Slavic giant) को पूरी तरह से परास्त नहीं कर पाए. इसके विपरीत, पश्चिम द्वारा थोपे गए दंडात्मक आर्थिक प्रतिबंधों ने यूक्रेन और उसके पश्चिमी समर्थकों का अप्रिय अंत करने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के दृढ़ संकल्प को और मजबूत किया.
ऐसा लगता है कि रूस इस बात का अध्ययन कर रहा है कि 1987 से प्रतिबंधों का सामना करने में ईरान कैसे कामयाब रहा. रूस से पहले पश्चिमी देशों के लिए नंबर एक टारगेट पर ईरान रहा और उसने सबसे अधिक प्रतिबंधों को झेला. 1978 की इस्लामिक क्रांति (clerics revolution) से पहले ईरान खाड़ी में अमेरिका का सबसे करीबी सहयोगी था. 1979 में ईरानी छात्रों द्वारा अमेरिकी दूतावास पर कब्जे के कारण ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों का पहला दौर शुरू हुआ, जिसे बाद में हटा लिया गया, लेकिन आठ साल बाद फिर से प्रतिबंध इस आधार लगा दिए गए कि इस क्षेत्र में ईरान आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हुए खाड़ी में अमेरिकी नौसैनिक जहाजों पर बड़े हमले कर रहा है.
ईरान ने ब्लैक मार्केटिंग को क्यों नज़रअंदाज़ किया?
1995 में, राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम की रिपोर्टों पर और भी कड़े प्रतिबंधों की घोषणा की. ईरान को 2011-12 से स्विफ्ट प्रणाली (Swift system) से अलग कर दिया गया और संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के तेहरान पर प्रतिबंध लगाने में अमेरिका के शामिल होने के बाद ईरान प्रतिरोध अर्थव्यवस्था और ब्लैक मार्केट दोनों तरीकों से प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. सरकार ने जानबूझ कर ब्लैक मार्केटिंग को नज़रअंदाज किया या प्रतिबंधों के प्रभाव से गरीब लोगों को बचने के लिए इसे प्रोत्साहित किया है. हालांकि, इस कदम ने ईरानी करेंसी रियाल (Rial) को मूल्यहीन बना दिया, बेरोजगारी को चरम स्तर तक बढ़ा दिया और संपन्न ईरानी परिवारों को बर्बाद कर दिया जो मुश्किल से अपना गुजरा कर रहे हैं.
ईरान से पाकिस्तान-अफगानिस्तान में होती है कालाबाज़ारी
बिचौलियों के माध्यम से ईरानी तेल बेचना कालाबाजारी में शामिल है, जिसका मतलब है कि ईरान को बाजार रेट से बहुत कम मूल्य मिलेगा, लेकिन काम चलाने के लिए इतना काफी है. जब आम लोग अपने ऑटोमोबाइल के टैंकों को भरते हैं और सिस्तान-बलूचिस्तान (Sistan-Balochistan) प्रांत के ज़ाहेदान के रास्ते पाकिस्तान के पड़ोसी बलूचिस्तान प्रांत में सीमा पार करते हैं और वहां के ब्लैक मार्केट में तेल बेचते हैं, तो सरकार जानबूझकर अनदेखा करती है. ब्लैक मार्केट के जरिए तेल अफगानिस्तान तक पहुंचता है. वहां भी दुनिया के बाकी हिस्सों से अनौपचारिक तौर पर प्रतिबंध हैं. ईरान में उत्पादित उपभोक्ता वस्तुओं को भी सीमा पार पाकिस्तान और अफगानिस्तान भेजा जाता है.
ईरान ने शैडो इकोनॉमी का निर्माण किया
तेहरान में सरकार ने देश के भीतर तेल की अधिक खपत को प्रोत्साहित किया और इम्पोर्ट सब्स्टिट्यूशन प्रोग्राम शुरू किया, हालांकि इसमें बहुत सफलता नहीं मिली है. वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ईरान ने शैडो इकोनॉमी (Shadow economy) का निर्माण किया है, जिसने उसे प्रतिबंधों के बावजूद अस्तित्व बनाए रखने में मदद की है. अख़बार ने चीन, हांगकांग, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात में 28 विदेशी बैंकों में 61 खातों पर 'ईरानी प्रॉक्सी के दर्जनों लेनदेन' का विश्लेषण किया जो कुल मिलाकर करोड़ों डॉलर है.
वॉल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार, ईरानी बैंक उन कंपनियों की मदद कर रहे हैं जिन्हें अन्य देशों में एक्सपोर्ट या इम्पोर्ट करने से प्रतिबंधित किया गया है. वे ईरान में संबद्ध कंपनियों को उनकी ओर से प्रतिबंधित व्यापार को मैनेज करने का निर्देश देते हैं. इसके बाद ये फर्म देश के बाहर एक कानूनी इकाई स्थापित करते हैं और विदेशी बैंकों में खोले गए खातों के जरिए डॉलर, यूरो या अन्य विदेशी मुद्राओं में विदेशी खरीदारों के साथ अपने नाम से व्यापार करते हैं.
आईएमएफ (IMF) का अनुमान है कि ईरान का 'छिपा हुआ आयात और निर्यात संचालन 2022 में बढ़कर 150 बिलियन डॉलर हो जाएगा, इस तथ्य के बावजूद कि वे पहले से ही 80 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष हैं.' शैडो इकोनॉमी में निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुएं गैसोलीन, स्टील और पेट्रोकेमिकल्स हैं.
रियायती दरों पर तेल और कोयला बेचने की रूसी पेशकश
रूस ईरान से सबक ले सकता है. ईरान के विपरीत, प्रतिबंधों ने इसे यूरोप को तेल और गैस निर्यात करने से नहीं रोका है, जो अपनी आधी जरूरतों के लिए मास्को पर निर्भर है. रूस की बड़ी तेल कंपनियां भारत सहित सभी खरीददारों को रियायती दरों पर तेल की पेशकश कर रही हैं, जो कथित तौर पर लाखों बैरल खरीद रहे हैं. भारत को रियायती दरों पर कोयला (Coal) देने की रूसी पेशकश की सूचना है, जिसका बिजली उत्पादन मुख्य रूप से कोयले से चलने वाले बॉयलरों पर निर्भर है. इसके अतिरिक्त, रूस ऑटोमोबाइल से लेकर चिप बनाने तक, वैश्विक उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों और धातुओं की पेशकश कर सकता है.
रूस इस तरह दे रहा रूबल को समर्थन
मॉस्को के आर्थिक योजनाकार भी अपने फाइनेंसियल मैसेज ट्रांसफर सिस्टम (SPFS) को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं, जिसमें समान कार्यक्षमता है और स्विफ्ट (SWIFT) फॉर्मेट में मैसेज ट्रांसमिशन की अनुमति देता है. रूस, चीन के क्रॉस-बॉर्डर इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम (CIPS) का उपयोग कर सकता है, जिसे ऑनशोर और ऑफशोर क्लियरिंग मार्केट और पार्टिसिपेटिंग बैंकों के लिए एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय युआन पेमेंट और क्लियरिंग सिस्टम बनाने के लिए अक्टूबर 2015 में लॉन्च किया गया. मॉस्को अपने गोल्ड रिज़र्व और अपने पूर्वी क्षेत्रों में गोल्ड माइनिंग बढ़ाकर रूबल को समर्थन दे रहा है. इसके साथ ही, रूस संकेत दे रहा है कि यूक्रेन युद्ध समाप्त होने से बहुत दूर है, और आने वाले दिनों में यह अपने आक्रमणों को बढ़ा सकता है.
रूस को पश्चिम देशों की परवाह नहीं
एक तरह से पश्चिम देशों की परवाह किए बिना रूस ने अपनी सरमत (Sarmat) मिसाइल का परीक्षण किया, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह एक परमाणु-सक्षम है और मल्टी-वॉर हेडिंग स्टील्थ ICBM ले जाने में सक्षम है. राष्ट्रपति पुतिन ने ट्वीट किया, 'यह अनूठा हथियार हमारे सशस्त्र बलों की युद्ध क्षमता को मजबूत करेगा, बाहरी खतरों से रूस की सुरक्षा को मज़बूती से सुनिश्चित करेगा और आक्रामक बयानबाजी को देखते हुए हमारे देश को धमकाने की कोशिश करने वालों को दो बार सोचने के लिए मजबूर करेगा.'
प्रतिबंध रूस की युद्ध क्षमता को प्रभावित नहीं करेगा: यूरी बोरिसोव
इसके साथ ही युद्धरत रूस फ्रंट लाइन से गोला-बारूद की डिमांड को पूरा करने के लिए अपना उत्पादन बढ़ा रहा है. बता दें कि रूसी गोला-बारूद के भंडार में तेजी से कमी आई है और जिसने यूक्रेन में उसके बख्तरबंद डिवीजनों की रणनीति और तैनाती दोनों की खामियों को उजागर किया है. आरटी (RT) के साथ एक इंटरव्यू में, रक्षा खरीद के लिए रूस के उप मंत्री यूरी बोरिसोव (Yury Borisov) ने विश्वास व्यक्त किया कि प्रतिबंध रूस की युद्ध क्षमता को प्रभावित नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि रूस ने आयात प्रतिस्थापन (import substitution) के उपाय किए हैं और भारत की तर्ज पर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अभियान शुरू किया है.
बोरिसोव के हवाले से आरटी ने कहा, 'हमें कोई गंभीर खतरा नहीं दिखता है जो सरकारी रक्षा खरीद में नियोजित कार्यों पर हमारे काम को कमजोर कर सकता है. शायद यह हमारे पश्चिमी भागीदारों द्वारा 2014 से हमें सतर्क और तैयार रखने का परिणाम है. हमारे पास रूस के खिलाफ लगाए जा रहे निरंतर प्रतिबंधों का सामना करने के लिए बहुत समय है. अब हमारे पास इम्पोर्ट सब्स्टिटूशन नीतियां हैं, और हमने बेहद इम्पोर्टेन्ट मैटेरियल्स और कंपोनेंट्स का आवश्यक रिज़र्व स्टॉक जमा कर लिया है. इसलिए, रूस के वर्तमान स्टेट डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोग्राम को कोई खतरा नहीं है.'
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
Gulabi Jagat
Next Story