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यूक्रेन ने जिनकी सुरक्षा गारंटी के बदले छोड़े दिए थे अपने परमाणु हथियार आज वो कहां हैं?
जहांगीर अली
यूक्रेन (Ukraine) पर रूस (Russia) का हमला होने के बाद कई रणनीतिक विचारकों ने पूर्वी यूरोप के करीब स्थित उस देश के प्रति दुख जाहिर किया, जिसने सोवियत संघ के विघटन के बाद पश्चिम और मॉस्को से सुरक्षा गारंटी मिलने पर परमाणु हथियारों (Nuclear Weapons) को छोड़ दिया था. यूक्रेन के सांसद एलेक्सी गोंचारेंको ने फॉक्स न्यूज को बताया, 'मानव इतिहास में यूक्रेन अकेला ऐसा देश है, जिसने परमाणु हथियार त्याग दिए. वह भी तब, जब 1994 में वह परमाणु हथियारों के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर था. उसे अमेरिका, ब्रिटेन और रूस से सुरक्षा गारंटी मिली थी. यह गारंटी अब कहां है? अब हम पर बम दागे जा रहे हैं और हमारे लोगों की मौत हो रही है.'
जब यूक्रेन परमाणु अप्रसार संधि में शामिल होने के लिए सहमत हो गया, तब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने कहा था, 'आपके फैसले ने यूक्रेन की जनता, अमेरिका के नागरिकों और पूरी दुनिया को बेहद सुरक्षित और महफूज बना दिया… अमेरिका और पश्चिम हमेशा आपकी मदद करेंगे.' मैक्सिको के सेवानिवृत्त परमाणु वैज्ञानिक और लेखक चेरिल रोफर कहते हैं कि यदि यूक्रेन ने अपने परमाणु हथियार नहीं त्यागे होते तो रूस उसे धमका नहीं पाता.
1992 में यूक्रेन ने अपने सभी सामरिक परमाणु हथियार रूस भेज दिए
माना जाता है कि 1930 के दशक के दौरान जोसेफ स्टालिन की सरकार ने यूक्रेन के करीब 1 करोड़ 20 लाख लोगों को मार दिया था. यूक्रेन पर रूस का प्रभुत्व, दोनों देशों के बीच सुरक्षा को लेकर तनातनी और उनकी लंबी असुरक्षित सीमा संभवतः ताजा विवाद की असल वजह हैं. लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद हजारों परमाणु हथियार (4,000 से अधिक हथियारों का अनुमान) नए बने देशों बेलारूस, कजाकिस्तान और यूक्रेन में रह गए. हालांकि, माना जाता है कि इन हथियारों का नियंत्रण सोवियत के हाथों में ही रहा. बेलारूस और कजाकिस्तान ने सबसे पहले परमाणु हथियार त्यागने का फैसला किया और सोवियत संघ के उत्तराधिकारी रूस को अपने परमाणु हथियार सौंप दिए. हालांकि, यूक्रेन ने रूस और पश्चिम से सुरक्षा गारंटी लेने के लिए हथियार बरकरार रखे.
जनवरी और मई 1992 के बीच यूक्रेन ने अपने सभी सामरिक परमाणु हथियार रूस भेज दिए, लेकिन 1,656 रणनीतिक परमाणु हथियार नहीं जाने दिए. फॉरेन अफेयर्स मैग्जीन के मुताबिक, इन परमाणु हथियारों के दम पर यूक्रेन रूस पर हमला करने की ताकत रखता था, जिनमें 26 SS-24s, 30 SS-19s, 30 Bear-H और ब्लैकजैक बॉम्बर्स थे. प्रत्येक SS-24s 10 वॉरहेड्स ले जा सकता था, जबकि एक SS-19s में छह वॉरहेड्स ले जाने की क्षमता थी. कुल मिलाकर ये सभी हथियार 416 वॉरहेड्स ले जा सकते थे, जिनकी मदद से अमेरिका और रूस के बाद यूक्रेन के पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी परमाणु सेना थी.
लंबी बातचीत के बाद यूक्रेन ने एक समझौता किया, जिसे 'मेमोरेंडम ऑन सिक्योरिटी एश्योरेंस' कहा गया. इसके बाद यूक्रेन अपने परमाणु हथियारों और डिलिवरी सिस्टम्स को त्यागने के लिए तैयार हो गया. 5 दिसंबर 1994 को बुडापेस्ट में मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर किए गए और यूक्रेन ने परमाणु हथियारों के अप्रसार की संधि पर साइन कर दिए. इस छह सूत्रीय मेमोरेंडम में लिखा था कि रूस, ग्रेट ब्रिटेन और अमेरिका 'यूक्रेन की मौजूदा सीमाओं की स्वतंत्रता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं और सीएससीई फाइनल एक्ट के सिद्धांतों के तहत यूक्रेन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं.' इसमें यह भी लिखा था कि हस्ताक्षरकर्ता 'यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता पर आने वाले खतरे या उस पर होने वाले बल प्रयोग से बचाने की जिम्मेदारी लेते हैं. इसके अलावा उनके किसी भी हथियार का इस्तेमाल कभी भी यूक्रेन के खिलाफ आत्मरक्षा या संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अलावा कभी नहीं किया जाएगा.'
2014 में यूक्रेन में बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद रूस ने क्राइमिया पर कब्जा कर लिया
बुडापेस्ट मेमोरेंडम ने हस्ताक्षर करने वाले तीनों देशों को लाभ हासिल करने के लिए यूक्रेन पर आर्थिक नियंत्रण बनाने से रोक दिया. वहीं, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने कहा कि अगर यूक्रेन पर हमला होता है और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल किया जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से सहायता मुहैया कराई जाए. हालांकि, यूक्रेन पर रूस के इस हमले की स्थिति में 'सुरक्षा गारंटी' का क्या मतलब है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं है. इस मेमोरेंडम को पहला झटका उस वक्त लगा, जब 2014 में यूक्रेन में बड़े पैमाने पर विद्रोह के बाद रूस ने क्राइमिया पर कब्जा कर लिया. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुडापेस्ट समझौते के उल्लंघन से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि मॉस्को ने (रूस समर्थक) यूक्रेन सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन यूरोमैडन के बाद 'नया राज्य' अस्तित्व में आ गया और क्रेमलिन ने नई सरकार के साथ 'किसी भी जरूरी दस्तावेज पर हस्ताक्षर' नहीं किए.
यूक्रेन के अलावा बेलारूस ने भी 2013 में शिकायत की थी कि उसके खिलाफ लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध से 'मेमोरेंडम के अनुच्छेद 3 का उल्लंघन' किया गया था. हालांकि, वॉशिंगटन ने इस दावे को खारिज करते हुए तर्क दिया था कि ये प्रतिबंध 'मानव अधिकारों के उल्लंघन और बेलारूस की सरकार की अन्य अवैध गतिविधियों' पर लगाए गए थे, न कि बेलारूस की जनता पर. 21 फरवरी को यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के निर्देश पर 'यूक्रेन और बुडापेस्ट मेमोरेंडम के हस्ताक्षरकर्ताओं और यूक्रेन की सुरक्षा के गारंटरों से उच्चस्तरीय परामर्श के लिए औपचारिक अनुरोध किया था, जिससे तनाव घटाने और यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाए जा सकें.'
रूस के आक्रमण के बाद पुतिन ने भी यह संकेत दिया था कि पश्चिमी देशों की मदद से यूक्रेन परमाणु हथियारों तक पहुंच हासिल करने का प्रयास कर सकता है. हालांकि, पश्चिमी रणनीतिक विचारकों ने इस दावे को खारिज कर दिया. आंतरिक परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने 7 जून 2021 को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को दिए अपने परिचयात्मक बयान में इसका जिक्र भी किया था. उन्होंने कहा था: 'सुरक्षा उपायों की प्रक्रिया की अखंडता सर्वोपरि है. और इस संदर्भ में मुझे यह बताया गया है कि यूक्रेन के लिए एजेंसी को व्यापक निष्कर्ष निकालने में सक्षम बनाने के लिए प्रयास जारी हैं. मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह समस्या वर्तमान परिस्थितियों (संभवतः रूस द्वारा क्राइमिया पर कब्जा करने की ओर इशारा करते हुए) की वजह से है, जो एजेंसी को कुछ परमाणु सामग्रियों को वैरिफाई करने से रोकती हैं और एजेंसी को प्रसार संबंधी कोई चिंता नहीं है.
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