सम्पादकीय

Russia-Ukraine War: रूस और जर्मनी के लिए बेहद अहम है नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट, रुकने से यूरोप पर भी पड़ेगा प्रभाव

Rani Sahu
24 Feb 2022 10:38 AM GMT
Russia-Ukraine War: रूस और जर्मनी के लिए बेहद अहम है नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट, रुकने से यूरोप पर भी पड़ेगा प्रभाव
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रूस और जर्मनी के लिए बेहद अहम है नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट, रुकने से यूरोप पर भी पड़ेगा प्रभाव

विकास त्रिपाठी

यूक्रेन (Ukraine) के दो क्षेत्रों दोनेत्सक और लुहांस्क को रूस (Russia) के द्वारा स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने के विरोध में जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन पर रोक लगा दी. नॉर्ड स्ट्रीम 2 (Nord Stream 2) की रूस, जर्मनी और यूरोप के लिए क्या अहमियत है इसे समझने की कोशिश करते हैं. नॉर्ड स्ट्रीम 2 यानि 1222 किमी लंबी गैस पाइपलाइन रूस से शुरू होकर बाल्टिक सागर से फिनलैंड, स्वीडन, पोलैंड से होते हुए जर्मनी जाती है.2018 में 11 बिलियन डॉलर की कीमत से 6 कंपनियों ने इस गैस पाइपलाइन का निर्माण शुरू किया जो हर साल 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस सप्लाई कर सकती है.
अब तक नॉर्ड स्ट्रीम 1 से ही 55 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की सप्लाई हो रही है. इसके बनने से 110 बिलियन क्यूबिक मीटर गैसे सप्लाई यूरोप को हो सकेगी जो कि यूरोप की अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है. अमेरिका शुरू से ही इस पाइपलाइन के खिलाफ था, फ्रांस और यूक्रेन भी इसके पक्ष में नही थे. 2019 में अमेरिका के आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी के कारण इसके काम को रोक दिया गया था. लगभग 1 साल के बाद इसका निर्णाण कार्य फिर से शुरू हुआ.
नॉर्ड स्ट्रीम का महत्व
दरअसल जर्मनी की आधे से ज्यादा गैस की सप्लाई रूस करता है. जर्मनी और यूरोप के तमाम देशों को जाड़े में अपने घरों को गरम रखने और फ्यूल के तौर पर बड़ी मात्रा में गैस की जरूरत होती है.
रूस यूरोप की इस जरूरत का लगभग 40 प्रतिशत सप्लाई करता है. बाकी 16 प्रतिशत नार्वे, 8 प्रतिशत अल्जीरिया और लगभग 5 प्रतिशत कतर से यूरोप आयात करता है. जर्मनी के अलावा इटली, फ्रांस ऑस्ट्रिया जैसे कई यूरोपीय देश रूस से गैस आयात करते है. रूस बहुत ही सस्ते दामों में गैस की सप्लाई करता है, जो यूरोप की एनर्जी सिक्योरिटी और अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसी वजह से अमेरिका के दबाव के बावजूद जर्मनी ने नॉर्ड स्ट्रीम को रद्द नही किया.
दरअसल अमेरिका यूरोप की जरूरत का सिर्फ 5 प्रतिशत गैस सप्लाई करता है और वो यूरोप के गैस आयात में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाना चाहता है इसके लिए उसने नॉर्ड स्ट्रीम को लेकर कई बार अपना विरोध दर्ज कराया. इसी साल फरवरी के पहले हफ्ते में जब जर्मनी के चांसलर अमेरिका गये थे तब यूक्रेन विवाद को लेकर बाइडेन ने कहा था कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो नॉर्ड स्ट्रीम 2 को रोक दिया जाएगा ये अलग बात है कि चांसलर ओलाफ शुल्ज ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नही दी थी.
रूस की प्रतिक्रिया
जर्मनी के द्वारा गैस पाइपलाइन को रोकने की घोषणा के बाद रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने कहा कि जर्मनी के इस कदम से अब यूरोप के लोगों को 1 क्यूबिक मीटर गैस के लिए 2 यूरो देने होगें. रूस से मिलने वाली ये गैस यूरोप को लगभग 1 यूरो की पड़ती है. यानि अब यूरोप को कही अन्य से गैस लेने पर दोगुनी कीमत चुकानी पड़ेगी.
दरअसल रूस की दो प्रमुख ताकते हैं एक सैन्य और दूसरा यूरोप का एक बड़ा एनर्जी सप्लायर. रूस अपनी इस दूसरी ताकत का इस्तेमाल यूरोप और अमेरिका को ब्लैकमेल करने के लिए कर रहा है. उसे लगता है कि यूरोप की ईंधन को लेकर जो निर्भरता है, रूस पर है उसकी वजह से वो यूक्रेन पर अपना प्रभुत्व जमा सकता है और यूरोप कोई कड़ा कदम नही उठाएगा लेकिन ओलाफ शुल्ज ने नॉर्ड स्ट्रीम 2 को रोक कर रूस को करारा झटका दिया है, अब देखना होगा की रूस का अगला कदम क्या होगा.
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