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
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अमेरिकी चेतावनी से साफ है कि वह भारत को ‘रूस-नीति’ में बारीक बदलाव के लिए मजबूर करेगा
के वी रमेश
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) और संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस (Russia) के खिलाफ मतदान के दौरान और हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में वोटिंग के बहिष्कार के स्पष्टीकरण में पश्चिम में अपने दोस्तों को एक तर्क दिया था. इसके तहत यूक्रेन (Ukraine) में फंसे भारतीय छात्रों की दुर्दशा का जिक्र किया गया था. अब जबकि अधिकांश छात्रों को यूक्रेन से निकाल लिया गया है. ऐसे में आने वाले दिनों में भारत पर रूस और अमेरिका को लेकर खासा दबाव होगा.
अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने पिछले सप्ताह यानी 2 मार्च को पूर्ववर्ती, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद विरोधी मुद्दों पर भारत-अमेरिकी संबंधों को लेकर सीनेट की विदेश संबंधी उपसमिति के समक्ष अपना बयान पेश किया था. लु ने उन इलाकों के बारे में जानकारी दी थी, जहां अमेरिका भारत पर दबाव बना सकता है.
अमेरिका अपनी सैन्य तकनीक की सुरक्षा को लेकर चिंतित है
सबसे पहले CAATSA का खतरा है. लु ने कहा कि अमेरिका इस बात की सराहना कर सकता है कि भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले अधिकांश हथियार रूसी विरासत के थे, जबकि हाल के वर्षों में भारत ने जो भी खरीदारी की, वह अमेरिका और यूरोप से की गई. इनमें P8I समुद्री टोही विमान भी शामिल थे. सहायक विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका अपनी सैन्य तकनीक की सुरक्षा को लेकर चिंतित है, जिनमें विशेष रूप से P8I समुद्री टोही विमान जैसे फ्रंटलाइन हार्डवेयर शामिल हैं. दरअसल, अमेरिका के सहयोगी देशों में इसे हासिल करने वाला भारत पहला देश था.
हालांकि, लु ने स्पष्ट रूप से CAATSA प्रतिबंधों की धमकी नहीं दी, लेकिन उन्होंने यह संकेत दे दिया कि इस पर चर्चा की जा रही थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत के लिए 'एस-400 सहित रूस से मिलिट्री सप्लाई खरीदना बहुत मुश्किल होगा', क्योंकि स्विफ्ट जैसी प्रणालियों से रूसी बैंकों के बहिष्कार के बाद एडवांस सिस्टम के लिए स्पेयर पार्ट्स और गोला-बारूद के अलावा रूस के पुराने हथियारों के लिए भुगतान रुक जाएगा.
दूसरा, लु ने यह भी संकेत दिया कि भारत को अपने सशस्त्र बलों के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी और चीन के खतरे से निपटने के संबंध में खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए अमेरिका और अन्य क्वॉड सहयोगियों की जरूरत है. इस मामले में छिपा हुआ संदेश यह था कि चीन के मामले में जितनी हमें आपकी जरूरत है, उससे कहीं ज्यादा आपको हमारी जरूरत है. तीसरा, लु ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका मानवाधिकारों के मामले में भी भारत पर सख्त रुख अपना सकता है.
भारत अपने पश्चिमी मित्रों को शांत करने के लिए कुछ कदम उठा सकता है
उन्होंने कहा '…हम मानवाधिकार से संबंधित मामलों को लेकर चिंतित हैं, जिनमें जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव न होने और मानवाधिकारों के हनन की खबरें शामिल हैं. इसी तरह हम पूरे देश में मुस्लिम समुदायों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के साथ-साथ बोलने की आजादी और गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ भेदभाव की रिपोर्टों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. यह अहम है कि जब हम परेशान करने वाली घटनाओं को देखते हैं तो भारत का साथ देते हैं, लेकिन हम भारत के लोकतांत्रिक संस्थानों का भी समर्थन करते हैं, जो देश में मानव अधिकारों के हनन के खिलाफ काम करते हैं.
सहायक विदेश मंत्री की टिप्पणियों से संकेत मिलता है कि अमेरिका अब भारत को रूस के प्रति कम निष्क्रिय रुख अपनाने की ओर धकेलेगा और रूस की आक्रामकता के खिलाफ मजबूती से सामने आएगा. लेकिन यहां सिर्फ दंड देने का प्रयास नहीं किया जा रहा, यहां ऑफर भी दिया जा रहा है. जैसे कि अत्याधुनिक सैन्य हार्डवेयर और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की पेशकश, सेनाओं के ज्यादा अभ्यास, अंतरिक्ष, साइबर स्पेस, जलवायु, स्वच्छ ऊर्जा और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग में ज्यादा सहयोग भी इनमें शामिल हैं. सीनेट की सुनवाई में यह भी संकेत मिला कि अमेरिका भारत की चिंताओं को समझता है. समिति के रैंकिंग रिपब्लिक सदस्य सीनेटर टॉड यंग ने भारत की चिंताओं के प्रति अमेरिकी संवेदनशीलता को रेखांकित करने के लिए ट्रम्प प्रशासन में एचआर मैकमास्टर, एनएसए के 'रणनीतिक सहानुभूति' दृष्टिकोण का उल्लेख किया. सीनेटर जीन शीहान को छोड़कर सभी सीनेटरों ने चीन के मुकाबले भारत के महत्व का जिक्र किया. साथ ही, आने वाले दिनों में सैन्य संबंधों को बढ़ावा देने की जरूरत भी बताई.
और वास्तव में, भारत अपने पश्चिमी मित्रों को शांत करने के लिए कुछ कदम उठा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की को टेलीफोन कॉल और यूक्रेन को भारतीय राहत सामग्री भेजने से संकेत मिलता है कि भारत अब अपने तटस्थ रुख को सक्रिय कर रहा है. और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के दौरान मोदी ने तत्काल संघर्ष विराम, सैन्य संघर्ष घटाने की जरूरत पर जोर दिया. फोन पर 50 मिनट की बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने दोनों देशों की वार्ता टीमों के अलावा पुतिन और जेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत की जरूरत पर भी जोर दिया.

Rani Sahu
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