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सोर्स- अमृत विचार
शुक्रवार को भारतीय रुपया पहली बार 81 रुपये के पार चला गया है। जाहिर है, यह ऐतिहासिक गिरावट है, जिसको रोकने की कोशिश के बावजूद कामयाबी नहीं मिल रही। अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले भारतीय मुद्रा में निरंतर गिरावट चिंता की बात है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रुपये में यह सबसे बड़ी गिरावट आई है।
इस बीच सभी उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। रुपये में कमजोरी की वजह से आम आदमी की मुसीबत भी बढ़ने वाली है। भारत का आयात-निर्यात अमेरिकी डॉलर में ही होता है इसलिए बाहरी देशों से कुछ भी खरीदने के लिए हमें अधिक रुपये खर्च करने पड़ेंगे। साथ ही महंगाई दर बढ़कर सात फीसदी हो गई है। इन हालातों को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से लोगों को बड़ी उम्मीदें हैं। सवाल यह उठता है कि डॉलर का भाव लगातार क्यों बढ़ रहा है?
माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाए जाने और मौद्रिक नीति को आगे और भी सख्त बनाए जाने के संकेत से डॉलर के मुकाबले रुपया गुरुवार को 1.1 फीसदी नरम होकर रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया। गुरुवार शाम को डॉलर के मुकाबले रुपया 80.87 पर बंद हुआ, जो बुधवार को 79.98 पर बंद हुआ था। डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 8 फीसदी की नरमी आ चुकी है।
अमेरिकी डॉलर सूचकांक 20 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया और इस साल अब तक डॉलर करीब 16 फीसदी मजबूत हुआ है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने बीते 13 सितंबर को खुदरा महंगाई दर के आंकड़े जारी किए थे, जिसमें देश की खुदरा मुद्रास्फीति की दर अगस्त में बढ़कर सात फीसदी हो गई थी। जबकि, पिछले महीने जुलाई में खुदरा महंगाई दर इससे कम 6.71 फीसदी थी।
आगामी 30 सितंबर को भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होनी है। जानकारों का मानना है कि इस बैठक में महंगाई दर को काबू करने के लिए ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की जा सकती है। नतीजे में ऑटो लोन, पर्सनल लोन, होम लोन समेत अन्य तरह के लोन पर अधिक इंटरेस्ट रेट देना होगा। इसके अलावा ईएमआई की राशि में भी इजाफा होगा।
आरबीआई तथा केंद्रीय वित्त मंत्रालय दोनों रुपये के अवमूल्यन के मुद्रास्फीतिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। आज महंगाई और रुपये के मूल्य में स्थिरता पहले से कहीं ज्यादा जरूरी है, क्योंकि भारत के विकास की रफ्तार तेज हो रही है। देखना होगा कि केंद्र सरकार अपनी ओर से क्या उपाय करती है। भारतीय रिजर्व बैंक पर यह जिम्मेदारी है कि वह हालात का प्रबंधन करे।
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Rani Sahu
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